दक्षा वैदकर
जी मराठी पर एक सीरियल आता है. इसकी नायिका पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. एक तरफ उसे पति की ओर से तलाक का नोटिस आता है और दूसरी ओर वह मां बनने वाली है. वह सारे मन-मुटाव भूल कर अपनी गृहस्थी को संभालना चाहती है, लेकिन यह मुमकिन नहीं हो पाता.
नायिका के बॉस उसे एक योग सेंटर की जानकारी देते हैं, जहां प्रेगनेंट लेडीज के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाये जाते हैं. नायिका वहां जाना शुरू कर देती है और पहले दिन वह जो क्लास में सीखती है, उसके बारे में अपनी सहेली को बताती है. वह कहती है कि योग सेंटर के हमारे टीचर ने हम सभी महिलाओं से पूछा कि आपकी जिंदगी का सबसे खुशी वाला पल कौन-सा है? किसी ने कहा, ‘जब मुङो नौकरी मिली थी.’ मैंने कहा, ‘जब मेरी शादी हुई थी.’ एक महिला ने तो यहां तक कहा कि उसकी जिंदगी में खुशी का पल अभी तक आया ही नहीं है.
वह तो उसका इंतजार कर रही है. तब गुरुजी ने सभी को समझाया कि दरअसल हम सभी अपने भूतकाल व भविष्यकाल में जी रहे हैं. पिछली यादों को ढो रहे हैं और भविष्य की चिंता कर रहे हैं. इन सब के चक्कर में हम वर्तमान को नष्ट कर देते हैं, जिसमें हमें जीना चाहिए.
नायिका ने आगे कहा, गुरुजी ने यह कितनी अच्छी बात कही. आमतौर पर जब भी मैं अकेली रहती हूं, यही सोचती रहती हूं कि पति ने मुङो तलाक क्यों दिया. मुझसे क्या गलती हो गयी? हम तो इतने खुश थे और फिर किसकी नजर लग गयी. इसके अलावा कभी-कभी मैं भविष्य में चली जाती और सोचती कि अब मेरे गर्भ में पल रहे बच्चे को मुङो अकेले ही संभालना है. यह कैसे हो पायेगा? पिता के बिना कैसे उसकी परवरिश होगी?
इस तरह मैं पूरा समय भूतकाल और भविष्यकाल में ही डूबी रहती थी. अब मुङो समझ आया है कि मुङो वर्तमान को जीना है. इस सोच के बाद से मैं अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को महसूस कर पा रही हूं. मां बनने की प्रोसेस को जी रही हूं. अपने शरीर में, स्वभाव में आये बदलाव को देख कर मैं खुश हूं. अब मैं इसके लिए अच्छा खा रही हूं, व्यायाम कर रही हूं और अच्छी किताबें पढ़ रही हूं.
बात पते की..
– आपके साथ जो कुछ भी बुरा हुआ, वह बीत चुका है. उसे बदला नहीं जा सकता. उसको याद कर-कर के अपना वर्तमान खराब न करें.
– भविष्य में क्या होगा, कैसे होगा, यह कोई नहीं जानता. बेहतर है कि आप वर्तमान समय के हर पल को जीएं. उसे महसूस करें. खुश रहें.