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बुलंद हौसले के साथ अजीत विकलांगता को दे रहा मात, लाउडस्पीकर बजा कर परिजनों की कर रहा परवरिश

दोनों पैरों से विकलांग अजीत लाउडस्पीकर बजा कर परिजनों की कर रहा परवरिश बेगूसराय : अगर मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो लाख उसके जीवन में बाधा सामने आये, फिर भी वह कामयाबी की ओर अग्रसर होता है. इस समाज में अभी भी बहुत ऐसे लाचार व बेबश लोग हैं, जो अपनी […]

दोनों पैरों से विकलांग अजीत लाउडस्पीकर बजा कर परिजनों की कर रहा परवरिश
बेगूसराय : अगर मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो लाख उसके जीवन में बाधा सामने आये, फिर भी वह कामयाबी की ओर अग्रसर होता है. इस समाज में अभी भी बहुत ऐसे लाचार व बेबश लोग हैं, जो अपनी लाचारी के बावजूद समाज के सामने यह प्रदर्शित करना चाहते हैं कि हौसला अगर बुलंद हो तो कामयाबी अवश्य मिलेगी.
कुछ इसी तरह की बातों को अपने मन में प्रेरणा लेकर बरौनी प्रखंड अंतर्गत बिंदटोली सिमरिया निवासी दोनों पैर से जन्म से ही विकलांग 35 वर्षीय अजीत अपनी जिंदगी की गाड़ी को न सिर्फ खींच रहा है, वरन वह अपने परिवार का भी परवरिश कर रहा है. अजीत का जब जन्म हुआ तो उसने विकलांग बन कर ही इस धरती पर दस्तक दी. जन्म के बाद उसकी विकलांगता को लेकर माता-पिता में निराशा हुई. काफी प्रयास किया गया कि उसकी विकलांगता दूर हो, लेकिन परिवार में आर्थिक तंगहाली ने अजीत की विकलांगता को दूर नहीं कर सकी. अजीत जब बड़ा हुआ तो वह पढ़ाई करना चाहता था, लेकिन पढ़ाई के लिए भी समुचित साधन और संसाधन नहीं मिलने को लेकर वह अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया.
इसके बाद उसके परिवार के लोगों ने उसकी शादी करा दी. इसके बाद उसे एक लड़का व एक लड़की हुई. परिवार बढ़ने के बाद अजीत को उसके परवरिश की चिंता सताने लगी. इधर अजीत कुछ सरकारी मदद के लिए भी हाथ बढ़ाने का प्रयास किया, लेकिन इसमें उसे बहुत हद तक सफलता हाथ नहीं लगी. बाद में उसने हार नहीं मानी और किसी तरह से उसे विकलांगों के लिए दी जानेवाले ट्राइसाइकिल मिली. इसके बाद उसके मन में कुछ करने की आश जाग उठी. इसी बीच अजीत ने एक लाउडस्पीकर का सेट खरीद लिया. वह किसी लगन व अन्य कार्यो में भाड़े पर जाकर लाउडस्पीकर बजाना शुरू कर दिया. अजीत के इस मेहनत व प्रयास से लोगों को प्रेरणा लेने की जरू रत है. जब भी उसे कहीं कार्यक्रम में जाने का मौका मिलता है तो वह स्वयं अपनी विकलांग गाड़ी में बैटरी, मशीन और भोपा बांध कर अपनी गाड़ी खींचते हुए गंतव्य स्थान तक पहुंच जाता है.
फिर, वहां से काम समाप्त होने के बाद उसी प्रकार से अपनी गाड़ी में सभी सामान को लादक र घर पहुंचता है. अजीत कहता है कि यह उसका अपना श्रम है. इसकी बदौलत वह अपने परिवार व बच्चों की परवरिश कर रहा है. सबसे अधिक उसके लाउडस्पीकर का भाड़ा सिमरिया गंगा घाट में होने वाले मुंडन समारोह में होता है. अजीत कहता है कि वह अच्छी सर्विस देता है एवं समय की पाबंदी रखता है. इसका नतीजा यह होता है कि क्षेत्र में उसका लाउडस्पीकर काफी प्रसिद्ध हो गया है. अजीत की तमन्ना है कि उसके बच्चे पढ़-लिख कर अच्छी मुकाम हासिल करें, ताकि आनेवाले समय में उसके इस कठिन मेहनत का फल मिल सके. इसके लिए वह अभी भी सरकारी मदद की ओर टकटकी भरी निगाहों से देख रहा है.

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