दक्षा वैदकर
कुछ लोग तो दूसरों का ख्याल बिल्कुल नहीं करते, लेकिन कुछ लोग दूसरों का ख्याल इस हद तक रखते हैं कि खुद परेशान हो जाते हैं. पिछले दिनों मेरे एक कॉलेज फ्रेंड ने पुराने क्लासमेट्स का एक वॉट्सएप्प ग्रुप बनाया. करीब 32 लोगों का यह ग्रुप बना.
ग्रुप में आते ही सभी बड़े खुश हुए. एक-दूसरे की खिंचाई करने लगे. किसी ने दोस्त को मोटा कहा, तो किसी ने कहा- अरे तू तो पापा बन गया. इसी बीच एक दोस्त ने ग्रुप एडमिन दोस्त को लेकर कोई मजाक किया. सभी उसकी बात पर खूब हंसे, सिवाय ग्रुप एडमिन के. बहुत देर तक ग्रुप एडमिन का कोई भी रिएक्शन न देख कर मजाक करने वाला दोस्त परेशान हो गया. वह सोचने लगा कि मैंने शायद कुछ ज्यादा ही मजाक कर दिया. उसे बुरा लग गया है. तभी वह जवाब नहीं दे रहा.
अब वह जरूर पछता रहा होगा कि उसने ग्रुप में मुङो एड क्यों किया. बेहतर होगा कि मैं खुद ही ग्रुप छोड़ दूं. दोस्त ने आत्मग्लानि से भर कर ग्रुप छोड़ दिया. एक दोस्त ने पर्सनल चैट में मैसेज कर पूछा, ग्रुप क्यों छोड़ा? वजह जानने के बाद उसने समझाने की बहुत कोशिश की कि ऐसा कुछ भी नहीं है. बेवजह तुम राई का पहाड़ बना रहे हो. अगर एडमिन को मजाक का बुरा लग भी गया, तो क्या हुआ. दोस्त है. आखिरकार यह बात घूम-फिर कर ग्रुप एडमिन को पता चली और उसने तुरंत कॉल करके दोस्त से कहा- ‘भाई, तुम एक-दो घंटे के अंदर क्या से क्या सोच बैठते हो. मैं तो जवाब इसलिए नहीं दे पा रहा था, क्योंकि मैं फैमिली के साथ बाहर खाना खाने आया हूं. मैंने तो चैट पढ़ा भी नहीं था कि मेरा क्या मजाक उड़ाया गया है. अब जा कर मैसेज पढ़ा और खूब हंसा.
मैं ऐसे छोटे-मोटे मजाक का बुरा नहीं मानता. तुम भी न हद करते हो. लोगों के बारे में इतनी ज्यादा भी चिंता करना ठीक नहीं.’ अब मेरे इस दोस्त को अपनी गलती समझ में आयी कि वह बेवजह ही दो घंटे परेशान रहा और न जाने क्या-क्या सोच कर तनाव लेता रहा. उसने कहा- सॉरी यार, आगे से नॉर्मल रहूंगा. प्लीज मुङो ग्रुप में वापस एड कर ले. अगले ही पल वह ग्रुप में शामिल हो गया था और हंसी-मजाक फिर से होने लगा था.
बात पते की..
– दुनिया में ऐसे कई लोग हैं, जो ज्यादा ही भावुक हैं और गलती से भी किसी का दिल नहीं दुखाना चाहते. यह अच्छाई कई बार उन पर भारी पड़ती है.
– हमेशा खुद को दोष देना, तुरंत माफी मांग लेना, लोगों के बारे में कुछ ज्यादा ही चिंता करना भी ठीक नहीं है. आप नॉर्मल क्यों नहीं रह सकते?