मित्रों, आज जानते हैं कि झारखंड में आदिवासी, आदिम जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास पर ज्यादा जोर है. राज्य में 26.30 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति की और 11.84 प्रतिशत आबादी आनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग है. इन सबके विकास के लिए कल्याण विभाग है. इस विभाग द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यकों सहित अन्य पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए योजनाएं चलायी जा रही हैं. छात्रवृत्ति, छात्रवास, पोशाक, इंजीनियरिंग एवं मेडिकल जैसी तकनीकी शिक्षा, रोजगार और स्वरोजगार की क्षमता बढ़ाने के लिए विशेष व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रम कल्याण विभाग द्वारा चलाये जा रहे हैं.
इनके अलावा आवास, चिकित्सा और पोषण जैसे कार्यक्रम भी कल्याण विभाग को दिये गये हैं, ताकि इन वर्गो के जीवन स्तर को उपर उठाया जा सके. कल्याण विभाग के पास वैसे संवेदनशील कार्यक्रम भी हैं, जो आदिम जनजाति के कल्याण और विकास से जुड़ी हुई हैं. आप जानते हैं कि पहाड़िया, बिरहोर, असुर आदि आदिम जनजाति के अस्तित्व बचाने के साथ-साथ उनके जीवन स्तर में सुधार लाने पर आजादी के बाद से ही सरकार संवेदनशील रही है और इस दिशा में विशेष कार्यक्रम चलाये जाते रहे हैं.
जिला कल्याण और मेसो परियोजना द्वारा संचालित इन कार्यक्रमों का लाभ लोगों को मिल सके, इसके लिए कल्याण विभाग का अपना प्रशासनिक ढांचा है. इसमें प्रखंड स्तर पर जो सबसे महत्वपूर्ण अफसर है, वह है प्रखंड कल्याण पदाधिकारी. आम तौर परछात्र-छात्राओं, छात्रावासोंएवं लाभुकों से इस पदाधिकारी का सीधा संबंध होता है. हम इस अंक में उसी पदाधिकारी तथा उन योजनाओं की बात कर रहे हैं, जो कल्याण विभाग द्वारा संचालित हैं और जिनका लाभ लेना आपका अधिकार है. अगर इसमें किसी स्तर पर बाधा या गड़बड़ी हो, तो आप उसे उजागर करने के लिए सूचना का अधिकार का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
इन योजनाओं को जानें
छात्रवृत्ति योजना
यह योजना राज्य के उन छात्र-छात्रओं के लिए है, जो पिछड़ा या अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के हैं. इसके तहत राज्य के अंदर और राज्य से बाहर मैट्रिक के बाद की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्रओं को छात्रवृत्ति दी जाती है. साथ ही मैट्रिक तक की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्र भी इसके तहत लाभान्वित होते हैं. इसमें टय़ूशन फी तथा अन्य संस्थागत खर्च सरकार देती है.
कौन कर सकता है आवेदन?
जो छात्र झारखंड का निवासी हो, अनुसूचित जनजाति या अनुसूची जाति अथवा पिछड़ा वर्ग का हो तथा जिसके परिवार की सभी स्रोतों से कुल
वार्षिक आय इससे अधिक न हो :
अनुसूचित जनजाति : 2,00,000 रुपये.
अनुसूची जाति : 2,00,000 रुपये.
पिछड़ा वर्ग : 1,00,000 रुपये.
अनुसूचित जनजाति के लिए लाह विकास योजना
यह योजना 100} अनुदान पैटर्न पर राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित है. यह गरीब आदिवासी परिवारों को अतिरिक्त आय के साधन उपलब्ध करने के लिए शुरू की गयी है. इसमें संबंधित किसानों की भागीदारी को ध्यान में रखा गया है और यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि किसान इसके जरिये आय के साधन विकसित करने के साथ-साथ लाह के उत्पादन में राज्य की स्थिति में भी सुधार ला सके. यह योजना कल्याण विभाग द्वारा संचालित है. इसमें भारतीय लाख अनुसंधान संस्थान और कुछ गैर सरकारी संगठनों को भी साङोदार बनाया गया है. इसमें एजेंसी के माध्यम से पहले लाभुक परिवार का चयन किया जाता है. उसके बाद उन्हें विधिवत प्रशिक्षण दिया जाता है. प्रशिक्षण पूरा करने के बाद किसानों को उपकरण, पूंजी और कीटनाशक आदि उपलब्ध कराये जाते हैं. किसानों को योजना के तहत बाजार भी उपलब्ध कराया जाता है. इस योजना का लाभ व्यक्ति और परिवार दोनों को मिल सकता है. इसके तहत सब्सिडी का भी इंतजाम है.
किसे मिलेगा योजना का लाभ
योजना का लाभ झारखंड प्रदेश के किसी भी अनुसूचित जनजाति परिवार के सदस्य को मिल सकता है. अगर आप झारखंड के निवासी हैं और अनुसूचित जनजाति समुदाय से आते हैं, तो आप इस योजना का लाभ ले सकते हैं.
आंबेडकर तकनीकी छात्रवृत्ति
यह योजना अनुसूचित जनजाति के उन छात्र-छात्रओं के लिए है, जो राज्य के बाहर किसी मान्यता प्राप्त मेडिकल या इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहे है. उन्हें अपनी तकनीकी शिक्षा को आगे बढ़ाने में मदद के रूप में यह छात्रवृत्ति दी जाती है. इस योजना के तहत छात्र-छात्रओं को प्रवेश शुल्क, संस्थान फीस, परीक्षा फीस और बारह माह के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाती हैं. छात्रवृत्ति की राशि बैंक ड्राफ्ट के रूप में संबंधित प्रधानाचार्य को भेजा है.
कौन ले सकता है लाभ
इस योजना का लाभ झारखंड के अनुसूचित जनजाति परिवार का कोई भी छात्र-छात्र ले सकता है, जो मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है. इस योजना के लाभ के लिए आप आदिवासी कल्याण आयुक्त झारखंड, रांची के कार्यालय से भी संपर्क कर सकते हैं.
आदिम जनजाति प्रशिक्षण योजनायह योजना सौ प्रतिशत अनुदान पैटर्न पर राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित है. इसके तहत आदिम जनजाति के लोगों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है. यह आदिम जनजाति की बेहद कम जीवन मानकों को ध्यान में रख कर शुरू की गयी योजना है. इसके संचालन में कल्याण विभाग गैर सरकारी संगठनों और स्वयं सेवी संगठनों की भी मदद लेता है. विभाग पहले आदिम जनजाति समुदाय के वैसे लोगों को चिह्न्ति करता है, जिन्हें इस योजना का लाभ दिया जा सकता है. ऐसे चिह्न्ति लोगों को पहले व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है. फिर उन्हें स्वरोजगार शुरू करने के लिए सहायता दी जाती है. इसमें मोटर पंप मैकेनिक, टीवी और बिजली मरम्मत, कंप्यूटर आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है.
कहां करें संपर्क
इस योजना का लाभ लेने के लिए आप प्रखंड कल्याण पदाधिकारी से संपर्क कर सकते हैं. आप चाहें, तो सीधा कल्याण विभाग, झारखंड सरकार या हर प्रमंडल के कल्याण उप निदेशक कल्याण को भी आवेदन दे सकते हैं.
कल्याण विभाग का ढांचा
शासन स्तर
सचिव
विशेष सचिव
उप सचिव (योजना)
उप सचिव (प्रशासन)
उप सचिव
निदेशालय स्तर
आदिवासी कल्याण आयुक्त
प्रमंडल स्तर पर
उप निदेशक
मेसो परियोजना पदाधिकारी
जिला स्तर पर
जिला कल्याण पदाधिकारी
अनुमंडल स्तर
अनुमंडल कल्याण पदाधिकारी
प्रखंड स्तर
प्रखंड कल्याण पदाधिकारी
अन्य संस्थान : जनजातीय शोध संस्थान
निदेशक
जनजातीय संग्राहलय क्यूरेटर
उप निदेशक
सहायक निदेशक
शोध अधिकारी
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कल्याण विभाग की प्रमुख योजनाएं
अनुसूचित जनजाति के लिए लाख विकास योजना
छात्रवृत्ति योजना
आंबेडकर तकनीकी छात्रवृत्ति
आदिम जनजाति व्यावसायिक प्रशिक्षण योजना
पहाड़िया छात्रों के लिए मिड डे मील योजना
साइकिल वितरण योजना
वाणिज्यिक पायलट प्रशिक्षण योजना
हॉस्टल का निर्माण योजना
अनुसूचित जनजाति आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केन्द्र योजना
अनुसूचित जाति- जनजाति कीछात्राओंको पोशाक वितरण
आदिम जनजाति मुख्यमंत्री विशेष खाद्य सुरक्षा योजना
आदिम जनजाति के लिए बिरसा मुंडा आवास योजना