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नींद आने के समय सीखना कारगर
बच्चे जब पूरी तरह जगे हों, तभी पढ़ें, यह धारणा हुई पुरानी सोते समय किताबें पढ़ने की आदत यूं तो कई लोगों की होती है, लेकिन बड़ों की यह आदत अगर छोटे बच्चे भी अपनाएं तो यह उनके दिमाग के लिए फायदेमंद होगी. एक नये अध्ययन में यह बात सामने आयी है. नयी चीजें जल्दी […]
बच्चे जब पूरी तरह जगे हों, तभी पढ़ें, यह धारणा हुई पुरानी
सोते समय किताबें पढ़ने की आदत यूं तो कई लोगों की होती है, लेकिन बड़ों की यह आदत अगर छोटे बच्चे भी अपनाएं तो यह उनके दिमाग के लिए फायदेमंद होगी. एक नये अध्ययन में यह बात सामने आयी है.
नयी चीजें जल्दी सीखने के लिए सोते समय उन्हें पढ़ना फायदेमंद हो सकता है, खास कर बच्चों के लिए. शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया है कि सोने के दौरान छोटे बच्चों में मस्तिष्क का विकास होता है और अगर इसके ठीक पहले नयी चीजें पढ़ी जायें तो मस्तिष्क उसे सबसे बेहतर तरीके से ग्रहण करता है.
यह शोध करनेवाले शेफील्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अनुसार, कई अभिभावकों का यह मानना है कि उनके बच्चे अगर सजग, सचेत और सावधान होकर पढ़ाई करेंगे तो वे ज्यादा सीख पायेंगे, लेकिन हमारे इस शोध के निष्कर्ष इस बात को पूरी तरह से सही नहीं ठहराते हैं. इंगलैंड के साउथ यॉर्कशायर स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड के मनोविज्ञान विभाग के डॉ जेन हरबर्ट इस बारे में बताते हैं कि आम तौर पर अभिभावकों को अपने छोटे बच्चों के स्कूल से कई तरह की सलाहें मिलती हैं, मसलन उन्हें कब सुलाना है और कब जगाना. लेकिन अध्ययन में हमने इस बात का पता लगाया कि बच्चों में सामान्य तौर पर आनेवाली नींद के थोड़ा पहले किताबें पढ़ने जैसी गतिविधियां कितनी फायदेमंद होती हैं.
यह पता लगाने के लिए कि शिशुओं के सोने और सीखने के बीच में क्या रिश्ता है, शोधकर्ताओं ने छह माह से एक साल तक की उम्र वाले 216 स्वस्थ शिशुओं के दिन में सोने के बाद सीखी गयी नयी चीजों को याद करने की क्षमता का पता लगाया.
इस दौरान उन्होंने खिलौने के हाथ-पैर निकाल कर उन्हें फिर से लगाने को दिया और इसी चीज को चार और 24 घंटे के बाद उन्हें फिर से दोहराने को दिया गया. यह गतिविधि सीखने के चार घंटे के भीतर लगभग 30 मिनट की नींद लेने वाले बच्चों और इन चार घंटों में लगातार जगे रहनेवाले बच्चों के बीच यह तुलना की गयी कि किसने कितना सीखा.
प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकैडमी ऑफ साइंसेज में छपे इस अध्ययन की रिपोर्ट यह बताती है कि खेल सीखने के चार घंटे के भीतर नींद लेनेवाले बच्चों ने उन बच्चों से बेहतर प्रदर्शन किया जिन्होंने नींद नहीं ली थी. डॉ हरबर्ट यह बताते हैं कि हमारे इस अध्यययन का निष्कर्ष उन अभिभावकों और शिक्षाविदों के लिए उपयोगी साबित होगा, जो यह सोचते हैं कि छोटे बच्चों को कोई नयी चीज सिखाने का सबसे सही समय उनके सोने के समय से पहले का होता है.
अब तक लोग यही समझते आये थे कि बच्चे जब पूरी तरह से जगे होते हैं तो वे चीजों को सबसे अच्छी तरह से सीखते हैं, बनिस्पत इसके कि जब वे थके हुए और ऊं घते हुए नजर आयें. लेकिन हमारे परिणाम इस बात की पुष्टि करते हैं कि सोने से ठीक पहले बच्चे अगर कुछ सीखें तो उसे वे लंबे समय तक याद रख सकते हैं. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके लिए कम से कम 30 मिनट की नींद जरूरी है. इससे कम की नींद से याद की गयी चीजें ज्यादा देर तक दिमाग में रह नहीं पातीं.
इससे पहले के अध्ययन यह साबित कर चुके हैं कि वयस्कों में नींद, उनके सीखने और समस्याओं के समाधान की क्षमता और याददाश्त को बेहतर बनाती है. बहरहाल, अब यह टीम इस बात का पता लगाने में जुटी है कि नींद से शिशुओं की याददाश्त तो बेहतर होती ही है, बल्कि उस याददाश्त का वे किस तरह और कितना इस्तेमाल कर पाते हैं.
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