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दाह-संस्कार के लिए मुरदे भी करते हैं 15 सौ रुपये का इंतजार
नि:सहाय लोगों के निधन पर दाह-संस्कार को नहीं मिलती है अंत्येष्टि योजना की राशि 15 सौ की आस में मुखिया से लेकर प्रखंड कार्यालय तक गणोश परिक्रमा करने को विवश होते हैं मृतक के आश्रित बेगूसराय/नीमाचांदपुरा : राज्य की सरकार भले ही गरीबों की कल्याणार्थ कई योजनाओं को धरातल पर उतारने का दावा कर रही […]
नि:सहाय लोगों के निधन पर दाह-संस्कार को नहीं मिलती है अंत्येष्टि योजना की राशि
15 सौ की आस में मुखिया से लेकर प्रखंड कार्यालय तक गणोश परिक्रमा करने को विवश होते हैं मृतक के आश्रित
बेगूसराय/नीमाचांदपुरा : राज्य की सरकार भले ही गरीबों की कल्याणार्थ कई योजनाओं को धरातल पर उतारने का दावा कर रही हो लेकिन सच्चई है कि अब भी इन योजनाओं का लाभ गरीबों को या तो नहीं मिल रहा है या फिर इन योजनाओं का लाभ पाने के लिए पंचायत के जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रखंड कार्यालय का गणोश परिक्रमा मृतक के आश्रितों को करना पड़ता है.
स्थिति यह हो जाती है कि मुरदों को भी 15 सौ रुपये का इंतजार करना पड़ता है. कई बार इस योजनाओं में शासन और प्रशासन की लापरवाही के विरोध में लोगों के द्वारा आवाज भी बुलंद की जाती है लेकिन अब तक इस दिशा में सकारात्मक प्रयास नहीं हो पाया है. नतीजा है कि अब भी बड़ी संख्या में लोग इस योजना की राशि पाने के लिए टकटकी लगाये हुए हैं.
कई प्रखंडों में दम तोड़ रही है कबीर अंत्येष्टि योजना
बीपीएल के दायरे में आनेवाले नि:सहाय लोगों के निधन पर शव के दाह-संस्कार के लिए सरकार के द्वारा चलायी जा रही कबीरअंत्येष्टि योजना बेगूसराय के कई प्रखंडों में दम तोड़ रही है. बेगूसराय के सदर प्रखंड में इस योजना का बुरा हाल है. ऐसे तो इस प्रखंड की सभी पंचायतों में इस योजना पर ग्रहण लगा हुआ है लेकिन प्रखंड का इकलौता महादलित बहुल कुसमहौत पंचायत में इस योजना की दुर्दशा कुछ और ही बयां कर रही है.
फंड में राशि नहीं रहने से यहां नि:सहाय के निधन पर उसकी लाश आंगन में पड़ी रहती है. वहीं मृतक के परिजन कबीर अंत्येष्टि योजना की राशि पाने की आस में मुखियाजी के दालान पर घंटों इंतजार करते हैं. गरीबी से लाचार आश्रितों के द्वारा काफी गिड़गिड़ाने के बाद कभी-कभार, तो मुखिया भी बेबस होकर अपनी जेब से रुपये दे देते हैं.
दर्जनों को नहीं मिल पायी है कबीर अंत्येष्टि की राशि
इस पंचायत में महीनों पूर्व 25 से 30 लोगों के निधन के बाद अब तक उनके आश्रितों को कबीर अंत्येष्टि योजना की राशि नहीं मिली है. बताया जाता है कि 10-15 दिन पूर्व ग्रामीण चूरो पासवान की पत्नी उर्मिला देवी का निधन हो गया. कुछ दिन पूर्व ही श्रद्ध कर्म भी हुआ. अब तक कबीर अंत्येष्टि योजना के 15 सौ रुपये नहीं दिये गये हैं. यह सिर्फ एक व्यक्ति की बात नहीं वरन दर्जनों ऐसे लोग हैं, जहां उन्हें इस योजना की राशि कठिन मशक्कत के बाद भी नहीं मिल पायी है. जगदीश सदा का निधन हो गया. उसके परिजन भी कभी मुखिया का दरबार, तो कभी प्रखंड कार्यालय का गणोश परिक्रमा करने को विवश हैं. इसी तरह से अनिल सदा की पुत्री का निधन हो गया लेकिन इस योजना का लाभ उस परिवार को अब तक नहीं मिल पाया. इससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है.
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