मोटरसाइकिल से 24 घंटे में 1650 किलोमीटर की यात्र पूरी की
और भी हैं शौक
चित्र के अनुसार, यह अलग बात है कि राइडिंग मेरा शौक रहा है, पर राइडिंग पूरे जीवन के लिए कैरियर के रूप में सही साबित नहीं हो सकता. राइडिंग के अलावा वह स्थानीय चैनलों के लिए ट्रेवल शो होस्ट करती हैं. वह मैनेजमेंट कंपनी में मोटिवेशनल स्पीच देने का काम भी करती हैं. वह कहती हैं कि आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मैं राज्य स्तर की राइफल शूटर भी रह चुकी हूं. राइडिंग के शौक को भविष्य से जोड़ते हुए चित्र प्रिया बताती हैं कि मेरी इच्छा है कि बाइक से मैं 80 दिनों में पूरे दुनिया की सैर करूं.
राहुल गुरु
डॉक्टर पिता और कला प्रेमी मां की बेटी और आइटी प्रोफेशनल भाई की प्यारी बहन 28 वर्षीय चित्र प्रिया के लिए 6 दिसंबर 2011 की सुबह 6 बजे का समय सपने को पूरा करने का समय था. वह पिछले 23 घंटे से होंडा सीबीआर 250 आर से अपने सपने का पीछा कर रही थीं. उन्होंने 24 घंटे से भी कम समय में 1,650 किमी का सफर पूरा किया. अपने सफर को पूरा करने के साथ ही वह देश की पहली महिला बाइक राइडर बनीं, जिसने इतनी दूरी तक बाइक चलायी. यह गौरव उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले बाइक रेस में हिस्सा ले कर मिला. सेडल सोर राइड रेस को अमेरिका के इंटरनेशनल आइरन बट्ट एसोसिएशन ने प्रोमोट किया था.
क्या है सेडल सोर राइड
सेडल सोर राइड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाने वाली बाइक रेस है. इस रेस में दुनिया भर के बाइक रेस प्रेमी हिस्सा लेते हैं. यह रेस पूरी दुनिया में विभिन्न समय में आयोजित किया जाता है. इस रेस की कई श्रेणियां हैं, जो क्रमश: 24 घंटे में 1610 किमी, 24 घंटे में 2000 किमी, 36 घंटे में 2500 किमी में बांटी गयी हैं.
जीत की तैयारी
चित्र प्रिया को इस रेस में हिस्सा लेने का विचार 2010 में आया, लेकिन वह इस बात को जानती थी कि यह रेस आसान नहीं है. यदि आप एक मिनट भी देर करते हैं तो आपको अयोग्य घोषित कर दिया जायेगा. इस रेस में भाग लेने के लिए उन्होंने कई दिनों पहले से तैयारी शुरू कर दी थी. इसके तहत उसने जरूरी चीजों जैसे सड़कों की स्थिति का जायजा लिया. अंतत: उन्होंने बेंगलुरु से पुणो का रास्ता चुना. उन्होंने 25 दिसंबर 2011 को अपनी यात्र की शुरुआत की और सारी मुसीबतों से लड़ते हुए अगले 23 घंटे 40 मिनट में 1,650 किलोमीटर की दूरी को पूरा किया.
ऐसे हुई राइडिंग की शुरुआत
चित्र प्रिया बताती हैं कि बाइक राइडिंग की यात्र की शुरुआत घर से 30 किमी दूर स्थित कॉलेज आने–जाने से हुई. वह कॉलेज स्कूटर से जाती थीं. इस दौरान उनके भाई ने मोटरसाइकिल खरीदने की सलाह दी. एक लड़की के लिए मोटरसाइकिल खरीदना अस्वाभाविक पसंद था. कॉलेज जाने के लिए बाइक स्कूटर के अलावा अन्य अच्छे विकल्पों में से एक था. मैं हर दिन बाइक से ही आना जाना करती थी. मुङो लगता था कि मैं अच्छा बाइक चला लेती हूं. मेरे दोस्त भी इस बात पर गौर किया करते थे. आगे वह बताती हैं कि मुङो पूरी तरह तो याद नहीं पर किसी ने कहा था कि उसे पेशेवर बाइक राइडर बनने पर विचार करना चाहिए.
बढ़ते गये कदम
चित्र प्रिया ने पहली बार 2005 में रेस में हिस्सा लिया था. यह रेस बेंगलुरु में आयोजित की गयी थी. जिसे ड्रेग रेसिंग इवेंट नाम दिया गया था. इस रेस में उन्होंने जीत हासिल की थी. उन्होंने दूसरी बार रेस में हिस्सा मुंबई में लिया था. वहां भी उन्होंने जीत हासिल की. चित्र बताती हैं कि दो रेस में फतह हासिल करने के बाद मैं रेसिंग में दिलचस्पी दिखायी. अब मैं रेस में मौजूद अवसरों को जानना चाहती थी. मैं यह भी जानना चाहती थी कि उसके लिए किन चीजों की जरूरत होती है.
चित्र प्रिया आगे बताती हैं कि मैंने व्यवसायिक रूप से पहली बार रेस में हिस्सा चेन्नई के श्रीपेरुमबुदुर स्थित इरुनगट्टकोट्टाई रेस ट्रैक के यूसीएएल रॉलोन नेशनल रेसिंग चैंपियनशिप में लिया था. इस रेस में हिस्सा लेने वाले प्रतियोगियों में मैं एकमात्र महिला राइडर थी. जब रेस खत्म हुआ तब मैंने खुद को तीसरे स्थान पर रखते हुए पोडियम पर जगह बना ली थी. जहां मुङो रेस में हिस्सा लेने का प्रमाणपत्र भी मिला. इसके बाद मैंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
2010 में उन्होंने महिंद्रा द्वारा अपने दोपहिये महिंद्रा स्टैलियो को प्रोमोट करने के लिए आयोजित किये गये द ग्रेट इंडियन राइड में हिस्सा लिया. यह रेस 40 दिनों की थी, जिसकी शुरुआत कन्याकुमारी से हुई और कंपनी के प्लांट नागपुर स्थित जीरो माइल पर खत्म हुई. इस रेस में वह चुने गये 20 फाइनलिस्टों में से चित्र प्रिया एक थीं.
इस रेस के बाद उन्होंने 2011 में यूटीवी बिंदास द्वारा आयोजित की गयी रेस में हिस्सा लिया. यह रेस नयी दिल्ली से समुद्र तल से 18,380 फीट की ऊंचाई पर तिब्बत में स्थित करधुंग–ला में खत्म हुई. इस रेस को चित्र प्रिया ने रॉयल एनफील्ड बाइक से 15 दिनों में पूरा किया. इस रेस की खासियत यह थी कि इसमें बड़ी संख्या में महिला बाइक राइडर्स ने हिस्सा लिया था. और इसी वजह से इस रेस का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज भी हुआ.