।। दक्षा वैदकर ।।
हम में से हर किसी की जिंदगी में कोई-न-कोई घटना ऐसी जरूरी होती है, जो हमारा मन अशांत कर देती है. हमें तनाव दे देती है. हमें दुखी कर देती है. यह घटना परिवार में, कॉलेज में, दोस्तों के साथ, ऑफिस के कर्मचारियों के साथ कभी भी, कहीं भी हो सकती है.
हम सभी के साथ ऐसा भी होता है कि जिस चीज के लिए हम किसी जमाने में इतना परेशान हो रहे थे, रो रहे थे, दुखी थे, वो बात कई सालों बाद याद करते हुए हम सोचते हैं- ‘यार, मैं भी कितना पागल था. मैं इस चीज के लिए परेशान था. इस बात के लिए रो रहा था. इस छोटी-सी बात के लिए मैंने अपना इतना समय बरबाद किया’.
दोस्तो, दरअसल ये स्पीड ब्रेकर्स ही हमारी गाड़ी की रफ्तार कम कर देते हैं. इनसे बचने के लिए मैं एक आइडिया देती हूं. जब भी आपके साथ कोई घटना हो, आप उसी वक्त खुद को कल्पना में एक-दो साल आगे ले जायें और सोचें कि जो चीज मुझे अभी परेशान कर रही है, क्या दो साल बाद भी यह चीज मुझे इतना ही परेशान करेगी? बस, आपको आपका जवाब मिल जायेगा.
दरअसल जिंदगी चलती रहती है. यह कभी रुकती नहीं है. समय के साथ हर चीज धुंधली हो जाती है और हम भी बहुत आगे निकल जाते हैं. जब सब कुछ ऐसा ही होता है और हम यह जानते भी हैं, तो क्यों उस चीज पर हम समय बरबाद करें, जिस पर हम सालों बाद हंसने वाले हैं. जो चीज बाद में हमारे लिए बेमानी होने वाली है?
आप आज से ही तय करें कि आप खुद को भविष्य में ले जाने की प्रैक्टिस करेंगे. अगर आपका मोबाइल चोरी हो जायेगा, तो आप सोचेंगे कि एक साल बाद भी क्या मैं इस बात पर इतना परेशान रहूंगा. अगर कॉलेज में दोस्तों के सामने अपमान हो जाये, तो सोचेंगे कि क्या एक साल बाद भी मैं इस बात इतना ही दुखी रहूंगा.
इंटरव्यू में आप रिजेक्ट हो जायें, लड़केवाले आपको पसंद न करें, तब भी सोचे कि एक साल बाद भी क्या ये बातें मुझे इतना ही परेशान करेंगी? दोस्तो, अपना मन अशांत करने की बजाय खुद को भविष्य में ले जायें और परिस्थिति को अलग तरह से देखें. फिर देखें इस टाइम मशीन का कमाल है. आपका मूड तुरंत ठीक हो जायेगा.
– बात पते की
* कई बार परिस्थितियां इतनी खराब नहीं होती, जितनी हम उन्हें सोच-सोच कर बना देते हैं. हर घटना पर बेवजह ज्यादा सोचना बंद करें. आगे बढ़ें.
* घटनाओं को सहज तरीके से लें. दुनिया की बड़ी-से-बड़ी घटना कुछ सालों बाद छोटी लगने लगती है. यह सत्य है, इसे समझें. बेवजह दुखी न हों.