।। दक्षा वैदकर ।।
कोई व्यक्ति कितना सफल होता है, यह बात उसके संघर्ष और माता-पिता की परवरिश पर निर्भर करती है. यदि माता-पिता ने बच्चे को खुला आसमान दिया, उन्हें संघर्ष करना सिखाया, उनके सपनों पर पाबंदियां नहीं लगायीं, उन्हें एक दिशा दिखायी, तो निश्चित ही बच्चे बड़े हो कर सफलता की ऊंचाइयां छुयेंगे. आपका नाम रोशन करेंगे.
ठीक उसके विपरीत अगर माता-पिता ने बच्चों की खूबियों को दबाया, उन पर ज्यादा रोक-टोक लगायी, उनकी ख्वाहिशों को बेड़ियों में जकड़ दिया, तो बच्चे बड़े हो कर जीवनयापन जितना कमा तो लेंगे, लेकिन ऊंचाइयां न छू पायेंगे. इस बात को कुछ इस तरह समझें.
जापानी लोग एक पेड़ लगाते हैं. इसे बोनसाई कहते हैं. इसकी ऊंचाई इंचों में नापी जाती है. कैलीफोर्निया में हम विशाल पेड़ों का एक जंगल पाते हैं जिसे सिक्वोयस कहते हैं. इन विशाल पेड़ों में से एक का नाम जनरल शरमन रखा गया है. 272 फीट ऊंचा और 70 फीट चौड़ा यह खूबसूरत विशाल पेड़ इतना बड़ा है कि अगर इसे काटा जाये, तो इससे इतनी लकड़ी मिलेगी कि 35 कमरे बन जायें. एक समय था, जब बोनसाई पेड़ और जनरल शरमन एक ही आकार के थे. जब वे बीज थे, तो दोनों का वजन एक औंस से भी बहुत कम था.
परिपक्व होने पर उनके आकार में अंतर बहुत अधिक आया. लेकिन उनके आकार के पीछे भी एक कहानी है, जो जीवन के लिए सबक है. जब बोनसाई पेड़ ने जमीन से अपना सिर ऊपर उठाया, तो जापानियों ने उसे मिट्टी से खींचा और उसकी सीधी जड़ को व कुछ पोषक जड़ों को रस्सी से बांध दिया. इस तरह जान-बूझ कर उसकी वृद्दि में रुकावट डाल दी. परिणाम हुआ एक लघु आकार. खूबसूरत, लेकिन लघु आकार.
जनरल शरमन का बीज कैलीफोर्निया की उपजाऊ जमीन में पड़ा और खनिजों, बारिश और धूप से पोषित हुआ. परिणाम हुआ विशाल वृक्ष. ना तो बोनसाई और ना ही जनरल शरमन को अपनी नियति का चुनाव करना उपलब्ध था. लेकिन आपको है. आप जितना चाहें, उतने बड़े हो सकते हैं. आपकी आत्मछवि, जिस तरह से आप देखते हैं, निर्धारित करेगी कि आप कैसे होंगे. चुनाव आपका है.
– बात पते की
* मुसीबतों से घबरायें नहीं, उनका सामना करें. आप जितना संघर्ष करेंगे और उतने ही मजबूत होंगे. तब आपकी ऊंचाइयों को कोई नहीं छू पायेगा.
* खुद को पोषित करें. ज्ञानवर्धक किताबें पढ़ें. अच्छे, ईमानदार, समझदार लोगों की संगत में रहें, दिमाग की क्षमता विकसित करें.