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इस साल नहीं मिलेंगे किन्नौर के रसीले सेब…

अपने बेहद मीठे स्वाद और लाल सुर्ख रंग के लिये दुनिया भर में मशहूर किन्नौर के सेब इस बार शायद खाने को नहीं मिलेंगे. हिमालय की गोद में बसे किन्नौर में पैदा में होने वाले ये सेब जिले में हुई भारी बारिश के बाद आई बाढ़ और बर्फ की भेंट चढ़ गये हैं. हिमाचल प्रदेश […]

अपने बेहद मीठे स्वाद और लाल सुर्ख रंग के लिये दुनिया भर में मशहूर किन्नौर के सेब इस बार शायद खाने को नहीं मिलेंगे. हिमालय की गोद में बसे किन्नौर में पैदा में होने वाले ये सेब जिले में हुई भारी बारिश के बाद आई बाढ़ और बर्फ की भेंट चढ़ गये हैं. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अनुसार भारी बारिश से आई बाढ़ के कारण सेब की करीब नब्बे फीसद फसल नष्ट हो गयी है.

उन्होंने कहा, ‘‘किन्नौर में सेब की लगभग 90 प्रतिशत फसल नष्ट हो गई है तथा इस बार किन्नौर के रसीले और मीठे सेब देशवासियों को नहीं मिल पायेंगे.’’ सिंह ने कल कहा कि किन्नौर में फलों के पौधों को बचाने के लिये हेलीकाप्टर से 300 बागवानी विशेषज्ञ उतारे गये हैं जो फलों को उनकी खोई रंगत लौटाने तथा उनके आकार आदि को मूल रुप में लाने का प्रयत्न करेंगे.

उल्लेखनीय है कि अपने रसीले और बेहतरीन स्वाद के लिये मशहूर ये सेब किन्नौर की खास विशेषता माने जाते हैं. करीब 10 हजार फुट की उचाई पर पैदा होने वाले किन्नौर के सांगला और पोह ब्लॉक में पैदा होने वाले इस सेब की दो प्रजातियां-रॉयल और गोल्डन-बेहद लोकप्रिय हैं. गत वर्ष इसका औसतन मूल्य 250 रूपये प्रतिकिलो था और किन्नौर के चांगो, में हर साल एक लाख पेटी (10 किलोग्राम की एक पेटी) सेब का उत्पादन होता है.

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