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एक अफसर के संकल्प ने बदल दिया सिमरकुंडी गांव

कोडरमा जिले के मरकच्चो प्रखंड के सिमरकुंडी गांव की चर्चा न केवल अपने जिले एवं राज्य की राजधानी रांची बल्कि दिल्ली में भी है. इसकी वजह है गांव में आया जबर्दस्त सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव. यह गांव कोडरमा-गिरीडीह मुख्य पथ पर बरियाडीह से सात किलोमीटर दूर स्थित है. गांव में 40 परिवार वास करते हैं. […]

कोडरमा जिले के मरकच्चो प्रखंड के सिमरकुंडी गांव की चर्चा न केवल अपने जिले एवं राज्य की राजधानी रांची बल्कि दिल्ली में भी है. इसकी वजह है गांव में आया जबर्दस्त सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव.

यह गांव कोडरमा-गिरीडीह मुख्य पथ पर बरियाडीह से सात किलोमीटर दूर स्थित है. गांव में 40 परिवार वास करते हैं. इसमें 20 संथाल, 17 घटवार एवं तीन रवानी जाति के हैं. 2007 से पहले इस गांव तक आने-जाने के लिए सड़क नहीं थी. ग्रामीण सात किलोमीटर पहाड़ एवं जंगल के उबड़-खाबड़ रास्ते को तय कर मुख्य पथ तक आते थे. अशिक्षा, कुपोषण, पलायन, नशाखोरी आदि गांव की पहचान थी. लोग वन विभाग के जंगल की लकड़ियां काटकर उसे शहर जाकर बेचते थे. इससे उनका घर चलता था. रोजी-रोटी की तलाश में आधे से ज्यादा लोग गांव छोड़कर चले गये थे. सिर्फ पर्व-त्योहार में दो-चार दिन के लिए आते थे. भूख का आलम यह था कि बो स्कूल नहीं जाते थे.

उमेश यादव की पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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