नदी की धारा की तरह उनकी कहानियां भी बड़ी रोचक होती हैं. कैसे वे उद्गम से निकलीं और कहां-कहां होती हुई सागर से मिलीं. हमारा जनमानस इन कहानियों को अपनी नजर से देखता है.
उन्हें मानवीय स्वरूप देता है. झारखंड की नदियों की ऐसी ही कहानी प्रसिद्ध नागपुरी रचनाकार गिरधारी राम गौझू गिरिराज ने पंचायतनामा के पाठकों के लिए सुनाने का भार स्वीकारा है. वे जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, रांची के निदेशक रह चुके हैं. पेश है इन रस-कथाओं की पहली कड़ी..
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