पटना: चार साल पहले. सुबह का वक्त था. पटना के इंद्रपुरी रोड में किराये के मकान में रह रहे सीआइएसएफ के एएसआइ का बेटा अभिषेक फस्र्ट फ्लोर की बालकोनी में खड़ा था. इस 10 साल के बालक की नजर अचानक नीचे सड़क पर स्थित मैनहोल के गंदे पानी व कीचड़ पर गयी. उसमें एक छोटे बच्चे का बाल दिखा. वह जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था.
अभिषेक ने न तो शोर मचाया और न ही देर की. वह तत्काल पहुंचा और काफी प्रयास के बाद बच्चे का कॉलर पकड़ कर ऊपर की तरफ खींचा. शरीर का आधा हिस्सा बाहर आने के बाद बच्चे की पैंट एक सरिया में फंस गयी. उसने फिर से प्रयास किया और बच्चे को बाहर निकाला. बच्चे के मुंह में गंदा पानी चला गया था. इलाज के बाद वह ठीक हो सका. इस साहसिक और बुद्धिमता का परिचय देनेवाले अभिषेक को बाल दिवस पर 14 नवंबर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सम्मानित किया.
मां-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं
दरभंगा के बहेरी थाना क्षेत्र के तुर्की गांव का रहनेवाले शशि कुमार सीआइएसएफ में एएसआइ हैं. वह सीआइएसएफ इस्टर्न सेक्टर पटना में तैनात हैं. वर्ष 2010 में वह इंद्रपुरी के रोड नंबर 5 में मधुसूदन शर्मा के मकान में भाड़ पर रहते थे. 23 मार्च, 2010 को अभिषेक ने वीरता का परिचय देते हुए मधुसूदन शर्मा के तीन वर्षीय नाती को मैनहोल से निकाला था. इस बाल प्रयास से एक जिंदगी मौत के मुंह में जाने से बच गयी. इसके लिए सीआइएसएफ की तरफ से महिला एवं बाल विकास मंत्रलय को भेजी गयी सूची में अभिषेक का चयन उत्कृष्ट उपलब्धि हेतु राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए चयनित किया गया. इस वर्ष बाल दिवस पर राष्ट्रपति ने अभिषेक को सिल्वर मेडल, 10 हजार रुपये व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है. अभिषेक ने इस साहसिक कार्य से दरभंगा सहित पूरे बिहार का नाम रोशन किया है. अभिषेक को सम्मान मिला, तो मां-बाप के खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने बेटे की पीठ थपथपायी और आगे भी अपने जिले व प्रदेश का नाम रोशन करने का आशीर्वाद दिया. पिता शशि कुमार को अपने होनहार बेटे पर गर्व है. अभिषेक की इस उपलब्धि से वह सुर्खियों में हैं.
अभिषेक का परिचय
जन्म : 21 नवंबर, 1999
मूल रूप से दरभंगा का निवासी
घटना के समय छठी का छात्र था अभिषेक
अब कृष्णा पब्लिक स्कूल में 11वीं का छात्र है