उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी कद्दावर नेताओं को किनारे करते हुए नए नेताओं का क़द बढ़ा रही है.
भारतीय जनता पार्टी की एक राष्ट्रीय चयन समिति ने उत्तर प्रदेश में नेताओं की नई पीढ़ी को आगे लाने के लिए सदस्यता अभियान शुरू किया है.
27 अक्टूबर को जारी इस अभियान के लिए स्वतंत्र देव सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की टीम गठित की गई.
कहा जा रहा है कि अब कल्याण सिंह और लालजी टंडन जैसे नेताओं का ज़माना गया.
राजनाथ सिंह, मुरली मनोहर जोशी और कलराज मिश्र भी अब प्रदेश की राजनीति में हाशिए पर आ गए हैं.
नए नेताओं का क़द यदि प्रदेश स्तर पर बढ़ा है तो राष्ट्रीय स्तर पर भी कुछ अन्य नाम सुर्ख़ियों में आए हैं.
लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा को पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने के कुछ हफ़्तों बाद ही गुजरात का प्रभारी बना दिया गया.
टिकी हैं निगाहें
उनके साथ-साथ आगरा से सांसद और दलित नेता रामशंकर कठेरिया, प्रदेश विधान परिषद के सदस्य महेंद्र सिंह, सिद्धार्थ नाथ सिंह, अरुण सिंह और श्रीकांत शर्मा को भी प्रभारी बनाया गया.
भाजपा के इन नए उदीयमान नेताओं में सबकी निगाहें दिनेश शर्मा पर टिकी हैं. शर्मा लखनऊ विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग में प्रोफेसर हैं और दूसरी बार लखनऊ के मेयर बने हैं.
उनको पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया जाना अगर बड़ी ख़बर थी तो उससे बड़ी ख़बर थी उनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य गुजरात का प्रभारी बनाया जाना.
स्वभाव से विनम्र दिनेश शर्मा कहते हैं कि ये पार्टी नेतृत्व का फ़ैसला है. वो कहते हैं, "इसमें मेरा कोई मंतव्य नहीं है."
पार्टी का भरोसा
महेंद्र सिंह को असम का प्रभार सौंपा गया है और यह भी इस बात का प्रमाण है कि पार्टी नेतृत्व का प्रदेश के इन नेताओं की कार्यकुशलता पर विश्वास है.
नए नेताओं के बढ़ते क़द के समानांतर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का ख़्वाब देख रहे वरुण गांधी को किनारे कर दिया गया है.
पार्टी के सूत्रों के अनुसार वरुण गांधी से ज़्यादा प्रमुखता गोरखपुर के गोरक्षधाम के महंत और सांसद योगी आदित्यनाथ को दी जाएगी.
नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक भाजपा नेता ने कहा, "आदित्यनाथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विश्वासपात्र हैं और 2017 में होने वाले विधान सभा चुनावों में उनको एक बार फिर अहम भूमिका दी जाएगी."
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