भारत की स्टार महिला टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा ने अपनी जोड़ीदार ज़िम्बाव्वे की कारा ब्लैक के साथ मिलकर बीते शनिवार को डब्ल्यूटीए फाइनल्स का महिला युगल वर्ग का ख़िताब जीत लिया.
फ़ाइनल में तीसरी वरीयता हासिल इस जोड़ी ने दूसरी वरीयता हासिल जोड़ी के रूप में खेल रही चीन की पेंग शुआई और चीन ताइपे की सीह सू वेई को एकतरफा रूप से 6-1, 6-0 से मात दी.
सानिया मिर्ज़ा पहली बार डब्ल्यूटीए फाइनल्स में अपनी जगह बनाने में कामयाब रही थीं.
सानिया मिर्ज़ा के पिता इमरान मिर्ज़ा ने बीबीसी से ख़ास बातचीत में खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि उन्हे अपनी बेटी पर गर्व हैं.
यह भारत के टेनिस इतिहास में पहली बार हुआ हैं कि किसी खिलाड़ी ने ऐसी कामयाबी हासिल की है.
हालांकि टेनिस के कोर्ट पर ऐतिहासिक ख़िताबी जीत हासिल करने के बावजूद सानिया मिर्ज़ा और कारा ब्लैक की जोड़ी टूटने जा रही हैं.
एक जोड़ी के रूप में यह उनका अंतिम टूर्नामेंट था. इसकी वजह बताते हुए सानिया मिर्ज़ा के पिता इमरान मिर्ज़ा ने कहा कि कारा ब्लैक अब अपने परिवार को अधिक समय देना चाहती हैं.
कारा ब्लैक शायद कुछ टुर्नामेंट और खेले लेकिन वह पूरे साल सानिया के साथ खेलना नहीं चाहती थीं.
सही फ़ैसला
अब इसे इत्तेफाक़ कहे या कुछ और कि सानिया मिर्ज़ा इसी टूर्नामेंट को खेलने के लिए पहले बीते दिनों इंचियोन एशियाई खेलों में भाग नही लेना चाहती थी, ताकि उनकी रैंकिंक पर असर ना पड़े.
इसे लेकर इमरान मिर्ज़ा का कहना हैं कि जब दूसरे बड़े खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों में ना जाने का फ़ैसला किया तो सानिया मिर्ज़ा देश के लिए खेलने आगे आई.
उन्होने अपनी ज़िम्मेदारी महसूस की और जूनियर खिलाड़ी के साथ मिलकर मिश्रित युगल में स्वर्ण पदक जीता.
उनका निर्णय सही था. अब उनकी यह दोहरी कामयाबी उपर वाले की देन हैं.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)