इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉक्टर नरेंद्र सैनी ने कहा है कि भारत के लिए इबोला एक बड़ा खतरा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पश्चिमी अफ्रीका से फैली इस बीमारी से मार्च से अब तक 4,447 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 8,914 अन्य लोग इसकी चपेट में हैं.
डॉक्टर नरेंद्र सैनी ने बीबीसी को बताया, "इबोला एक ऐसी बीमारी है जो छूने से फैलती है और भारत में ये काफ़ी घातक साबित हो सकता है."
डॉ. सैनी ने कहा, "यहां आबादी काफ़ी ज्यादा है. ऐसे में कुछ-एक इबोला मामले सामने आए तो रोकथाम कारगर साबित हो सकती है, लेकिन अगर मामले बढ़े तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है."
भारत में रोकथाम
डॉक्टर सैनी का कहना है कि सरकार अपने स्तर पर प्रबंध कर रही है, लेकिन जो तैयारियां अस्पतालों में की गई हैं उनकी मॉक ड्रिल होनी चाहिए, ताकि अगर कोई मामला सामने आता है तो उसे उचित तरीके से डील किया जाए.
इबोला का भारत में कोई स्रोत नहीं है, लेकिन पर्यटकों और पश्चिमी अफ्रीकी देशों में रह रहे भारतीयों से इस मर्ज़ के देश में आने का खतरा बना हुआ है.
अमरीका और जर्मनी तक पांव पसार चुके इस रोग की भारत में रोकथाम की तैयारी पर चर्चा के लिए सरकार उच्च स्तरीय बैठकें कर रही है.
केंद्र सरकार उन सभी राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों की ट्रेनिंग करा रही है जिनमें अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह और हवाई अड्डे हैं.
यात्रियों की स्क्रीनिंग
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव लव वर्मा ने बीबीसी को बताया, "सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डो पर यात्रियों की स्क्रीनिंग और कड़ी कर दी गई है. जिनमें भी इबोला जैसे लक्षण मिल रहे हैं उन्हें अलग करके विस्तृत जांच की जा रही है."
उन्होंने कहा, "भारत में अबतक इबोला का कोई पुष्ट मामला सामने नहीं आया है. हम एक साथ करीब 1000 ऐसे यात्रियों की निगरानी कर रहे हैं, जिनमें इबोला जैसे लक्षण मिले."
स्वास्थ्य सचिव के अनुसार दिल्ली और मुंबई में चुनिंदा बड़े अस्पतालों में विशेष इबोला वार्ड बनाए गए हैं और दिल्ली और पुणे की दो सरकारी लैब्स में संदिग्ध इबोला नमूनों का जांच की जा रही है.
मेडिकल जगत
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार एक अगस्त से 12 अक्तूबर तक 18 हवाई अड्डों पर करीब़ 21,799 यात्रियों की जांच की गई जिसमें से 55 नमूने ‘काफ़ी खतरनाक’ पाए गए, हालांकि इनमें इबोला का कोई मामला नहीं था.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की महानिदेशक मार्ग्रेट चैनने हाल ही में कहा कि "इबोला ने पूरी दुनिया को खतरे में डाल दिया है."
डब्लूएचओ के एक ताज़ा अनुमान के अनुसार अगले दो महीनों के भीतर अफ्रीका में हर हफ्ते ईबोला के 10,000 नए मामले सामने आ सकते हैं.
उधर अफ्रीका में चार हज़ार से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुला चुका इबोला मेडिकल जगत के लिए एक अनसुलझी पहेली बना हुआ है.
तेज़ी से फैलने वाले इस मर्ज़ का इलाज दुनियाभर के स्वास्थ्य संगठन ढूंढ रहे हैं, लेकिन उनके हाथ अब तक खाली हैं.
खतरनाक महामारी
इबोला वायरस की पहचान साल 1976 में की गई थी और अब लगभग चार दशक बाद इसके नए मामले पश्चिमी अफ्रीका में एक बार फिर मार्च 2014 में सामने आए. तब से अब तक ये एक खतरनाक महामारी बन चुकी है.
कॉन्गो गणराज्य में इबोला के नाम से पहचाने जाने वाले इस रोग से बीते कुछ महीनों में जितनी मौते हुई हैं, उतनी इससे पहले इस रोग से कभी नहीं हुई.
भारत सरकार डब्लूएचओ और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ इस मर्ज़ की तोड़ खोजने पर काम कर रहा है.
डब्लूएचओ को इबोला से राहत के लिए वित्तीय सहायता देने वाले देशों की सूची में भारत चौथे स्थान पर है.
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