सीरियल्स भी हमें सीख देते हैं. कई अच्छी बातें सिखाते हैं. इसका एक उदाहरण मुङो पिछले दिनों देखने को मिला. एक आंटी हैं, जिनके पति एक कंपनी में बड़े पद पर हैं. जब भी मौका मिलता है, वे पति से कहने लगती हैं कि उनके ममेरे भाई को भी उस कंपनी में ही काम दिला दें. उनके पति इस बात को अक्सर टाल देते हैं.
उनका कहना था कि अगर उनके ममेरे भाई को उन्होंने नौकरी पर रख लिया और वह कंपनी में काम नहीं कर पाया, तो वे उसे डांट नहीं पायेंगे. रिश्ते आड़े आ जायेंगे. वे यह भी जानते थे कि पत्नी का ममेरा भाई आलसी है. झूठ बोलता है. हालांकि यह बात उनकी पत्नी भी जानती थी, लेकिन फिर भी कहती थी कि भाई सुधर गया है.
पिछले दिनों पति-पत्नी टीवी देख रहे थे. उसमें भी बिल्कुल यही सिचुएशन आयी. सीरियल में सास ने अपने दामाद से कहा कि मेरे बेटे यानी तुम्हारे साले को अपनी कंपनी में जॉब पर रख लो. दामाद मान गये. उन्होंने अपनी पत्नी को यह बात बतायी कि मैं तुम्हारे भाई को कंपनी में रख रहा हूं.
यह सुन पत्नी उखड़ गयी. उसने कहा, ‘मेरे भाई को नौकरी दिला कर आप बड़ी गलती कर रहे हैं. रिश्तों को अपनी कंपनी से दूर ही रखें.’ पति ने कहा, ‘लेकिन वह तुम्हारा भाई है.’ पत्नी ने जवाब दिया, ‘भाई है, इसलिए कह रही हूं. मैं नहीं चाहती कि उसे बड़ी आसानी से जॉब मिल जाये.
जब वह संघर्ष करने के बाद जॉब पायेगा, तभी वह उसकी कीमत समझ पायेगा. आपकी दी हुई नौकरी से वह कंफर्ट जोन में चला जायेगा. उसे नौकरी से निकाले जाने का डर नहीं होगा और न ही बॉस की डांट का. इस तरह उसका व्यक्तित्व निखर कर नहीं आ पायेगा. इनसान को मजबूत उसका संघर्ष बनाता है. मैं चाहती हूं कि मेरा भाई संघर्ष कर ही आगे बढ़े. स्वाभिमानी बने. आप प्लीज मेरी मां की बात न सुनें. इसी तरह आप हमारी मदद कर सकते हैं.’
आंटी ने जब यह सीरियल देखा, तो उनकी आंखें खुल गयीं. उन्होंने अपने पति से कहा, ‘अब मैं आपको कभी अपने ममेरे भाई को जॉब पर रखने को नहीं कहूंगी. बेहतर होगा कि वह भी अपनी काबिलीयत से नौकरी पाये.’
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