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ट्री सेंसस लेडी डाल रहीं पेड़ों में नयी जान

नयी दिल्ली: दिल्ली में एक ऐसी महिला का आगमन हुआ है, जो उन लोगों के लिए खतरे की घंटी है जो अपनी कारों से बहुत प्यार करते हैं. इस महिला को ट्री सेंसस लेडी के नाम से जाना जाता है. इनके नाम एक अनोखा रिकॉर्ड है. दिल्ली में ट्री सेंसस बनाने वाली यह पहली महिला […]

नयी दिल्ली: दिल्ली में एक ऐसी महिला का आगमन हुआ है, जो उन लोगों के लिए खतरे की घंटी है जो अपनी कारों से बहुत प्यार करते हैं. इस महिला को ट्री सेंसस लेडी के नाम से जाना जाता है.

इनके नाम एक अनोखा रिकॉर्ड है. दिल्ली में ट्री सेंसस बनाने वाली यह पहली महिला हैं. यह काम इन्होंने 2011 में शुरू किया था. इनका नाम है पद्मावती दिवेदी. पद्मावती एक बार फिर से दिल्ली में हैं और एक नया अभियान शुरू करने जा रही हैं. दिल्ली में लोगों के पास जगह की कमी है और पार्किग अपने आप में एक बड़ी समस्या है. ऐसे में लोग अपने घरों के सामने की जमीन पर कार पार्किग करने लगते हैं. बात स्र्फि कार पार्किग तक ही सीमित नहीं है. कार को पार्क करने के लिए लोग घर के सामने की कच्ची जमीन को सीमेंटेड करवा देते हैं. यहीं से शुरू होती है पद्मावती की चिंता और कार्य.

दो साल पहले शुरू हुआ अभियान

पद्मावती का कहना है कि दिल्ली में घरों के सामने की जमीन से लेकर सड़कों के किनारे बने फुटपाथ तक को कंक्रीट में तब्दील कर दिया गया है. इसका गंभीर परिणाम हुआ है कि दिल्ली में सड़कों और कॉलोनियों में लगे लाखों पेड़ खतरे में है. पद्मावती का कहना है कि कंक्र ीट के पेवमेंट और रैंप बनवाने की वजह से न सिर्फ भू-जलस्तर गिरा है बल्किकंक्र ीट से निकलने वाली गरमी से शहर का तापमान भी तेजी से बढ़ा है.

पद्मावती ने तय किया है कि अपने नये अभियान के तहत वह दिल्ली के सभी इलाकों के फुटपाथ और कॉलोनियों में बने कंक्रीट की परत को हटवा कर रहेंगी. उन्होंने इस अभियान की शुरुआत दो साल पहले सर्वोदय इंक्लेव से की थी. वह खुद भी इसी इलाके में रहती हैं. उन्होंने अपने कॉलोनी के लोगों से अपील की कि या तो वो घर के बाहर की जमीन को यूं ही छोड़ दें या एक्स आकार के टाइल का इस्तेमाल करें जिससे की पानी को जमीन के अंदर पहुंचने में मदद मिले.

कई इलाकों का कर चुकी हैं कायाकल्प

पद्मावती के इस प्रयास को न सिर्फ सराहा गया बल्किलोगों ने उनकी मदद भी की. सर्वोदय एंक्लेव के अलावा नवजीवन विहार, गुलमोहर पार्क, अरविंदो मार्ग और अन्य पार्को में भी उनकी यह मुहीम कारगर रही है. पद्मावती ने बताया कि पहली बार जब वह आंध्र प्रदेश के एक छोटे से शहर से निकल कर दिल्ली आयीं, तो उन्हें यह शहर थोड़ा अजीब दिखा. बाद में उन्हें पता चला कि शहर में चारों ओर बिछा कंक्रीट का जाल असल में पेड़ों को बेहद नुकसान पहुंचा रहा है. तभी उन्होंने तय किया कि इस बुराई से वह शहर को मुक्त कराकर ही दम लेंगी.

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