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हाथ में लिया काम अधूरा न छोड़ें

दक्षा वैदकर एक मकड़ी थी. उसने आराम से रहने के लिए एक शानदार जाला बनाने का विचार किया और सोचा कि इस जाले मे खूब कीड़े, मक्खियां फंसेंगे और मैं उन्हें आहार बनाऊंगी और मजे से रहूंगी. उसने कमरे के एक कोने में जाला बुनना शुरू किया. जाला आधा तैयार हो गया था. इतने में […]

दक्षा वैदकर
एक मकड़ी थी. उसने आराम से रहने के लिए एक शानदार जाला बनाने का विचार किया और सोचा कि इस जाले मे खूब कीड़े, मक्खियां फंसेंगे और मैं उन्हें आहार बनाऊंगी और मजे से रहूंगी. उसने कमरे के एक कोने में जाला बुनना शुरू किया. जाला आधा तैयार हो गया था. इतने में वहां एक बिल्ली आयी और हंसने लगी. मकड़ी ने बिल्ली से पूछा, ‘हंस क्यों रही हो?’
बिल्ली ने कहा, ‘यहां मक्खियां नहीं हैं. यह जगह तो बिलकुल साफ-सुथरी है. यहां कौन आयेगा तेरे जाले में.’ यह बात मकड़ी को ठीक लगी. वह जाला अधूरा छोड़ कर दूसरी जगह तलाश करने लगी. उसकी नजर खिड़की पर पड़ी और उसने वहां जाला बुनना शुरू किया. कुछ देर बाद वहां एक चिड़िया आयी और मकड़ी का मजाक उड़ाते हुए बोली, ‘अरे मकड़ी, तू भी कितनी बेवकूफ है. यहां तो खिड़की से तेज हवा आती है. यहां तो तू अपने जाले के साथ ही उड़ जायेगी.’
मकड़ी को चिड़िया की बात ठीक लगी और वह वहां भी जाला अधूरा बना छोड़ कर सोचने लगी अब कहां जाला बनाया जाये. समय काफी बीत चुका था और अब उसे भूख भी लगने लगी थी. अब उसे एक अलमारी का खुला दरवाजा दिखा और उसने उसी में अपना जाला बुनना शुरू किया. कुछ जाला बुना ही था, तभी वहां एक कॉकरोच आया. कॉकरोच बोला, ‘ये तो बेकार की अलमारी है. कुछ दिनों बाद इसे बेच दिया जायेगा और तुम्हारी सारी मेहनत बेकार चली जायेगी.’ यह सुन कर मकड़ी ने वहां से हट जाना ही बेहतर समझा.
बार-बार प्रयास करने से उसके अंदर जाला बुनने की ताकत ही नहीं बची थी. भूख की वजह से वह परेशान थी. उसे पछतावा हो रहा था कि अगर पहले ही जाला बुन लेती, तो अच्छा रहता. जब मकड़ी को लगा कि अब कुछ नहीं हो सकता है तो उसने पास से गुजर रही चींटी से मदद करने का आग्रह किया. चींटी बोली, ‘मैं बहुत देर से तुम्हें देख रही थी. तुम बार- बार अपना काम शुरू करती और दूसरों के कहने पर उसे अधूरा छोड़ देती और जो लोग ऐसा करते हैं, उनकी यही हालत होती है.’ और ऐसा कहते हुए वह अपने रास्ते चली गयी और मकड़ी पछताती हुई निढाल पड़ी रही.
बात पते की..
– हम भी कई बार काम बड़े उत्साह से शुरू करते हैं, लेकिन बाद में लोगों के कमेंट्स की वजह से उसे बीच में छोड़ देते हैं. यहीं हम गलती करते हैं.
– अपनी क्षमताओं को पहचानें. लोगों से सलाह लें, लेकिन उस पर अमल सोच-समझ कर करें. बेहतर है कि हाथ में लिया काम, अधूरा न छोड़ें.

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