रांची : बूढ़े-माता पिता को बच्चों से गुजारा भत्ते का दावा करने के लिए बतौर फीस पांच रुपये चुकाने होंगे. साथ ही पुलिस को अपने-अपने इलाके में रहनेवाले बुजुर्ग लोगों की सूची बनानी होगी. उसकी सुरक्षा का ख्याल रखना होगा. राज्य सरकार ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण तथा कल्याण नियमावली में यह प्रावधान किया है.
सरकार की तैयार नियमावली के अनुसार बूढ़े माता-पिता की देखभाल की स्थिति में वे अपने बच्चों से गुजारा भत्ता का दावा कर सकेंगे. इसके लिए उन्हें पांच रुपये का ज्यूडिशियल स्टांप लगा कर आवेदन देना होगा. आवेदन की सुनवाई सबसे पहले सुलह अधिकारी के स्तर पर होगी. सुलह अधिकारी को गुजारा भत्ता से संबंधित दावों का निबटारा एक माह के अंदर करना होगा. इस निर्धारित समय सीमा में आवेदन का निबटारा नहीं होने की स्थिति वे कारण सहित आवेदन को ट्रिब्यूनल में अग्रसारित करेंगे.
गुजारा भत्ता से संबंधित आवेदन मिलने के बाद सुलह अधिकारी आवेदक के बच्चों को नोटिस जारी करेंगे. दोनों पक्षों को सुनने के बाद बूढ़े माता-पिता की देखभाल के लिए सुलह करायेंगे और गुजारा भत्ता तय करेंगे. गुजारा भत्ते की अधिकतम राशि 10 हजार रुपये प्रति माह होगी. गुजारा भत्ता तय करने के लिए बच्चों की आमदनी को ध्यान में रखा जायेगा. इसके अलावा बच्चों को मिलनेवाली बूढ़े माता-पिता द्वारा अर्जित संपत्ति का भी आंकलन किया जायेगा. इसके लिए संपत्ति की कीमत और उससे होनेवाली आमदनी को भी देखा जायेगा.
अगर बूढ़े माता-पिता के एक से अधिक बच्चे हैं, तो सभी मिल कर गुजारा भत्ता की रकम चुकायेंगे. सरकार के नियमावली में वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा का भी प्रावधान किया गया है. इसके तहत हर थाने को अपने-अपने क्षेत्र के ऐसे वरिष्ठ नागरिकों की एक सूची बनानी होगी, जिन वरिष्ठ नागरिकों के घर में कोई और नहीं रहता हो. पुलिस अधिकारी कम से कम महीने में एक बार ऐसे वरिष्ठ नागरिकों के घरों का दौरा करेंगे. उनकी समस्याओं और सुरक्षा की जानकारी लेंगे. इसके अलावा सभी थाने अपने अपने क्षेत्र में वरिष्ठ नागरिकों खिलाफ होनेवाले अपराधों व अपराधियों का अलग से ब्योरा भी रखेंगे.