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रंजीत से संपर्क, पर गलत काम में नहीं किया सहयोग

तारा शाहदेव प्रकरण. तीन जजों से थाने में पूछताछ, कहा रांची : रांची पुलिस ने तारा शाहदेव व रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन प्रकरण में शुक्रवार को तीन जजों से पूछताछ की. पुलिस के मुताबिक, तीनों जजों ने बताया कि रंजीत से उनके संपर्क थे. उससे बातचीत होती थी. पर उसके किसी भी गलत […]

तारा शाहदेव प्रकरण. तीन जजों से थाने में पूछताछ, कहा
रांची : रांची पुलिस ने तारा शाहदेव व रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन प्रकरण में शुक्रवार को तीन जजों से पूछताछ की. पुलिस के मुताबिक, तीनों जजों ने बताया कि रंजीत से उनके संपर्क थे. उससे बातचीत होती थी. पर उसके किसी भी गलत काम में उन्होंने सहयोग नहीं किया. डेली मार्केट सर्किल इंस्पेक्टर कार्यालय में देवघर के प्रधान सत्र जिला न्यायाधीश पंकज श्रीवास्तव, हजारीबाग के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश नागेश्वर प्रसाद और देवघर की एडिशनल सेशन जिला न्यायाधीश वीणा मिश्र से कोतवाली डीएसपी दीपक अंबष्ठ और इंस्पेक्टर हरिश्चंद्र सिंह ने पूछताछ की.
तीनों जजों से 30- 30 मिनट तक पूछताछ हुई. पूछताछ के लिए बुलाये गये निलंबित विजलेंस रजिस्ट्रार मुश्ताक अहमद बिना कारण बताये नहीं आये. कोतवाली डीएसपी ने बताया कि हाइकोर्ट की अनुमति से तीनों जजों से पूछताछ में जो तथ्य सामने आये हैं, उससे संबंधित रिपोर्ट तैयार कर एसएसपी के माध्यम से झारखंड हाइकोर्ट को सौंपी जायेगी.
रिटायर्ड जज आइडी मिश्र व मुश्ताक अहमद ने करायी थी पहचान : तीनों जजों से पूछताछ के बाद कोतवाली डीएसपी दीपक अंबष्ट ने पत्रकारों को जानकारी दी. तीनों जजों ने पूछताछ में बताया कि रंजीत उर्फ रकीबुल से उनकी जान-पहचान रिटायर्ड जज आइडी मिश्र और मुश्ताक अहमद के जरिये हुई थी.
पत्रकारों के सवाल पर कि क्या जज पंकज श्रीवास्तव से इस बिंदु पर पूछताछ हुई कि उनका बॉडीगार्ड सिपाही अजय कुमार किस परिस्थिति में रंजीत के साथ रांची से दिल्ली गया था? सिपाही को रंजीत के साथ जाने का निर्देश जज ने दिया था या किसी और ने? इस पर डीएसपी ने बताया इस बिंदु पर भी पूछताछ हुई है. लेकिन यह जांच का विषय है. पुलिस अनुसंधान कर रही है. उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान कुछ अन्य तथ्य भी सामने आये हैं.
डेली मार्केट सर्किल इंस्पेक्टर कार्यालय पहुंचे तीनों जज
डीएसपी दीपक अंबष्ठ व इंस्पेक्टर हरिश्चंद्र सिंह ने की पूछताछ
मुश्ताक अहमदआये ही नहीं
डीएसपी ने बताया कि निलंबित विजिलेंस रजिस्ट्रार मुश्ताक अहमद को भी नोटिस भेज कर पूछताछ के लिए बुलाया गया था. लेकिन वे नहीं पहुंचे. कोई कारण भी नहीं बताया. पुलिस अधिकारी उनके आने के इंतजार में तीन बजे तक बैठे रहे. कोतवाली डीएसपी ने बताया कि इससे संबंधित जानकारी भी एसएसपी को दी जायेगी.
तारा मामले में संज्ञान लेने का किया आग्रह
ठाकुर दंपती ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को भेजा पत्र
रांची : आइपीएस अमिताभ ठाकुर और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने तारा शाहदेव मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेज कर स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा है कि तारा शाहदेव मामले में न्यायिक अधिकारियों पर लगातार गंभीर आरोप लग रहे हैं. यह पहली बार है, जब न्यायपालिका के विभिन्न स्तर के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लग रहे हैं. तारा के साथ अभियुक्त रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल के हवाले से भी मीडिया में न्यायिक अधिकारियों के सांठगांठ होने और उनके माध्यम से कोर्ट में कई काम कराने की बातें सामने आयी हैं.
व्यक्तिगत मुलाकात में भी तारा शाहदेव ने इन बातों को दोहराया है. यह आठ अगस्त 2012 को आरसी चंदेल बनाम मध्य प्रदेश हाइकोर्ट (सिविल अपील संख्या 5790/2012) में पारित आदेशों के विपरीत है. उस आदेश में कहा गया था कि जजों की तुलना अन्य सरकारी लोगों से नहीं की जा सकती है. उनसे उच्चतम स्तर की सत्यनिष्ठा और आचरण अपेक्षित है. ठाकुर दंपती ने मुख्य न्यायाधीश से मामले में स्वत: संज्ञान लेकर गहराई से जांच करानेऔर दोषी न्यायिक पदाधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर न्यायपालिका की मर्यादा की रक्षा करने का अनुरोध किया है.
अलग-अलग समय पर थाना पहुंचे तीनों जज
रांची. शूटर तारा शाहदेव प्रकरण में गिरफ्तार रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल के साथ चार जजों से संबंध होने की बात सामने आयी थी. इनमें निलंबित विजिलेंस रजिस्ट्रार मुस्ताक अहमद, देवघर के प्रधान सत्र जिला न्यायाधीश पंकज श्रीवास्तव, हजारीबाग के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश नागेश्वर प्रसाद और देवघर के एडिशनल सेशन जिला न्यायाधीश वीणा मिश्र शामिल थे.
न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद जजों को पूछताछ के लिए नोटिस भेज कर शुक्रवार को डेली मार्केट सर्किल इंस्पेक्टर के कार्यालय में बुलाया गया था. सबसे पहले दिन के 10 से 11 बजे के बीच वीणा मिश्र पहुंचीं. उनसे पुलिस अफसरों ने पूछताछ की. उसके बाद वे चली गयीं. दिन के लगभग 12 बजे पंकज श्रीवास्तव और नागेश्वर प्रसाद पहुंचे. पुलिस ने पहले पंकज श्रीवास्तव से, फिर नागेश्वर प्रसाद से पूछताछ की. मुस्ताक अहमद कार्यालय नहीं पहुंचे थे.
सीआइडी और पुलिस को दिया अलग-अलग बयान
क्या था रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल का नवंबर प्लान
रांची : निशानेबाज तारा शाहदेव के मामले में गिरफ्तार रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल नवंबर प्लान के बारे सीआइडी और पुलिस अफसरों को अलग-अलग बयान देकर गुमराह करने का प्रयास कर रहा है. कोहली को रिमांड पर लेकर इंस्पेक्टर हरिश्चंद्र सिंह ने जब उसके नवंबर प्लान के संबंध में उससे पूछताछ की थी, तब कोहली ने बताया था कि उसके और रोहित रमन की योजना कंपनी को आगे ले जाने की थी.
भारत के सभी राज्यों में प्लांटेशन कराने और जाफरी लगाने की योजना थी. इससे उसकी कंपनी को करीब पांच करोड़ रुपये की कमाई होती. जब सीआइडी के अनुरोध पर पुलिस ने कोहली को एक दिन के लिए फिर से रिमांड पर लिया, तब सीआइडी के अधिकारियों को पूछताछ में कोहली ने बताया कि वह नवंबर में 7.50 करोड़ की लागत से जयपुर में एक मकान खरीदनेवाला था.
साफ है कि सीआइडी और पुलिस को कोहली ने अलग-अलग बयान देकर गुमराह करने की कोशिश की. उल्लेखनीय है कि तारा शाहदेव ने कोहली के नवंबर प्लान के बारे पुलिस को जानकारी दी थी. तारा ने बताया कि था कोहली हमेशा फोन पर किसी से बात करता था, जिसमें वह कहता था कि नवंबर में वह एक बड़ा काम करनेवाला है.
तारा से मिली जानकारी के बाद पुलिस ने कोहली के नवंबर प्लान के बारे तहकीकात शुरू की. मामले में गत गुरुवार को एसएसपी प्रभात कुमार से जब यह पूछा गया कि कोहली का नवंबर प्लान कुछ और था क्या, तब एसएसपी ने कहा कि अभी कोहली के नवंबर प्लान के बारे यही जानकारी मिली है कि वह नवंबर माह में अपनी कंपनी को बड़े मुकाम पर पहुंचाने वाला था.
रोहित की एजेंसी पर केस करने की फाइल सरकार के पास लंबित
रांची : राज्य सरकार ने रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल के सहयोगी रोहित रमन की एजेंसी और स्टेट बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एसबीटीइ) के सचिव आरके साहा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच कराने का निर्णय लिया है. इस संबंध में विज्ञान, प्रावैधिकी विभाग की ओर से सरकार के पास संचिका भेजी गयी है.
संचिका 10 दिनों से आवश्यक निर्देश के लिए सरकार के पास लंबित है. जानकारी के अनुसार एसबीटीइ ने रोहित रमन की एजेंसी को राज्य के पॉलिटेक्निक संस्थानों का सेमेस्टर परीक्षा कंडक्ट कराने और उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन कराने की जिम्मेवारी दी थी. इसके लिए सरकार की ओर से एक करोड़ से अधिक की राशि का भी भुगतान रोहित की कंपनी को किया गया है. कहा गया है कि जांच से ही रोहित और श्री साहा के संबंध और विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत का भी पता चल पायेगा.
सूत्र बताते हैं कि संचिका में एसबीटीइ के सचिव के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करते हुए पूरे मामले की निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराने का आग्रह किया गया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन अपर मुख्य सचिव डॉ एके पांडेय ने एसबीटीइ के सचिव के स्थानांतरण की बातें भी संचिका में लिखी थी. इनका स्थानांतरण विश्व बैंक की ओर से संचालित लातेहार पॉलिटेक्निक में किये जाने का प्रस्ताव दिया गया है.

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