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मुक्तिबोध एक क्रांतद्रष्टा कवि

‘अंधेरे में’, ‘चांद का मुंह टेढ़ा है’, ‘ब्रह्मराक्षस’ जैसी युग बदलने की आहट को संप्रेषित करनेवाली कविताओं के रचयिता गजानन माधव मुक्तिबोध के निधन को पचास वर्ष हो गए हैं. साहित्यकार मानते हैं कि क्रांतद्रष्टा कवि मुक्तिबोध ने कविताओं में समकालीन समय से आगे की बातें अभिव्यक्त की थीं. बीबीसी हिंदी रेडियो के संपादक राजेश […]

‘अंधेरे में’, ‘चांद का मुंह टेढ़ा है’, ‘ब्रह्मराक्षस’ जैसी युग बदलने की आहट को संप्रेषित करनेवाली कविताओं के रचयिता गजानन माधव मुक्तिबोध के निधन को पचास वर्ष हो गए हैं. साहित्यकार मानते हैं कि क्रांतद्रष्टा कवि मुक्तिबोध ने कविताओं में समकालीन समय से आगे की बातें अभिव्यक्त की थीं. बीबीसी हिंदी रेडियो के संपादक राजेश जोशी ने आज के कई बड़े साहित्यकारों की मुक्तिबोध संबंधी समझ के ज़रिए उन्हें और उनके साहित्यिक अवदान को याद किया है. सुनिए ये ख़ास प्रस्तुति.

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