दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में कार में लगी आग में जिस सूचना के अधिकार कार्यकर्ता को मरा हुआ माना लिया गया था, उन्हें गुरुवार को बंगलौर में गिरफ़्तार किया गया.
वहां वो अपनी पहचान छुपाकर एक कार कारख़ाने में नौकरी कर रहे थे.
पुलिस का कहना है कि कार में जिस व्यक्ति का शव मिला था, उसकी हत्या के आरोप में चंद्रमोहन शर्मा को गिरफ़्तार किया गया है. पुलिस के अनुसार उन्होंने एक दूसरी महिला के साथ रहने के लिए अपनी मौत की झूठी कहानी गढ़ी थी.
भ्रष्टाचार से लड़ाई
ग्रेटर नोएडा पुलिस ने इस साल एक मई को कहा था कि 38 साल के चंद्रमोहन शर्मा का जला हुआ शव उनकी कार से बरामद किया गया है.
शव की पहचान के बाद उनके रिश्तेदारों ने आरोप लगाया था कि भ्रष्टाचार उजागर करने की वजह से उनकी हत्या की गई है.
गौतम बुद्ध नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रतिंदर सिंह ने बताया कि चंद्रमोहन शर्मा ने अपनी मौत की कहानी गढ़ने के लिए एक बेसहारा व्यक्ति की अपने एक रिश्तेदार की मदद से अपनी कार में हत्या कर उसमें आग लगा दी थी. उनका रिश्तेदार फ़रार है.
बदला रूप
पुलिस का कहना है कि शर्मा ने पहचान छुपाने के लिए सिर के बाल मुड़ा लिए. उन्होंने बंगलौर में नौकरी हासिल करने के लिए जाली काग़ज़ात तैयार किए.
ख़बरों के मुताबिक़ शर्मा ने इन आरोपों से इनकार किया है.
इस हफ़्ते जब शर्मा के ज़िदा होने और बंगलौर में होने की ख़बरें मीडिया में आने लगीं तो उनकी पत्नी सविता शर्मा ने अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स से,” हमारे इलाक़े में एक लड़की रहती थी. वो मेरे पति के संपर्क में थी. वह अक्सर उनके निजी नंबर पर संपर्क करती थी, इस नंबर की जानकारी केवल कुछ लोगों को ही थी. उनकी मौत के महीने भर बाद वह ग़ायब हो गई.”
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