दिमाग़ के एक हिस्से की उत्तेजना दिल के लिए फायदेमंद हो सकती है.
‘प्रोसीडिंग्स ऑफ़ द नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंस’ में प्रकाशित इस रिसर्च पेपर के अनुसार दिमाग़ का जो हिस्सा शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित करता है, उसके उत्तेजित होने से दिल का दौरा पड़ने के बाद मरीज़ की हालत सुधर सकती है.
अध्ययन में चूहे के दिमाग़ पर तेज़ रोशनी डाली गई. ये चूहे उन जानवरों की तुलना में तेजी से दौड़ने लगे जिन पर यह प्रयोग नहीं आज़माया गया था.
‘द स्ट्रोक एसोसिएशन’ ने कहा है कि रिसर्च से दिलचस्प नतीजे निकले हैं. देखा गया है कि दिल के दौरे से लोगों की याद्दाश्त चली जाती है, उनकी गतिविधियों और बातचीत करने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.
ख़ून के थक्के से दिमाग़ की कोशिकाओं को ऑक्सीजन और शुगर की आपूर्ति बंद हो जाती है और वे कोशिकाएँ नष्ट होने लगती हैं. स्ट्रोक होने की सूरत में नुक़सान कम हो इसके लिए जल्द से जल्द इलाज ज़रूरी होता है.
उत्तेजना
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ मेडिसिन की रिसर्च टीम ने जानवरों पर परीक्षण करके इस बात का पता लगाने की कोशिश की कि क्या दिमाग़ को उत्तेजित करने से उनके दिल में कोई सुधार आता है या नहीं.
शोधकर्ताओं को ये विश्वास है कि उत्तेजना से होने वाला असर इस बात पर निर्भर करेगा कि दौरा पड़ने के बाद दिमाग़ में कितने अंदरूनी बदलाव होते हैं. उन्होंने मस्तिष्क की कोशिकाओं को जोड़ने वाले तरल पदार्थ का स्तर बढ़ा हुआ पाया.
रिसर्च टीम के लीडर प्रोफेसर गैरी स्टीनबर्ग ने कहा है कि दिल का दौरा पड़ने की स्थिति में मरीज के दिमाग की कोशिकाओं को बचाने के लिए दवा का चुनाव एक चुनौती था.
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