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साढ़े तीन साल में नहीं बना सिटीजन चार्टर

आसनसोल: स्थापनाकाल से आसनसोल नगर निगम बोर्ड पर काबिज वाममोर्चा को चुनाव में शिकस्त देकर साढ़े तीन साल पहले बोर्ड गठन करनेवाले कांग्रेस व तृणमूल कांग्रेस गठजोड़ ने बेहतर सुविधा देने व कार्य प्रणाली विकसित करने का दावा किया था. इसे चुनौती के रूप में लेते हुये तृणमूल नेत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि […]

आसनसोल: स्थापनाकाल से आसनसोल नगर निगम बोर्ड पर काबिज वाममोर्चा को चुनाव में शिकस्त देकर साढ़े तीन साल पहले बोर्ड गठन करनेवाले कांग्रेस व तृणमूल कांग्रेस गठजोड़ ने बेहतर सुविधा देने व कार्य प्रणाली विकसित करने का दावा किया था. इसे चुनौती के रूप में लेते हुये तृणमूल नेत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि इन शासी निका यों के माध्यम से ही राज्य की जनता देख पायेगी कि राज्य में परिवतर्तन के बाद आनेवाली सरका र कैसा कार्य करेगी? लेकिन साढ़े तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी निगम कार्यालय में सिटीजेन चार्टर लागू नहीं हो पाया है.

क्या है सिटीजन चार्टर
पश्चिम बंगाल म्यूनिसिपल एक्ट, 2006 में वर्ष 2009 में संशोधन किया गया. इस संशोधन की धारा 98 (ए) में कहा गया है कि निगम कार्यालय में नागरिकों को मिलनेवाली हर सुविधा, निर्गत होने वाले लाइसेंस, बनाये जानेवाले सर्टिफिकेट व अन्य सेवा के लिए समय निर्धारित किया जायेगा. इसी तय समय में इन कार्यो का निष्पादन किया जायेगा. कार्य निष्पादित नहीं होने पर संबंधित अधिकारी व कर्मियों की जिम्मेवारी तय की जायेगी. इस पूरी सूची को सिटीजेन चार्टर कहा जायेगा. इसे निगम कार्यालय के विभिन्न नोटिसबोर्डो पर स्थायी रुप से रखा जायेगा. इसका प्रकाशन भी किया जायेगा. यदि किसी नागरिक को इसकी जरुरत होगी तो उसे निर्धारित शुल्क भुगतान के बाद निगम कार्यालय की ओर से उपलब्ध कराया जायेगा.

क्या कहते हैं पदाधिकारी
निगम के चेयरमैन जितेंद्र तिवारी ने स्वीकार किया कि साढ़े तीन साल के कार्य काल में भी सिटीजेन चार्टर लागू नहीं हो पाया है. हालांकि एक्ट में संशोधन कर इसे आवश्यक बना दिया गया है. उन्होंने कहा कि हर पार्षद के कार्य करने का एक अलग तरीका होता है लेकिन निगमायुक्त की अलग कार्यप्रणाली होने से अब इसमें कठिनाई होने लगी है. मेयर तापस बनर्जी को इस संबंध में पहल करने को कहा गया है.

मेयर श्री बनर्जी ने कहा कि यह मामला निगम बोर्ड की पिछली बैठक में उठा था. विकास कार्यो में थोड़ी परेशानी हो रही है. पहले इसके बिना कार्य चल जाता था. इसे बनाने के लिए सभी विभागों के अधिकारियों व कर्मियों की स्थिति की समीक्षा करनी होगी. इस मुद्दे पर विचार किया जा रहा है.
मेयर परिषद सदस्य (जलापूत्तिर्) श्री इस्लाम ने कहा कि हर कार्य के लिए समय सीमा तय कर देने से कार्य संबंधित कई परेशानिया स्वत: ही समाप्त हो जायेगी. विभिन्न विभागों के बीच समन्वय भी स्थापित होगा. इस समय किसी भी टेबल पर फाइल लंबे समय तक पड़ी रहती है.
मेयर परिषद सदस्य (लोकनिर्माण) लखन ठाकुर ने कहा कि नागरिकों की परेशानी दूर करने के लिए इसे लागू करना अनिवार्य है. कार्य के लिए लगातार कार्यालयों का चक्कर लगाने से नागरिकों में आक्रोश बढ़ता है.

नागरिकों की टिप्पणी
फेडरेशन ऑफ साउथ बंगाल चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (फॉस्बेक्की) के महासचिव व होटल व्यवसायी सुब्रत दत्त ने कहा कि इसे तत्काल लागू किया जाना चाहिए. यह बड़ी कमी है. इसे समय रहते ही हल कर लेना चाहिए. इससे कार्य संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा.

आसनसोल राइफल्स क्लब के पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार ढल ने कहा कि विकास कार्यो व नागरिक सेवाओं में पारदर्शिता लाने के लिए यह रामवाण है. इसे लागू कर मौजूदा बोर्ड कार्य की स्वस्थ परम्परा विकसित कर सकता है.

मार्बल व्यवसायी व आसनसोल चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रवक्ता दिनेश तोदी ने कहा कि सरकार ने अधिनियम में संशोधन कर इसे अनिवार्य भले ही बना दिया है. लेकिन इसे लागू नहीं कराया जा सका है. सरकार को निगम बोर्ड को इसे लागू करने के लिए निर्देश देना चा हिए. इससे बोर्ड व सरकार की छवि और साफ होगी.

व्यवसायी जगदीश बागड़ी ने कहा कि इसे कागजी रखा गया है. जबतक इसे लागू करने की दिशा में पहल नहीं होगी, इसका लाभ आम नागरिकों को नहीं मिलेगा. इसे लागू कर बोर्ड को पारदर्शिता व सेवा की नयी शुरुआत करनी चाहिए.

सीमेंट निर्माता कंपनी के निदेशक पवन कुमार गुटगुटिया ने कहा कि इसके लिए नागरिकों को बोर्ड पर दबाव बनाना चाहिए. इसके लागू होने पर अधिकारियों व कर्मियों की मनमानी पर नियंत्रण होगा और वे जनता के प्रति जिम्मेवार होंगे. इस कारण उनके स्तर से कोई पहल नहीं होगी. जनता को ही सामने आना होगा.

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