झूठ तो झूठ ही होता है, मगर कई बार सिचुएशन ऐसी हो जाती है कि झूठ बोलना पड़ता है. लेकिन कभी भी, किसी को धोखा देने या नुकसान पहुंचाने की नीयत से हरगिज झूठ नहीं बोलना चाहिए. अगर कोई गलती या भूल हो भी जाये, तो उसे तुरंत एक्सेप्ट करना चाहिए न कि झूठ या किसी बहाने का सहारा लेना चाहिए. झूठ बोल कर तो इनसान फंस जाता है.
वंशिका ने कहा- मम्मा झूठ तो आखिर झूठ है. तब हमें कभी-कभी क्यों झूठ बोलना चाहिए. जो गलत है, वह हमेशा गलत रहेगा. सही कैसे हो सकता है? राशि ने कहा- हां बेटा, जो गलत है, वह तो गलत ही रहेगा, सही नहीं होगा. फिर भी एक बात का जवाब सोच-समझकर देना, अगर घर में कोई बुजुर्ग या हार्ट पेशेंट है और डॉक्टर मना करे कि उसके सामने ऐसी कोई बात न की जाये जिससे उन्हें कोई शॉक लगे या उनकी तकलीफ बढ़े, ऐसे में घर के किसी सदस्य की एक्सीडेंट में मृत्यु हो जाये तो क्या करना चाहिए? क्या जाकर सीधे बोल देना चाहिए कि आपके बेटे, पति या किसी अपने का एक्सीडेंट हो गया और ऑन स्पॉट ही वह गुजर गया? तुम्हें अंदाजा भी है कि यह खबर सुन कर घर के लोगों खास कर बुजुर्गो का क्या होगा? ऐसे समय पर उनसे सीधे शब्दों में न कह कर धीरे-धीरे बताया जाता है. एक्सीडेंट के बारे में तो बताते हैं, लेकिन यह कहते हैं कि चोट थोड़ी ज्यादा लगी है, इसलिए अस्पताल में भरती है, लेकिन मृत्यु के बारे में नहीं बताते. फिर कुछ समय बाद कहा जाता है कि अस्पताल में मृत्यु हो गयी. ताकि तब तक वह कुछ संभल जाये.
किसी अनहोनी की आशंका के लिए अपने को तैयार रखें. तुम्हें पता है जब बड़े मामा मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे और उनके फाइनल सेमिस्टर के एग्जाम हो रहे थे, उस समय नाना का देहांत हुआ, लेकिन उन्हें किसी ने नहीं बताया और यह फैसला सबने मिल कर लिया, क्योंकि उनके भविष्य का सवाल था और नाना का सपना था कि वे बड़े मामा को डॉक्टर बनते देखें. अगर वे घर आते तो एग्जाम नहीं दे पाते और उनका एक साल बरबाद हो जाता. यह तो कोई नहीं चाहता था. मामा बहुत रोए, बहुत दु:खी हुए और उन्हें अब भी इस बात का अफसोस है कि वे बाबूजी के अंतिम दर्शन नहीं कर पाये मगर जब एमएस की डिग्री मिली, तो उन्होंने सबसे पहले बाबूजी की तसवीर के आगे रखी. अब बताओ इस झूठ को क्या कहोगी? मैं मानती हूं झूठ नहीं बोलना चाहिए और झूठ तो झूठ ही होता है मगर कई बार सिचुएशन ऐसी हो जाती है जिसके कारण झूठ बोलना पड़ता है, लेकिन कभी भी, किसी दूसरे को धोखा देने या उसे नुकसान पहुंचाने के लिए हरिगज झूठ नहीं बोलना चाहिए. इस तरह की बातों का फैसला बड़े होकर ही कर सकोगी. अभी तो बस यह जानो कि कभी भी झूठ नहीं बोलना है.
कोई बहाना नहीं बनाना है. कोई गलती हो भी गयी हो या कोई काम भूल गयी हो तो उसे एक्सेप्ट करने की हिम्मत रखो न कि झूठ बोलो या बहाने बनाओ और सच बोलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि याद नहीं रखना पड़ता कि कब, कहां, क्या कहा. झूठ बोल कर तो इनसान फंस जाता है. उसे याद भी नहीं रहता कि कहां, क्या कहा था? तो अब प्रॉमिस करो कि आगे से झूठ नहीं बोलोगी. प्रॉमिस बेटा. राशि ने उसकी तरफ अपनी हथेली बढ़ाते हुए कहा. हां, मम्मा प्रॉमिस, वह भी पक्कावाला. वंशिका और झरना ने कहा. मम्मा, चाची जी जो कह रही थीं कि हम जिसे जानते हों या न जानते हों, सबके लिए दुआ मांगनी चाहिए कि सब खुश रहें, वैसा क्यों कहा उन्होंने? पहली बात तो यह कि जिसे हम जानते ही नहीं, उसके लिए क्यों मांगे? अगर भगवान जी से ज्यादा मांगेगे तो वे तो यही समङोंगे कि ये हमेशा मांगते रहते हैं. फिर जब हमें जरूरत होगी तो वे हमारी जैनुइन बात भी नहीं सुनेंगे. वंशिका ने पूछा. राशि ने जवाब दिया- ऐसी बात नहीं है. ईश्वर, भगवान, अल्लाह या गॉड कभी भेदभाव नहीं करते और न ही भेदभाव करनेवाले को पसंद करते हैं. हम अखबारों में कितने दर्दनाक हादसे पढ़ते हैं, जिन्हें पढ़ कर हमें खराब लगता है, दुख होता है न? तुम्हें याद है तुम्हारे स्कूल में तुम्हारी सीनियर की जब एक्सीडेंट में डेथ के बाद छुट्टी हो गयी थी तो तुम दु:खी थी. है न? हां, मम्मा मुङो बहुत खराब लगा था. वंशिका ने कहा. क्या तुम उसे जानती थी? राशि ने पूछा. नहीं मम्मा. बट वह हमारे स्कूल की थी. उसने जवाब दिया. एक्जेक्टली.. जरूरी नहीं है जिसके साथ दुर्घटना हो, गलत हो हम उसे जानते हीं हों, लेकिन जब कुछ ऐसा सुनते हैं तो हमें खराब लगता है. इसीलिए किसी के साथ बुरा न हो, यही ईश्वर से मांगना चाहिए. हमारे आस-पास सब खुश रहेंगे तो हम भी खुश रहेंगे. जिसे हम जानते हैं, उसका तो बुरा हम कभी भी नहीं चाहेंगे. तुम्हारी कोई दोस्त या रिलेटिव परेशान हो या बीमार हो, तो क्या तुम्हें अच्छा लगेगा? क्या तुम खुश रह पाओगी? इसलिए ईश्वर से मांगो कि वे सबकी विश पूरी करें. सबको खुश रखें. मतलबी नहीं होना चाहिए. सबसे मिल कर रहेंगे तो खुद को अच्छा लगेगा.
वीना श्रीवास्तव
लेखिका व कवयित्री
इ-मेल: veena.rajshiv@gmail.com