वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि पारंपरिक सिगरेटों के मुकाबले ई-सिगरेट काफ़ी कम नुक़सानदेह हो सकती हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि पारंपरिक सिगरेटों को इलेक्ट्रॉनिक सिगरेटों से बदलकर धूम्रपान से होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है हालांकि इसके दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है.
‘एडिक्शन जर्नल’ में शोधकर्ताओं ने सलाह दी है कि ई-सिगरेटों पर तंबाकू वाली सिगरेटों के मुक़ाबले नियम कम कठोर होने चाहिए.
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बिना किसी पुख़्ता सुबूत के इन्हें बढ़ावा देना ठीक नहीं है.
तंबाकू का धुआं अंदर ले जान के बजाय ई-सिगरेट पीने वाले वाष्पीकृत तरल निकोटीन को सांस के साथ अंदर लेते हैं.
ब्रिटेन में करीब बीस लाख लोग इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पीते हैं और इनकी लोकप्रियता दुनियाभर में बढ़ रही है.
मतभेद
विश्व व्यापार संगठन और ब्रिटेन के राष्ट्रीय अधिकारी ई सिगरेट की बिक्री, विज्ञापन और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने वाली नीतियों पर विचार कर रहे हैं.
एक अंतरराष्ट्रीय दल ने 81 शोधों की जांच की. उनका कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट में तंबाकू के धुएं में पाए जाने वाले कुछ ज़हर तो होते हैं लेकिन काफ़ी कम मात्रा में.
शोधकर्ता यह भी कहते हैं कि ई-सिगरेट का इस्तेमाल शुरू करने पर धूम्रपान के आदी सिगरेट पीना कम कर सकते हैं या छोड़ सकते हैं.
शोधपत्र के एक लेखक, लंदन के क्वीन मेरी विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर पीटर राएक कहते हैं, "नियम बनाने वालों को ई-सिगरेट के बाज़ार को कमज़ोर करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे वह धूम्रपान करने वालों को इन सुरक्षित उत्पादों को अपनाने से रोक सकते हैं."
लंदन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफ़ेसर मार्टिन मैक़की भी इस विश्लेषण में शामिल थे. उन्होंने कहा, "स्वास्थ्य से जुड़े लोगों में ई-सिगरेट पर गहरे मतभेद हैं."
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