10.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गुजरात: ‘संघ’ की शिक्षा सरकारी स्कूलों में

अंकुर जैन अहमदाबाद से, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए गुजरात सरकार उन किताबों को राज्य के सभी प्राइमरी और हाई स्कूलों में पढ़ाने जा रही है जिन्हें पिछले दो दशकों से संघ की शाखाओं में बाँटा जाता रहा है. अब तक ये किताबें ‘विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान’ के स्कूलों में भी पढ़ाई जा […]

गुजरात सरकार उन किताबों को राज्य के सभी प्राइमरी और हाई स्कूलों में पढ़ाने जा रही है जिन्हें पिछले दो दशकों से संघ की शाखाओं में बाँटा जाता रहा है.

अब तक ये किताबें ‘विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान’ के स्कूलों में भी पढ़ाई जा रही थीं लेकिन अब ये सरकारी स्कूलों में भी बांटी जाएंगी.

इन पुस्तकों के लेखक आरएसएस के कार्यकर्ता दीनानाथ बत्रा हैं. ये वही दीनानाथ बत्रा हैं जिन्होंने अमरीकी लेखक वेंडी डोनिगर की किताब का ज़ोरदार विरोध किया था और इसके बाद प्रकाशक ने सारी प्रतियां बाज़ार से वापस मँगवा ली थीं.

बत्रा की ये किताबें मूल रूप से हिन्दी में लिखी गई हैं जिनका गुजराती में अनुवाद किया गया है और इन सब पर एक मोटी रकम ख़र्च की गई है.

राज्य सरकार के इस फ़ैसले का कुछ लोग विरोध भी कर रहे हैं लेकिन ख़ुद दीनानाथ बत्रा कहते हैं सरकार का ये फ़ैसला सही है और इन किताबों को हर राज्य सरकार के स्कूलों में बाँटा जाना चाहिए.

अंकुर जैन की इस रिपोर्ट को विस्तार से पढ़ें

अमरीकी लेखक वेंडी डोनिगर की किताब को बाजार से हटवाने के लिए प्रकाशक को मजबूर करने वाले आरएसएस कार्यकर्ता और लेखक दीनानाथ बत्रा की किताबें अब गुजरात सरकार स्कूलों में बँटवाने जा रही है.

शिक्षा बचाओ आंदोलन संस्था के अध्यक्ष दीनानाथ बत्रा ख़ुद को किताबों का सोशल ऑडिटर कहते हैं.

बत्रा ने ये किताबें ‘विद्याभारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान’ के लिए नब्बे के दशक में लिखी थीं. विद्या भारती राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा संचालित स्कूलों और उच्च शिक्षा के संस्थानों का नेटवर्क है.

ये किताबें पिछले दो दशकों से इन स्कूलों में पढाई जा रही हैं और शाखाओं में बाँटी जाती रही हैं. गुजरात सरकार ने हाल ही में एक मोटी राशि ख़र्च करके बत्रा की कुल नौ किताबों के 42 हज़ार सेट गुजरात के प्राइमरी और हाई स्कूलों में बँटवाने का फ़ैसला किया है.

सवाल उठता है कि आख़िर इन किताबों में ऐसा क्या है कि गुजरात सरकार ने करीब एक साल तक इनका हिन्दी से गुजराती में अनुवाद करवाया और अब उन्हें स्कूलों में वितरित किया जा रहा है.

‘अगर यहूदी इसराइल ले सकते हैं तो…’

दीनानाथ बत्रा अपनी एक किताब में बच्चों से सवाल करते हैं कि आप भारत का नक्शा कैसे बनाएंगे और फिर कहते हैं कि क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, तिब्बत, बांग्लादेश, श्रीलंका और बर्मा अविभाजित भारत का हिस्सा हैं.

किताब में लिखा है, "मित्रों, तैयार हो जाओ अखंड भारत की महिमा और अस्मिता को पुनः स्थापित करने के लिए… अगर 1700 वर्ष बिना भूमि के रहे यहूदी अपने संकल्प से इसराइल ले सकते हैं, अगर खंडित वियतनाम और कोरिया फिर एक हो सकते हैं तो भारत भी फिर से अखंड हो सकता है."

‘पश्चिमी संगीत पशुभाव पैदा करता है’

‘शिक्षा में त्रिवेणी’ नाम की किताब में बत्रा लिखते हैं, “आज के युग में लोगों के पहनावे ने शरीर को बाजार में लाकर सुंदरता की नीलामी में लाकर खड़ा कर दिया है. पहनावे से चंचलता और विचारों में उत्तेजना आना स्वाभाविक है."

गुजरात सरकार ने बत्रा की इस किताब के अलावा ‘शिक्षा का भारतीयकरण’, ‘विद्यालय-कार्यकलाप का घर’ और ‘प्रेरणादीप’ किताबें गुजराती में छपवाई हैं.

शिक्षा त्रिवेणी किताब में ही बत्रा बच्चों को पश्चिमीकरण से सावधान रहने को कहते हैं. वे लिखते हैं, "वेस्टर्न म्यूजिक, डिस्को जैसे उत्तेजक गीत पशुभाव जागृत करते हैं. बच्चों को भजन और देशभक्ति के गीत सुनने चाहिए."

अपनी किताब ‘शिक्षा का भारतीयकरण’ में बत्रा बच्चों को जन्मदिन पर मोमबत्ती बुझाकर नहीं, बल्कि गायत्री मंत्र पढ़ कर मनाने की हिदायत देते हैं.

‘हर राज्य सरकार को ऐसी किताबें बाँटनी चाहिए’

दीनानाथ बत्रा मानते हैं कि सालों तक देश की शिक्षा प्रणाली ने विद्यार्थियों को भारत के गौरवान्वित इतिहास से वंचित रखा और अब समय आ गया है इसे बदलने का.

वे कहते हैं, “स्कूलों में आज तक सिर्फ अकबर और औरंगज़ेब पर कई पेज होते थे लेकिन शिवाजी और महाराणा प्रताप पर सिर्फ़ कुछ पंक्तियां ही. मेरी किताबों में भारत के इतिहास की झलक है जो स्कूल की किताबों में नहीं होती. बच्चों को गलत इतिहास परोसा गया है और इसे बदलना होगा. मैं चाहता हूं कि ऐसी किताबें अन्य राज्य भी बाँटें."

आरएसएस की प्रशंसा

गुजरात के स्कूलों में बँटी बत्रा की सभी किताबों में आरएसएस और संघ प्रचारक रह चुके लोगों की जमकर प्रशंसा की गई है.

एक जगह दीनानाथ बत्रा लिखते हैं, "जो विद्यार्थी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में रोज़ जाते हैं उनके जीवन में चमत्कारी बदलाव आ जाते हैं. इनमें से कई विद्यार्थी अपनी पढ़ाई अच्छे नम्बरों से पास कर, अब अपनी युवा क्षमता और इच्छाओं का देश हित में उपयोग कर रहे हैं."

सभी किताबों में मौजूदा शिक्षा के ढांचे की तीखी आलोचना करते हुए बत्रा बच्चों से कहते हैं कि उन्हें जान बूझकर इतने सालों तक गलत इतिहास पढ़ाया गया.

वो लिखते हैं, "इंग्लिश शिक्षा ने हिन्दू शब्द को विकृत किया है. मेकॉले और मार्क्स के पुत्रों ने हमारे इतिहास के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ किया है."

‘आरएसएस वालों को ही नियुक्त किया जाता है’

समाज शास्त्री अच्युत याग्निक कहते हैं कि पिछले कई सालों से यूनिवर्सिटी के कुलपतियों की नियुक्ति के लिए उम्मीदवार का आरएसएस से ताल्लुक होना ज़रूरी है.

उनके मुताबिक, "गुजरात सरकार में कुलपति की नौकरी सिर्फ आरएसएस से जुड़े लोगों को ही दी जाती है. पर अब सरकार कॉलेज की बजाय स्कूली शिक्षा में भी आरएसएस को एंट्री दे रही है. बत्रा की किताबें इसका पहला संकेत हैं. समाज का ध्रुवीकरण और हिंदुत्ववाद फैलाने के लिए अब स्कूल का उपयोग होगा."

बत्रा की किताबों का अनुवाद कराने वाले डॉ जयेश ठक्कर, गुजरात पाठ्यपुस्तक मंडल की अनुसंधान समिति के अध्यक्ष हैं. वो कहते हैं, "बच्चों को अगर संस्कार और भारत के इतिहास के बारे में बताया जाए तो इसे लोग भगवाकरण कहते हैं. अरे यह काम तो कांग्रेस की सरकार के वक़्त भी होता था."

शिक्षा क्षेत्र की बदहाली

लेकिन जो गुजरात सरकार बच्चों को संस्कार और भारत के इतिहास की ‘सच्ची तस्वीर’ बताने में इतनी तत्पर है, उस राज्य में शिक्षा की तस्वीर बहुत अच्छी नहीं है. गुजरात के स्कूली पाठ्य पुस्तकों में गलतियों ने इतिहास के साथ ख़ूब खिलवाड़ किया है.

गांधी जी की पुण्य तिथि से लेकर विश्व युद्ध तक इतिहास के कई हादसे गलत तरह से प्रस्तुत किए गए हैं.

साल 2012 के आँकड़ों के मुताबिक गुजरात के स्कूलों में ड्रॉपआउट रेट 58 प्रतिशत है जबकि कई अन्य राज्यों में यह 49 प्रतिशत है.

यही नहीं, अध्यापक और विद्यार्थी का अनुपात भी गुजरात में राष्ट्रीय औसत से कहीं ज़्यादा है. उच्चतर कक्षाओं में हर 52 विद्यार्थियों के लिए एक अध्यापक है जबकि राष्ट्रीय औसत 34 है.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें