फ़लस्तीनी संगठन हमास के नेता ख़ालिद मशाल ने कहा है कि इसराइल की ओर से ग़ज़ा की आर्थिक नाकेबंदी ख़त्म होने तक संघर्ष विराम नहीं हो सकता.
क़तर में उन्होंने पत्रकारों से कहा,”हर कोई हमसे चाहता है कि हम संघर्ष विराम को स्वीकार करें और फिर अपने अधिकार के लिए बातचीत करें. हमने पहले भी उसे ख़ारिज किया था और आज भी ख़ारिज करते हैं.”
2006 से जारी नाकेबंदी को ख़त्म करने के अलावा मशाल ने मिस्र के साथ लगने वाले रफ़ाह सीमा को खोलने और फ़लस्तीनी क़ैदियों को छोड़ने की भी शर्त रखी है.
मशाल ने कहा, ”हम ऐसे किसी क़दम को स्वीकार नहीं करेंगे जो हमारे लोगों पर जारी नाकेबंदी को ख़त्म नहीं करता और हमारे लोगों के बलिदान की क़द्र नहीं करता.”
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ग़ज़ा में दवाएं, तेल और अन्य सामानों की आपूर्ति करने की अपील की है.
सैन्य कार्रवाई
अधिकारियों के अनुसार पिछले 15 दिन से जारी संघर्ष में अब तक 649 फ़लस्तीनी और 32 इसराइली मारे गए हैं.
इसराइल ने आठ जुलाई को ग़ज़ा से रॉकेट हमलों को ख़त्म करने के लिए ग़ज़ा में सैन्य अभियान शुरू किया था.
ग़ज़ा के पीड़ितों का कहना है, ”अरब देशों को अन्याय देखना चाहिए. उन्होंने उस समय हमारे घरों पर हमले किए जब हम घर पर ही थे. उन्होंने कोई चेतावनी नहीं दी.”
बुधवार को संयुक्त राष्ट्र परिषद में ग़ज़ा में युद्ध अपराधों की जांच के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित हो गया.
संघर्ष विराम के लिए शर्त नहीं
उधर, मिस्र के राष्ट्रपति अल सीसी ने कहा है कि संघर्ष विराम के लिए शर्तें नहीं होनी चाहिए.
वहीं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् एक आपात बैठक में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त नवी पिल्लै ने कहा, "इस बात की संभावना अधिक है कि इसराइल ने अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों की अनदेखी करते हुए नियमों का उल्लंघन किया हो, जो युद्ध अपराध के समान हैं."
इसराइल की राजधानी तेल अवीव के पास स्थित हवाईअड्डे पर हमास की ओर से दागा गया एक रॉकेट गिरने के बाद वहां यूरोप और अमरीका की कई एयरलाइंस ने उड़ान भरने से इंकार कर दिया है.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)