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स्टार खिलाड़ियों की जगह लेने वालों का अभाव

सुशांत एस मोहन बीबीसी संवाददाता, दिल्ली 23 जुलाई से ग्लासगो में शुरू हो रहे कॉमनवेल्थ खेलों की मेडल तालिका पर दावेदारी की बात करें, तो भारत काफ़ी अच्छी स्थिति में नज़र आता है. भारत के पास कई अच्छे खिलाड़ी हैं जैसे बैडमिंटन में- पीवी सिंधू, पी कश्यप वहीं एथलेटिक्स में ट्रिपल जंप के राष्ट्रीय रिकॉर्डधारक […]

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23 जुलाई से ग्लासगो में शुरू हो रहे कॉमनवेल्थ खेलों की मेडल तालिका पर दावेदारी की बात करें, तो भारत काफ़ी अच्छी स्थिति में नज़र आता है.

भारत के पास कई अच्छे खिलाड़ी हैं जैसे बैडमिंटन में- पीवी सिंधू, पी कश्यप वहीं एथलेटिक्स में ट्रिपल जंप के राष्ट्रीय रिकॉर्डधारक अरपिंदर सिंह, मुक्केबाज़ी में विजेंदर सिंह, धावकों में टिंटू लूका.

कुश्ती तो अपने स्वर्णिम काल में है. सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, अमित कुमार, बजरंग पूनिया विश्व के टॉप 10 पहलवानों में से हैं.

मगर भारत के लिए जितना यह गर्व करने वाली बात है, उतना ही परेशानी का सबब.

सेकेंड लाइन को मौक़ा नहीं

कुश्ती के राष्ट्रीय कोच और द्रोणाचार्या अवार्ड से सम्मानित यशवीर सिंह कहते हैं, "हम अपने टॉप खिलाड़ियों पर इस कदर निर्भर हैं कि सेकेंड लाइन की तरफ़ देखना ही नहीं चाहते. अगर कभी कोई बड़ा खिलाड़ी चोटिल हो जाए, तो हमारे पास दूसरा खिलाड़ी नहीं है उसकी जगह लेने के लिए."

यह बात इसलिए ग़ौर करने लायक है क्योंकि देश में जूनियर लेवल की प्रतियोगिताएं तो बहुत होती हैं लेकिन इन्हें ज्यादा प्रचार नहीं मिलता.

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दिल्ली सरकार में खेल निदेशक, पद्मश्री महाबली सतपाल ने बताया, "हम राष्ट्रीय स्तर पर रोज़ नए रिकॉर्ड बनते देखते हैं. वो बच्चे देश के कई हिस्सों से आते हैं लेकिन उनका टैलेंट अभी तराशा जाना बाक़ी है और इसके लिए हमारे पास संसाधन नहीं हैं. हमारे संसाधन हमारे चैंपियनों के लिए ही कम पड़ जाते हैं."

पहले यह बात चिंता का विषय नहीं थी लेकिन खेलों में भारत की सुधरती स्थिति देखते हुए अब इस ओर अधिकारियों का ध्यान गया है.

‘साई’ खोलेगा अकादमी

भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के निदेशक जीजी थॉम्पसन ने बीबीसी से बातचीत में माना कि यह चिंता का विषय है.

उनका कहना था, "यह दुख़द है कि आने वाले समय में भारत के पास उसके स्टार खिलाड़ियों की जगह भरने वाले खिलाड़ी नहीं हैं. अगर वो कहीं हैं भी तो उनकी ख़ोज के लिए संसाधन इकट्ठे करने ज़रूरी हैं. इसके प्रयास हमने शुरू किए हैं."

उन्होंने बताया, "भारतीय खेल प्राधिकरण देश के कोने-कोने में प्रतिभाएं निखारने के लिए 10 से ज़्यादा खेल अकादमी बनाने जा रहा है. साथ ही यहां विशिष्ट खेल प्रशिक्षण संस्थान भी बनाए जाएंगे ताकि एशिया भर से खिलाड़ी यहां आकर खेलें. पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका से खिलाड़ियों के आने से न केवल भारत में खेलों का स्तर बढ़ेगा बल्कि हमारी आय भी बढ़ेगी."

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अभी तो ये अकादमियां प्रस्ताव के स्तर पर हैं और जो काम कर रहीं हैं, वो ज़रूरतें देखते हुए पूरी नहीं कही जा सकती.

ऐसे में, अगर भारत के सितारे खिलाड़ियों ने खेल को अलविदा कहा तो भारत को भी मेडल तालिका में कई मेडलों से हाथ धोना पड़ सकता है.

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