14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इराक़: जो बस पिसने को हैं मजबूर

मीना अल-लामी बीबीसी मॉनटरिंग इराक़ में जारी संकट को अक्सर शिया और सुन्नी या अरब और कुर्दों के टकराव के रूप में ही पेश किया जाता है, लेकिन वहां बहुत से अल्पसंख्यक समूह भी रहते हैं जो हिंसा और राजनीतिक सौदेबाज़ी के शिकार हैं जिस पर उनका कोई नियंत्रण ही नहीं है. ईसाई, तुर्क, यज़ीदी, […]

इराक़ में जारी संकट को अक्सर शिया और सुन्नी या अरब और कुर्दों के टकराव के रूप में ही पेश किया जाता है, लेकिन वहां बहुत से अल्पसंख्यक समूह भी रहते हैं जो हिंसा और राजनीतिक सौदेबाज़ी के शिकार हैं जिस पर उनका कोई नियंत्रण ही नहीं है.

ईसाई, तुर्क, यज़ीदी, शबक, सबियाना मंडाइन, बहाई, काकाई और फैली कुर्द जैसे समुदाय लंबे समय से इराक़ में रह रहे हैं.

इनमें से ज़्यादातर लोग सांस्कृतिक रूप से विविध निन्वेह प्रांत में रहते हैं.

ईसाई

इराक़ में 2003 में ईसाइयों की संख्या 15 लाख थी जो अब घट कर साढ़े तीन से साढ़े चार लाख के बीच रह गई है.

ज़्यादातर ईसाई निन्वेह प्रांत के काराकोस, बारतेला, अल-हमदानिया और तेल केफ़ जैसे गांवों में रहते हैं.

इराक़ी ईसाइयों को निशाना बनाकर सबसे बड़ा हमला 2010 में किया गया था, जब राजधानी बग़दाद में चरमपंथियों ने एक चर्च पर धावा बोला था.

रविवार की प्रार्थना के दौरान किए गए इस हमले में 52 लोग मारे गए थे.

यज़ीदी

इन लोगों को बेहद गोपनीय माना जाता है जिनकी जातीयता और मूल स्थान को लेकर अब भी बहस जारी है. इनके धर्म में कई धर्मों की बातें शामिल हैं.

कई मुसलमान और ग़ैर मुसलमान भी उन्हें शैतान की पूजा करने वाला मानते हैं, इसीलिए वो चरमपंथियो के निशाने पर रहे हैं.

अगस्त 2007 में जिहादियों ने एक यज़ीदी गांव पर हमला किया जिसमें 400 से 700 लोग मारे गए थे.

इराक़ में यज़ीदी लोगों की संख्या पांच लाख के आसपास बताई जाती है.

शबक

शबक लोगों की अपनी भाषा और अपने रीति रिवाज हैं. ज़्यादातर शबक शिया हैं जबकि कुछ सुन्नी भी हैं.

इनकी संख्या ढाई लाख से चार लाख मानी जाती है और ये लगभग सभी निन्वेह प्रांत में रहते हैं.

कुछ सुन्नी उन्हें धुर कट्टरपंथी शिया समझते हैं तो कुछ लोग उन्हें इस्लाम के विपरीत मानते हैं और ये बात उन पर चरमपंथी हमलों की वजह बनती है.

तुर्क

इराक़ में अरब और कुर्दों के बाद तुर्क तीसरा सबसे बड़ा जातीय समूह है और इस समुदाय के लोगों की संख्या पांच लाख से ज़्यादा है.

ज़्यादातर तुर्क मुसलमान हैं जो शिया और सुन्नी समुदायों में बंटे हैं. वहीं कुछ तुर्क कैथोलिक ईसाई भी हैं.

इन लोगों की भी अपनी भाषा और रीति रिवाज हैं. ये लोग एक तरफ़ जहां जिहादियों के निशाने पर रहते हैं, वहीं कुर्द क्षेत्र में सत्ता संघर्ष में भी पिसते हैं.

सबियाना मंडाइन

सबियाना लोग मेसोपोटामिया काल से इराक़ में रह रह हैं. आज उनके समुदाय, भाषा और संस्कृति पर लुप्त होने का ख़तरा मंडरा रहा है.

ईसाइयों की तरह बाथ पार्टी के दौर में ईसाइयों की तरह मंडाइन लोगों को भी कुछ हद तक स्वतंत्रता और सुरक्षा प्राप्त थी, लेकिन इराक़ पर 2003 के हमले के बाद इस समुदाय के बहुत से लोग इराक़ छोड़ चुके हैं.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें