14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

न करें जरूरत से ज्यादा चिंता

बच्चों की देखभाल करना अभिभावकों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. पर, इसे लेकर हद से ज्यादा चिंतित होना भी ठीक नहीं है, क्योंकि बच्चे की सुरक्षा के प्रति आपकी जरूरत से ज्यादा चिंता उसके विकास में बाधा उत्पन्न कर उसके आत्मविश्वास को कमजोर बना सकती है. न हीं नहीं ये मत करो, वो मत करो. […]

बच्चों की देखभाल करना अभिभावकों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. पर, इसे लेकर हद से ज्यादा चिंतित होना भी ठीक नहीं है, क्योंकि बच्चे की सुरक्षा के प्रति आपकी जरूरत से ज्यादा चिंता उसके विकास में बाधा उत्पन्न कर उसके आत्मविश्वास को कमजोर बना सकती है.

न हीं नहीं ये मत करो, वो मत करो. वहां जाओगे तो गिर जाओगे. नहीं नहीं.. मैं अपने बच्चे को इधर उधर नहीं भेज सकती, कुछ हो गया तो! अगर आप भी बच्चे की सुरक्षा को लेकर इतनी सजग रहती हैं, तो इसमें खुश होने की नहीं, बल्कि टेंशनवाली बात है. बच्चों की जरूरत से ज्यादा देखभाल उनके विकास को प्रभावित कर सकती है. दुनिया का कोई भी व्यक्ति हर वक्त किसी बंदिश में रहना पसंद नहीं करता. उसे भी अपना टाइम चाहिए होता है. इसलिए यह बेहद जरूरी है कि आप बच्चे के साथी बनें, साया नहीं.

कई अभिभावक ऐसे हैं, जिन्हें लगता है कि बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने से वह बिगड़ेंगे नहीं. इसी के चलते वे हर वक्त बच्चों के इर्द-गिर्द मंडराते हैं. कई बार बचपन से जुड़ी मजेदार चीजों से भी वे बच्चों को दूर कर देते हैं, क्योंकि उन्हें डर लगता है कि कहीं उनके बच्चे को चोट न लग जाये. जबकि पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चों को, जो उनकी इच्छा है, खुल कर करने दें. आखिर गिरने और गलतियां करने पर ही तो बच्चे सीखते हैं.

जरूरत पड़ने पर रहें करीब
यह बेहद जरूरी है कि एक वक्त के बाद बच्चे खुद सड़क पार करना सीखें. उन्हें रोक-टोक से दूर रखने की कोशिश करें. उन्हें क्या नहीं करना चाहिए, क्या खाना चाहिए, क्या नहीं या किसी प्रयोग को करने से रोकना नहीं चाहिए. चूंकि बच्चे इससे जिद्दी बन जाते हैं. उन्हें हर किसी से मिलने जुलने दें. हां, अगर वह कोई गलत संगत में हैं, तब आप जरूर डांटें. वरना, वह आपसे झूठ बोलने लगेंगे.

बच्चे के साथी बनें
कई पैरेंट्स बच्चे के दिमाग में भर देते हैं कि सारी समस्याओं का हल तभी निकल सकता है जब पैरेंट्स साथ हों. ऐसे बच्चे जरा-सी मुसीबत पड़ने पर उसका सामना करने की बजाय माता-पिता की ही तलाश करते रह जाते हैं. वह आत्मनिर्भर कभी नहीं बन पाते. बच्चे आत्मविश्वासी नहीं बन पायेंगे, तो यह प्रवत्ति आगे चल कर उनके लिए परेशानी का कारण बन सकती है. कई बार ऐसा होता है कि ज्यादा रोक-टोक से बच्चे अभिभावकों को पलट कर जवाब देना भी सीख जाते हैं. इस स्थिति में उन्हें प्यार से गलत काम करने से रोकें.

बनें उनके पार्टनर
आपके बच्चे को अगर स्विमिंग व अन्य एंडवेंचर स्पोर्ट्स में दिलचस्पी है तो उनका मनोबल बढ़ाएं और खुद भी पार्टिसिपेट करें. वरना, उनकी दिलचस्पी धीरे-धीरे कम होती जायेगी और वे एकरूपता के शिकार हो जायेंगे. उन्हें फुटबॉल, स्विमिंग, क्रिकेट, जैसी चीजों में इनवॉल्व करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें