संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून की यात्रा का मक़सद है इसराइल और हमास के बीच जारी संघर्ष को रोकना और आगे की राह तलाश करना.
बान की मून रविवार को क़तर की राजधानी दोहा पहुंचेंगे जहां से वो क़ुवैत, येरूशलम, रमल्लाह होते हुए अम्मान जाएंगे.
संवाददाताओं का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव क़तर के नेताओं से मिलेंगे जो इस मामले में हमास का पक्ष रख रहे हैं.
ख़बरों के मुताबिक़ फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास भी क़तर पहुंचेंगे.
क़तर में बातचीत
हमास के निवार्सित नेता ख़ालिद मेशाल इस वक़्त क़तर में रह रहे हैं और हमास ने किसी तरह की शांतिवार्ता से पहले कुछ शर्ते रखी हैं.
पिछले हफ़्ते मिस्र की तरफ़ से दिए गए एक प्रस्ताव को हमास ने ठुकरा दिया था. उनका कहना था कि उससे इस मामले में सलाह मशविरा नहीं किया गया था.
हालांकि फ़्रांस के विदेश मंत्री लोरोंग फ़ैबियुस ने मिस्र के प्रस्ताव को अपना समर्थन दिया है.
युद्धविराम की कोशिश
फ्रांस के विदेश मंत्री ने कहा, "युद्धविराम बेहद ज़रूरी है क्योंकि मौतों को रोकना ज़रूरी है. सबसे पहली आवश्यकता है युद्धविराम. लेकिन ये साफ़ है कि हम सबों को इस बात की कोशिश करनी है कि वैसे हालात पैदा हों जिसमें ये मुमकिन हो सके. ये उस तरह से किया जाना चाहिए जिसमें इसराइल की सुरक्षा और फ़लस्तीन की ज़रूरतें दोनों का ख़्याल हो."
वहीं दूसरी ओर मिस्र के विदेश मंत्री समेह शुकरी ने कहा, "ये पहल दोनों पक्षों को युद्धविराम का मौक़ा मुहैया करवाता है. इससे फ़लस्तीन में हो रहे क़त्ल का सिलसिला रूकेगा और बॉर्डर को भी खोला जा सकेगा."
इस बीच इसराइल की फ़ौज ने दावा किया है ग़ज़ा की तरफ़ से इसराइल में घुसने की कोशिश कर रहे दो चरमपंथियों को रोकने की कोशिश में दो इसराइली सैनिकों की मौत हो गई है.
इसराइल की फ़ौज का कहना है कि बंदूक़ों और टैंक भेदी मिसाइलों से लैस कम से कम नौ चरमपंथी एक सुरंग के रास्ते इसराइल में प्रवेश करने की ताक में थे.
इस बीच ग़ज़ा पर इसराइली हमलों में मारे जाने वालों की संख्या बढ़कर क़रीब 350 तक पहुंच गई है.
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