10.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

संतुलित रेल बजट

जेपी बत्र, रेलवे बोर्ड के पूर्व चेयरमैन रेल बजट में यात्री और माल भाड़े से लेकर अन्य पहलुओं को तर्कसंगत बनाने पर जोर दिया गया है. बजट में एक दूरदृष्टि वाली बात रही बुलेट ट्रेन चलाने की घोषणा करना. यह घोषणा पहले भी की जा चुकी है, लेकिन इस बार खास बात यह है कि […]

जेपी बत्र, रेलवे बोर्ड के पूर्व चेयरमैन

रेल बजट में यात्री और माल भाड़े से लेकर अन्य पहलुओं को तर्कसंगत बनाने पर जोर दिया गया है. बजट में एक दूरदृष्टि वाली बात रही बुलेट ट्रेन चलाने की घोषणा करना. यह घोषणा पहले भी की जा चुकी है, लेकिन इस बार खास बात यह है कि इस मद में प्राथमिक कार्य के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.

जापान की एजेंसी इस योजना का अध्ययन कर रही है और संभवत: इस साल के अंत तक वह अपनी रिपोर्ट सौंप देगी. इसके बाद भारत सरकार निर्णय लेगी कि किस देश के सहयोग से इसे अमलीजामा पहनाया जाये. यह काफी महंगी योजना है. एक अनुमान के मुताबिक मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन योजना पर मौजूदा समय में 60 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे, लेकिन जब इस योजना पर काम शुरू होगा, तो इसकी कीमत 90 हजार करोड़ रुपये हो जायेगी. बुलेट ट्रेन परियोजना को पूरा करने में सात से आठ साल का समय लगता है.

ऐसे में उम्मीद है कि अगले बजट में सरकार इस योजना को पूरा करने की कोई समयसीमा निर्धारित कर दे. दूसरी महत्वपूर्ण बात रही यात्रा ी सुविधाओं पर ध्यान देना और इसमें बढ़ोतरी की बात कहना. मौजूदा समय में रेल के कुल योजनागत खर्च का मात्र 1.5 फीसदी ही यात्रा ी सुविधाओं पर खर्च होता था. इस बार के बजट में इसे बढ़ाने पर जोर दिया गया है. इसके अलावा पांच जनसाधारण ट्रेन चलाने की घोषणा स्वागतयोग्य है. मौजूदा समय में ज्यादातर यात्रा ी दूसरी श्रेणी में यात्रा करते हैं. इन ट्रेनों के चलाने से समाज के बड़े तबके को फायदा होगा.

सुरक्षा के लिए बजट में सूचना तकनीक का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने और रेल नेटवर्क को देश के सभी हिस्सों से जोड़ने की बात कही गयी है. देश के सभी धर्मो के धार्मिक स्थान को रेल नेटवर्क से जोड़ने की पहल स्वागतयोग्य कदम है. इसका समाज के सभी वर्गो को फायदा होगा. इसके अलावा माल ढुलाई के लिए मंत्री ने रेलवे को देश के बंदरगाहों से जोड़ने की घोषणा भी की है.

इसके लिए निजी क्षेत्र से पैसा जुटाने का प्रावधान किया गया है. साथ ही झासगुड़ा से 100 मिलियन टन कोयले की आपूर्ति के लिए इस बजट में कहा गया है. देश के ऊर्जा उत्पादन के लिए कोयले की काफी जरूरत है. इस घोषणा से ऊर्जा संयंत्रों को कोयले की उपलब्धता में आसानी होगी. लेकिन उम्मीद थी कि रेल मंत्री नयी फ्रेट कॉरीडोर योजना की घोषणा करेंगे. उनके पास मौका भी था. इस्टर्न-वेस्टर्न कॉरीडोर की घोषणा 2006 में की गयी थी. एक फ्रेट कॉरीडोर के निर्माण में सात से आठ साल का वक्त लग जाता है. रेल की आमदनी का मुख्य जरिया माल ढुलाई से ही होता है. देश के सभी कोने को फ्रेट कॉरीडोर से नहीं जोड़ने से भविष्य में रेलवे को नुकसान होगा.

हालांकि मंत्री ने फ्रेट कॉरीडेर योजना की निगरानी की बात कही है. इसके अलावा मौजूदा समय में भारत में रेलवे से माल ढुलाई सबसे महंगी है. इसे तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है. रेल माल भाड़े को तर्कसंगत बनाने से उद्योग को भी काफी फायदा होगा. रेल मंत्री को नये फ्रेट कॉरीडोर के बारे में कुछ संदेश देना चाहिए था. फ्रेट कॉरीडोर योजना को जापान, विश्व बैंक और अन्य संस्थाएं आर्थिक मदद दे रही हैं.

यह आर्थिक लिहाज से भारतीय रेल के लिए काफी फायदेमंद है. जबकि हाइ-स्पीड ट्रेन योजना फ्रेट कॉरीडोर से पांच से छह गुना महंगी होती है. भारतीय रेल के पास इसके लिए पैसा नहीं है और बजट में इसके लिए निजी भागीदारी पर जोर दिया गया है. यह अच्छी शुरुआत कही जा सकती है.

काफी अरसे के बाद रेल सुरक्षा पर फोकस किया गया है. रेलवे को दुर्घटना मुक्त करने के उपाय के तहत एंटी कोलिजन डिवाइस को प्राथमिकता के आधार पर लगाने की बात कही गयी है. यात्रियों की सुरक्षा के लिए 17 हजार आरपीएफ कर्मियों की बहाली की घोषणा की गयी है, जिसमें चार हजार महिलाएं होंगी. भारत विश्व का भले ही सबसे बड़ा रेल नेटवर्क न हो, लेकिन सुरक्षाकर्मियों के मामले में सबसे आगे है. मौजूदा समय में आरपीएफ और जीआरपी को मिला कर कुल 1.15 लाख कर्मी इसकी सुरक्षा में लगे हैं.

आरपीएफ का गठन रेलवे संपत्तियों की सुरक्षा के लिए किया गया था. लेकिन इतनी बड़ी संख्या के बाद भी रेलवे सुरक्षित नहीं है. ये सुरक्षा बल नक्सली और आतंकी गतिविधियों से निबटने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे हालात से निबटने में राज्य पुलिस या अर्धसैनिक बलों का ही सहारा लिया जाता है. इन खर्चो को कम करने की आवश्यकता है. अच्छी सुरक्षा के लिए इस बल को पेशेवर बनाना होगा. साथ ही खर्च करने के लिए इनकी संख्या बढ़ाने की बजाय रिक्त पदों को ही भरा जाना चाहिए.

ट्रेनों के परिचालन में कार्यरत गार्ड और ड्राइवरों की संख्या सिर्फ 90 हजार ही है. रेलवे की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए ऑपरेटिंग रेशियों को 90 फीसदी से नीचे लाने की घोषणा की गयी है. पहले रेलवे के खर्च-नियंत्रण पर ध्यान नहीं दिया गया. मौजूदा समय में रेल के कुल खर्च का 55 फीसदी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर खर्च हो जाता है. 7वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद यह खर्च और अधिक हो जायेगा. ऐसे में रेलवे की माली हालत सुधारने के लिए खर्च पर लगाम लगाना होगा. हर वर्ष रेलवे के 3 फीसदी कर्मचारी रिटायर होते हैं. इसे कम करने के लिए 2 फीसदी की ही नियुक्ति होनी चाहिए. एनडीए अपने सरकार के दौरान रेलवे कर्मियों की संख्या कम करने में सफल रहा था. इस बजट में इस दिशा में कुछ उपाय किये गये हैं. पूर्व की एनडीए सरकार के कार्यकाल के दौरान खर्च को कम करने का प्रयास किया गया था. खास बात यह है कि इस बार आर्थिक जरूरतों को देखते हुए घोषणाएं की गयी हैं. कुल मिला कर इसे एक संतुलित रेल बजट कहा जा सकता है.

(बातचीत : विनय तिवारी)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें