17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सबकी आम पसंद

कहते हम भले ही इसे आम हैं, लेकिन यह सभी फलों में सबसे खास माना जाता है. तभी तो इसे फलों का राजा बुलाते हैं. क्या बड़े और क्या बच्चे, सबकी यह आम पसंद है. बच्चों को तो कच्चे आम भी बहुत भाते हैं. तभी तो ऊंचे पेड़ों पर लटकनेवाले आम उन्हें खूब ललचाते हैं. […]

कहते हम भले ही इसे आम हैं, लेकिन यह सभी फलों में सबसे खास माना जाता है. तभी तो इसे फलों का राजा बुलाते हैं. क्या बड़े और क्या बच्चे, सबकी यह आम पसंद है. बच्चों को तो कच्चे आम भी बहुत भाते हैं. तभी तो ऊंचे पेड़ों पर लटकनेवाले आम उन्हें खूब ललचाते हैं. सभी को कच्चे-पक्के इन आमों के लिए वर्ष भर इसी मौसम का इंतजार रहता है.

दुनिया भर में आम की हजारों किस्मों ने लोगों को दीवाना बना रखा है. गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर भी आम के खासे शौकीन थे. उन्होंने आम के फूलों पर कविता भी लिखी ‘आमेर मंजरी’. इसका मतलब है आम के फूल. कालीदास ने भी आम के बारे में लिखा है. मुगल बादशाह अकबर भी आम के बहुत शौकीन माने जाते थे और उन्होंने अपने राज्य में 10 लाख आम के पेड़ लगाने का आदेश दिया था. दुनिया भर में आम की करीब 1500 किस्में पायी जाती हैं. जानते हैं भारत में आम की कौन-सी प्रमुख किस्में हैं, जिनकी महक सात समंदर पार तक फैली है.

लंगड़ा : आम की यह वेरायटी आमतौर पर यूपी के बनारस में पैदा होती है. इसका रंग पत्तियों जैसा हरा है. यह गूदेदार और बहुत मीठा होता है. उत्तर भारत में सबसे ज्यादा पसंद किया जानेवाला यही आम है. देश-विदेश में इसका नाम प्रसिद्ध हो चुका है.

बंबइया : यह खासतौर पर बिहार और पश्चिम बंगाल में पैदा होता है. यह हरा-पीला होता है, खाने में थोड़ा कम मीठा, लेकिन ज्यादा दिन तक रखा जा सकता है. यह अप्रैल से मई के बीच बाजार में आता है.

दशहरी : यह यूपी की किस्म है, लखनऊ के दशहरी गांव के नाम पर इसका नाम पड़ा. यह कुछ लंबा होता है. आम की बेहतरीन किस्मों में शुमार व देश के बाहर बिकनेवाला मुख्य आम है. यह खुशबूदार, मीठा, हरा-पीला होता है,जो मई-जून में आता है.

अलफांसो : अलफांसो को आमों का राजा कहा जाता है. इसकी पैदावार खासतौर से महाराष्ट्र में होती है. कई और राज्यों में इसे बादामी, गुंडू, खादेर, हाफुस और कगड़ी हाफुस के नाम से भी जाना जाता है. इसकी पहचान मीडियम साइज, तिरछापन लिए हुए अंडाकार, संतरी पीला, मुलायम गूदा है, जो रेशे के बिना होता है. गुठली भी काफी छोटी होती है. बाकी किस्मों से यह आम महंगा होता है. यह मई-जून में ही मिलता है.

केसर : खासतौर पर गुजरात में पैदा होता है. इसके ऊपर की तरफ लालीपन रहती है. यह शुरु आती अप्रैल-मई में ही मिलता है.

सफेदा : इसे बागनपल्ली और चपता नाम से भी जाना जाता है. यह खासतौर सेआंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में पैदा होता है. इसका आकार बड़ा होता है. रंग गोल्डन पीला. इसकी क्वॉलिटी भी उत्तम मानी जाती है. यह जून-अगस्त में ही ज्यादा मिलता है.

तोतापुरी : यह मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश में पैदा होता है. इसकी खास तरह की नुकीली शक्ल से भी इसे पहचाना जा सकता है. तभी नाम भी बिल्कुल वैसा है. इसका साइज मीडियम होता है, लेकिन रंग सुनहरा पीला होता है. यह जून-जुलाई में मिलता है.

नीलम : यह भी तमिलनाडु में पैदा होनेवाली किस्म है. इसका साइज मंझला होता है, इसे देर तक रखा जा सकता है. इसका रंग केसरी पीला होता है. यह जुलाई-अगस्त में बाजार में आता है.

देसी : इसका साइज छोटा होता है. पकने पर पिलपिला लगता है. चूंकि रेशेदार होता है, तो लोग इसे चूस कर खाना ही पसंद करते हैं. यह अप्रैल-मई में ही पकता है. इसका स्वाद मीठा व रंग हरा-पीला होता है. यह बाकी किस्मों के मुकाबले सस्ता होता है. इसकी पैदावार यूपी और एमपी में ज्यादा होती है. इनके अलावा किशन भोग, फजरी, हिमसागर, मानकुर्द, मलगोआ, सुवर्णरेखा, जर्दालू और बांगनपल्ली भी मुख्य किस्में हैं.

वेब वर्ल्ड पर आमों की दुनिया

http://tinyurl.com/dx4r5yd वेबसाइट पर आम की एक अनूठी दुनिया से सामना होता है. वैसे यह साइट भारत की नहीं है. यह साइट ऑस्ट्रेलिया के किसी व्यक्ति ने बनायी है.

http://tinyurl.com/bl9bvyफ्लोरिडा के इस साइट पर जाकर आम से जुड़ी तमाम नयी बातें जानने को मिलती हैं. यहां तक कि इस साइट पर आम को सही तरीके से काटने का तरीका व उसे ज्यादा दिन तक सुरक्षित रखने का उपाय भी जान सकते हो.

ऐसी ही कुछ और साइट्स हैं :

http://themangofactory.com

http://themangomaven.com/about

फेसबुक पर सोशल साइट फेसबुक पर एक प्रोफाइल है : I love mangoयह आम के चाहनेवाले सैकड़ों लोगों का फेवरेट प्लेस बन गया है. आम से जुड़ी हुई हर तरह की सोशल बाइट मिलेगी यहां पर. इस पेज को लाइक करनेवाले 1300 से ज्यादा लोग हैं और सीजन आते ही पेज पर एक्टिव हो जाते हैं. इसी तरह का एक पेज है mango loversइस पर भी आम से जुड़ी कई रोचक बातें जानने को मिलेंगी. इस पेज को लगभग 3800 लोगों ने लाइक किया हुआ है. वैसे तुम भी चाहो तो सोशल साइट पर आम को लेकर दुनिया भर से दिलचस्प जानकारियों पर एक पेज बना सकते हो. लेकिन, ऐसा सिर्फ बड़े बच्चे ही कर सकते हैं, वह भी अपने पैरेंट से पूछ कर.

ऐसे पकाये जाते हैं आम

कैल्शियम कार्बाइड वह पदार्थ है, जिसकी मदद से आम को जबरन पकाया जाता है. पत्थर के जैसा दिखनेवाला यह पदार्थ नमी के साथ प्रतिक्रि या करके एथिलीन जैसी गैसें बनाता है, जिसकी गरमी से फल जल्दी पक जाते हैं. व्यवसायी जिस कैल्शियम कार्बाइड से आमों को पकाते हैं, वह सेहत के लिए खतरनाक होता है. आम अगर कार्बाइड से पकाया गया है, तो उसमें विटामिन ‘ए’ के लाभकारी गुण भी खत्म हो जाते हैं.

क्या है सुरक्षित तरीका

आम को पकाने का सबसे सुरक्षित तरीका है एथिलीन गैस. यह प्राकृतिक होती है, जिसे फल खुद भी बनाते हैं. दुनिया भर में आम पकाने के लिए इसी का इस्तेमाल होता है. मगर एथिलीन गैस, कार्बाइड से कहीं ज्यादा महंगी होती है. इसे इस्तेमाल करने के लिए स्पेशल चैंबर्स बना कर उनमें खास तापमान बनाये रखना जरूरी होता है. इसलिए आमतौर पर इसका प्रयोग नहीं हो पाता.

घर पर ऐसे पकाओ आम

इन दिनों फलों के राजा आम का मौसम है. मगर कच्चे आमों को भी घर पर पकाना बहुत आसान है. आम को साफ पानी से धो लो. फिर अखबार में उन्हें अच्छी तरह से लपेट कर सामान्य तापमान पर किसी भी गत्ते के डिब्बे, बरतन या जार में रख दो. तीन से पांच दिन में कच्चा आम पक कर तैयार हो जायेगा, वह भी केमिकल के बिना. अब तो ऑर्गेनिक आमों की मांग भी बाजार में तेजी से बढ़ रही है. इस आम की खासियत यह है कि आम की खेती और इसे पकाने के लिए किसी भी प्रकार के केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता है.

फैक्ट फाइल

दुनिया भर में हर साल 2 करोड़ मेट्रिक टन आम की पैदावार होती है. सबसे अधिक आम भारत में पैदा होते हैं. दुनिया के 10 फीसदी देशों में ही 80 फीसदी आम की पैदावार होती है. दुनिया भर में आम का निर्यात करनेवाले मुख्य देश भारत, पाकिस्तान, प्यूटोरिको, मैक्सिको, ब्राजील, इस्ररायल, साउथ अफ्रीका और पेरू हैं. दुनिया भर में आम की प्रजाति 2 इंच से लेकर 10 इंच तक लंबी होती है.

रिसर्चएक रिसर्च से पता चला है कि आम में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट कैंसर जैसी बीमारी को रोकने में भी सहायक होते हैं. विटामिन सी इसमें बहुत मात्र में पाया जाता है, जो इनसान को खून से संबंधित बीमारियों से बचाता है. टीबी, एनीमिया, हैजा जैसी बीमारी में यह टॉनिक का काम करता है. आम पन्ना ब्लड सेल्स को लचीला बनाता है और नये ब्लड सेल्स के निर्माण में मदद करता है. यह एसिडिटी को कम कर पाचन को ठीक बनाये रखता है.

प्रस्तुति-रवींद्रनाथ, दिल्ली

जोक्स

एक बार संता एक पेड़ पर चढ़ गया.

ऊपर बंदर मिला.

बंदर : तुम पेड़ पर क्यों चढ़े?

संता : आम खाने के लिए.

बंदर : लेकिन यह तो सेब का पेड़ है.

संता : कोई दिक्कत नहीं, मैं आम जेब में लेकर आया हूं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें