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पत्थर मार कर हत्या के मामले में कार्रवाई का आदेश

पाकिस्तान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने लाहौर की अदालत के बाहर महिला की उसके परिजनों के पत्थर मार मार कर जान लेने की घटना को पूरी तरह ‘अस्वीकार्य’ बताया है. तीन महीने की गर्भवती फ़रज़ाना परवीन को घर वालों की मर्जी के विरुद्ध प्रेमी से विवाह करने के कारण परिजनों ने ईंट-पत्थरों से मार-मार कर जान […]

पाकिस्तान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने लाहौर की अदालत के बाहर महिला की उसके परिजनों के पत्थर मार मार कर जान लेने की घटना को पूरी तरह ‘अस्वीकार्य’ बताया है.

तीन महीने की गर्भवती फ़रज़ाना परवीन को घर वालों की मर्जी के विरुद्ध प्रेमी से विवाह करने के कारण परिजनों ने ईंट-पत्थरों से मार-मार कर जान ले ली थी.

फरजाना के पति ने बीबीसी को बताया है कि पूरी घटना के दौरान पुलिस मूक दर्शक बनी खड़ी रही.

इधर लाहौर के पुलिस प्रमुख ने इस आरोप का खंडन किया है और कहा है कि पुलिस के पहुंचने के पहले ही परवीन की मौत हो चुकी थी.

पाकिस्तान में इज्जत के नाम पर हत्या के हर साल ऐसे तथाकथित सैंकड़ों मामले सामने आते हैं.

बताया जा रहा है कि इस घटना से लोगों के बीच काफी आक्रोश है. लोगों को इस बात का गुस्सा है कि दिन दहाड़े कथित तौर पर पुलिस और लोगों की उपस्थिति में सब कुछ होता रहा लेकिन महिला को बचाने की किसी ने कोशिश नहीं की.

प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री को शीघ्र कार्रवाई का निर्देश देते हुए तुरंत रिपोर्ट सौंपने को कहा है.

‘अमानवीय’

फ़रज़ाना के पति मोहम्मद इक़बाल ने बीबीसी को बताया, "हम मदद के लिए चिल्लाते रहे लेकिन किसी ने नहीं सुनी."

इकबाल ने फरजाना पर हो रहे हमले को रोक पाने में नाकाम रही पुलिस को ‘शर्मनाक’ और ‘अमानवीय’ बताया है.

उन्होंने आगे कहा, "हमारी किसी ने नहीं सुनी. मेरे एक रिश्तेदार ने पुलिस का ध्यान खींचने के लिए कपड़े भी उतारे लेकिन उन्होंने बीच बचाव नहीं किया. वो फ़रज़ाना को मरते हुए देखते रहे लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया."

घटना के एक और गवाह ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया है कि पुलिस ने हमले की अनदेखी की है.

प्रत्यक्षदर्शी ने अपना नाम गुप्त रखते हुए बताया, "पुलिसवाले हाईकोर्ट के बाहर ही खड़े थें, लेकिन एक भी पुलिसवाला मदद के लिए आगे नहीं आया. शोर-शराबा होने के बावजूद किसी पुलिसवाले ने फरजाना की जान बचाने की जहमत नहीं उठाई."

‘हाथापाई’

हालांकि लाहौर पुलिस प्रमुख शफीक अहमद ने इकबाल की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हुए बीबीसी से कहा है कि जब फरजाना पर हमला हो रहा था तो पुलिस वहां मौजूद नहीं थी.

उनका कहना है कि पुलिस कुछ दूर पर खड़ी थी और उन्हें कुछ लोगों ने ये बताया कि अदालत के बाहर हाथापाई हो रही है.

उन्होंने आगे सफाई देते हुए कहा कि जब तक पुलिस सारा मामला समझती और मौके पर पहुंचती सिर पर ईंट के वार से फरजाना की मौत हो चुकी थी.

पाकिस्तानमें आमतौर पर परिवार की मर्जी से शादी का रिवाज़ है और कुछ रुढ़िवादी समुदायों में अपनी इच्छा से शादी करने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता.

फ़रज़ाना के पिता ने बाद में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया लेकिन हमले में शामिल दूसरे परिजनों को पुलिस ने अभी तक गिरफ़्तार नहीं किया है.

स्थानीय पुलिस प्रमुख मुजाहिद हुसैन ने कहा, "हमने उनमें से कुछ को गिरफ़्तार किया है और दूसरे लोगों की जाँच चल रही है."

परवीन लाहौर से बाहर किसी छोटे शहर से आती है. रिपोर्ट के मुताबिक फरजाना के परिजन परिवार की मर्जी के खिलाफ अपनी पसंद के लड़के से शादी करने के उसके फैसले से क्षुब्ध थे.

मर्जी से शादी

नाराज परिजनों ने इकबाल के खिलाफ हाई कोर्ट में अपहरण का मामला दायर कर रखा था.

हालांकि फ़रज़ाना ने पुलिस को अपने बयान में बताया था कि उन्होंने अपनी इच्छा से विवाह किया है.

इक़बाल ने बीबीसी को बताया कि जब वह मंगलवार को अपनी पत्नी के साथ अदालत पहुँचे तो उनकी पत्नी के रिश्तेदार वहां इंतज़ार कर रहे थे और उन्होंने उसे अपने साथ ले जाने की कोशिश की.

फ़रज़ाना ने ख़ुद को छुड़ाने की कोशिश की तो वे उसे फ़र्श पर घसीटने लगे और उसके सिर पर ईंटें मारी जिससे उसकी मौत हो गई.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था की आयुक्त नवी पिल्लै ने कहा कि वो इस घटना से गहरे सदमे में हैं. उन्होंने पाकिस्तान सरकार से तुरंत और कड़े क़दम उठाने का अनुरोध किया है.

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