प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उनकी जीवनी को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया जाए.
नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके कुछ राज्य सरकारों के इस क़दम के प्रति असहमति जताई है.
पिछले दिनों भाजपा शासित मध्य प्रदेश और गुजरात ने घोषणा की थी कि वह नरेंद्र मोदी की जीवनी को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने जा रहे हैं.
ये ख़बरें भी आई थीं कि राजस्थान में भी मोदी की जीवनी को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की पहल हो रही है.
इस तरह की ख़बरों के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार अपना विरोध ज़ाहिर किया है.
‘जीवित लोगों को शामिल न करें’
30 मई की सुबह मोदी ने व्यक्तिगत वेरीफ़ाइड ट्विटर खाते से इस बारे में ट्वीट किया.
पहले ट्वीट में उन्होंने कहा, "मैंने ये ख़बरें पढ़ी हैं कि कुछ राज्य नरेंद्र मोदी की जीवनी को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने जा रहे हैं."
उन्होंने आगे ट्वीट किया, "मेरा स्पष्ट तौर पर मानना है कि स्कूली पाठ्यक्रम में उन लोगों की जीवनियों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए जो जीवित हों."
इसी विषय पर उन्होंने तीसरे ट्वीट में लिखा, "भारत के इतिहास में एक से बढ़कर एक महापुरुष और महान लोग हुए हैं, जिनकी वजह से भारत आज यहां पर है. युवा लोगों को इन महान हस्तियों के बारे में पढ़ना चाहिए और उनका अनुकरण करना चाहिए."
पिछले एक बरस में नरेंद्र मोदी पर कई किताबें बाजार में आई हैं. जो उनके जीवन पर आधारित हैं.
कुछ प्रकाशकों ने बच्चों को ध्यान में रखकर मोदी पर कॉमिक्स भी प्रकाशित की हैं.
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