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भारतीय राजनीति में नये युग की शुरुआत

।। बल्देव भाई शर्मा।। (पूर्व संपादक, पांचजन्य) यह भारतीय राजनीति में एक नये युग की शुरुआत है. केंद्र की सत्ता के लिए तीस साल बाद भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला है. जिस उम्मीद में भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया और मोदी ने जिस तरीके से चुनाव अभियान चलाया, उससे […]

।। बल्देव भाई शर्मा।।

(पूर्व संपादक, पांचजन्य)

यह भारतीय राजनीति में एक नये युग की शुरुआत है. केंद्र की सत्ता के लिए तीस साल बाद भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला है. जिस उम्मीद में भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया और मोदी ने जिस तरीके से चुनाव अभियान चलाया, उससे साफ जाहिर होता है कि एक नयी भाजपा उभर कर सामने आयी है. ऐतिहासिक चुनावी जीत के बाद मोदी का भाजपा संसदीय दल और एनडीए का नेता चुना जाना स्वाभाविक था, लेकिन जिस तरीके से आडवाणीजी ने इसका प्रस्ताव किया और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने अनुमोदन किया, उससे साफ है कि पार्टी अपने अंतर्विरोधों से आगे बढ़ चुकी है.

ताजा राजनीतिक घटनाक्रम से एक बात साफ है कि इस बार के लोकसभा चुनाव के परिणाम ने भारतीय राजनीति के मानक बदल दिये हैं. 67 सालों से जिस तरह जातिवाद, क्षेत्रवाद को बढ़ावा देकर राजनीति की गयी, इस चुनाव में जनता ने उसे नकारते हुए सुशासन और विकास के नाम पर वोट किया. चुनाव में पहली बार जाति और मजहब की सीमाएं टूटी हैं. छद्म धर्मनिरपेक्षता का नारा देकर एक खास वर्ग को वोटबैंक के तौर पर इस्तेमाल करनेवाले दलों को जनता ने आईना दिखा दिया है. नतीजे से साफ है कि जनता ने पारंपरिक सोच से ऊपर उठ कर नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताया है.

जिस तरह नरेंद्र मोदी ने पार्टी के संसदीय दल की बैठक में कहा कि यह गरीबों की सरकार है, इसे एक नये युग के सूत्रपात के तौर पर देखा जाना चाहिए. मोदी पर आक्षेप लगते थे कि वे कॉरपोरेट के हितों के रक्षक हैं. लेकिन, मोदी ने चुनाव जीतने के बाद भी अपने संबोधनों में देश के विकास के साथ ही ‘सबका विकास’ पर जोर दिया है. उनके संबोधन से साफ है कि यह मोदी सरकार गरीबों के हितों के प्रति समर्पित होगी. इसे सही मायने में लोकतंत्र का आगाज कह सकते हैं.

मेरा मानना है कि मौजूदा चुनाव अभियान में कांग्रेस से लेकर कई क्षेत्रीय दल भी किसी प्रकार मोदी को रोकने को ही अपना एजेंडा बनाये हुए थे. धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मोदी को लगातार निशाना बनाया गया. अब जनता ने जैसा जनादेश दिया है, उससे तमाम दलों को सबक लेना चाहिए. चुनाव में जनता ने विभिन्न दलों के गैर भाजपावाद को पूरी तरह नकार दिया. एनडीए को दलित, आदिवासी और मुसलमानों का समर्थन मिला है. यानी सामाजिक न्याय की राजनीति करनेवालों के झूठे दावों को भी जनता ने नकार दिया. मुसलमान इस देश के अभिन्न अंग है, लेकिन धर्मनिरपेक्षता के नाम इस वर्ग को अलग-थलग करने की कोशिश की जाती रही है. लेकिन इस चुनाव में धर्मनिरपेक्ष दलों का असली चेहरा उजगार हो गया. मोदी ने साफ कहा कि सरकार संविधान के अनुसार चलती है. जनता ने मोदी के समर्थ और समृद्ध भारत के सपने को पूरा करने के लिए जनादेश दिया है. एक मजबूत नेता ही इस सपने को पूरा कर सकता है.

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