ओवरी का ट्यूमर बचपन से बुढ़ापे तक किसी भी उम्र में हो सकता है. सर्विक्स और ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं में ओवरी का कैंसर तीसरे नंबर पर है. ओवरी अनेक तरह की कोशिकाओं से निर्मित है, इसलिए इसमें भिन्न-भिन्न तरह के ट्यूमर होते हैं. इसके उपचार और बचाव पर विशेष जानकारी दे रही हैं डॉ मोनिका अनंत.
ओवरी में ट्यूमर नॉन कैंसरस भी होते हैं, जो संक्रमण से, ओवरी में रक्त, पानी या मवाद भरने से होते हैं. ट्यूमर का इलाज इनके लक्षणव मरीज की उम्र और इनके नाप पर निर्भर है. इसका खतरा सबसे ज्यादा कम उम्र की लड़कियों में या रजोनिवृत्ति के बाद होता है. यह साइलेंट बीमारी है, जिसका महीनों तक लक्षण प्रकट नहीं होता, इसलिए पता नहीं लगता.
रोग के कारण : कुछ ओवरी के कैंसर जेनेटिक होते हैं. इसका खतरा स्तन, आंत और यूटेरस कैंसर से भी बढ़ता है. गंदगी, गुप्तांग में टैल्कम पाउडर का प्रयोग, खाने में कैलोरी की अधिक मात्र से भी खतरा होता है. टेस्ट ट्यूब बेबी में अंडे बनने की दवा के प्रयोग से भी रिस्क बढ़ता है.
पहचानें ये लक्षण : 40 वर्ष से ज्यादा की उम्र की महिलाओं में इसके लक्षण सामान्य होते हैं, जैसे- पेट के निचले हिस्से में भारीपन, गैस की शिकायत पेट में जलन, भूख न लगना, खाने के बाद पेट फूलना. कभी-कभी कुछ ही दिनों में पेट अगर बढ़ जाये, पेट में दर्द, अचानक वजन घट जाना और अनियमित मासिक की शिकायत हो, तो ये ट्यूमर की तरफ इशारा करते हैं.
चिकित्सा : ज्यादातर ओवरी के ट्यूमर एडवांस्ड स्टेज में पहचाने जाते हैं. इलाज सर्जरी है. सर्जरी से ये कंफर्म हो जायेगा कि ट्यूमर कैंसर ही है और कैंसर की स्टेजिंग भी हो जायेगी. ऑपरेशन में कैंसर से युक्त अंग हटाये जाते हैं और कीमोथेरेपी दी जाती है. कुछ एडवांस्ड ओवरी के कैंसर में सर्जरी नहीं हो सकती है, कीमोथेरेपी से ही इलाज होता है.
असिस्टेंट प्रोफेसर
(ओ एंड जी) एम्स, पटना