बिहार की राजधानी पटना की पुलिस ने रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे और भारतीय जनता पार्टी नेता अर्जित शाश्वत की गिरफ़्तारी की जानकारी दी.
अर्जित शाश्वत भागलपुर के नाथनगर इलाके में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के मामले में अभियुक्त हैं और उनकी गिरफ़्तारी के लिए अदालत ने 24 मार्च को वारंट जारी किया था.
उनकी गिरफ़्तारी की पुष्टि करते हुए पटना ज़िले के सीनियर एसपी मनु महाराज ने बीबीसी को बताया, ‘अर्जित को पटना के स्टेशन गोलंबर के पास रात करीब पौने एक बजे गिरफ़्तार किया गया. आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस उन्हें भागलपुर ले जाएगी.’
पटना पुलिस उनकी गिरफ़्तारी का दावा ज़रुर कर रही है लेकिन 25 मार्च को पटना पुलिस तब ऐसा करने में नाकाम रही थी जब अर्जित पटना की सड़कों पर रामनवमी के जुलूस में शामिल हुए थे और पटना में उन्होंने मीडिया से बातचीत भी की थी.
अर्जित कर रहे हैं संरेडर का दावा
इस बीच गिरफ़्तारी से ठीक पहले अर्जित ने पटना में मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने न्यायालय का सम्मान करते हुए सरेंडर किया है.
उन्होंने बताया, ‘मैं किसी दवाब में नहीं था. मैं हनुमान मंदिर प्रणाम करने आया था और इसके बाद मैंने यहीं पर सरेंडर किया. मैं न्यायालय की शरण में था. न्यायालय की ओर से मेरी अग्रिम ज़मानत याचिका खारिज करने की खबर मुझे शाम को मिली. इसके बाद मुझे लगा कि न्यायालय का सम्मान होना चाहिए.’
अर्जित ने नाथनगर पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए और कुछ लोगों ने इस दौरान जय श्री राम के नारे भी लगाए.
गौरतलब है कि शनिवार 31 मार्च को भागलपुर की एक अदालत ने अर्जित की अग्रिम ज़मानत याचिका खारिज कर दी थी.
क्या है पूरा मामला?
हिंदू नववर्ष की शोभा यात्रा के दौरान बीती 17 मार्च को भारतीय जनता पार्टी ने भागलपुर के सैंडिस कंपाउंड से जुलूस निकाला था जिसका नेतृत्व अर्जित कर रहे थे.
पुलिस के मुताबिक यह जुलूस बिना अनुमति के निकाला गया था. यही जुलूस जब भागलपुर के नाथनगर पहुंचा तो कथित रुप से आपत्तिजनक गाने को लेकर दो पक्षों के बीच पत्थरबाज़ी, आगजनी और हिंसा की घटना हुई थी.
इसमें पुलिस के एक जवान समेत कुछ लोग घायल भी हुए थे. इस घटना को लेकर दो प्राथमिकी दर्ज कराई गई थीं जिनमें अर्जित समेत करीब दर्जन भर लोगों को अभियुक्त बनाया गया है.
इसके बाद पुलिस ने अर्जित शाश्वत समेत नौ लोगों के ख़िलाफ़ अदालत से गिरफ़्तारी का वारंट हासिल किया.
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अर्जित की गिरफ़्तारी को लेकर बीते कुछ दिनों से बिहार की सियासत गर्म थी. गिरफ़्तारी में हो रही देरी से ना केवल विपक्ष सरकार पर हमले कर रही थी बल्कि सत्तारुढ़ गठबंधन के बीच भी मतभेद सामने आए थे.
अर्जित के पिता अश्विनी चौबे ने अपने बेटे को निर्दोष बताते हुए उन पर हुई एफ़आईआर को ‘रद्दी का टुकड़ा’ बताया था.
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सहित कुछ दूसरे भाजपा नेता भी अर्जित के समर्थन में सामने आए थे. वहीं राज्य के सत्ताधारी गठबंधन में शामिल जनता दल यूनाइटेड ने भाजपा नेताओं की ऐसी बयानबाज़ी पर आपत्ति जताते हुए कानून का सम्मान और गठबंधन धर्म का पालन करने को कहा था.
हालांकि माना जा रहा है कि अर्जित की गिरफ्तारी के बाद भी उनके बहाने आने वाले दिनों में बिहार में राजनीति होती रहेगी.
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