<p>बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के चौथे मामले में सात साल की क़ैद की सज़ा मिली है. </p><p>लालू प्रसाद के अधिवक्ता प्रभात कुमार ने बीबीसी को बताया है कि भारदीय दंड विधान ( आइपीसी) की अलग-अलग धाराओं में सात साल की सजा सुनाई गई है. लेकिन दोनों सजाएं साथ चलेगी. हालांकि जुर्माना की राशि तीस-तीस लाख यानी 60 लाख रुपए होगी. </p><p>इस मामले में उन्हें सोमवार को रांची की एक अदालत ने दोषी क़रार दिया था. चारा घोटाला सरकारी कोष से ग़बन का मामला है. 1990 के दशक में यह घोटाला सामने आया था. उसक वक़्त लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे और तब बिहार का विभाजन नहीं हुआ था. </p><p>यह अविभाजित बिहार के दुमका कोष से दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच 3.13 करोड़ रुपए के घोटाले का मामला है. लालू के अलावा इसमें 31 अन्य अभियुक्त भी थे. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र भी अभियुक्त थे जिन्हें सोमवार को कोर्ट ने बरी कर दिया था. </p><p>चारा घोटाले के कई मामलों में दोषी ठहराए जाने के कारण लालू यादव चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. लालू की ग़ैरमौजूदगी में उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं. 2013 में पहली बार चारा घोटाले में लालू यादव को दोषी ठहराया गया था और पांच साल की जेल की सज़ा मिली थी. </p><p>चारा घोटाले से जुड़े मामलों में लालू के ख़िलाफ़ यह अब तक की यह सबसे बड़ी सज़ा है. सात साल की सज़ा के साथ ही लालू पर 30 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है.</p><p>रांची स्थित सीबीआइ के विशेष जज शिवपाल सिंह ने वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए आरसी 38 ए /96 के तहत दुमका कोषागार से तीन करोड़ 79 लाख रुपए की अवैध निकासी से जुड़े इस मामले में यह फ़ैसला सुनाया है. लालू के अलावा इस मामले में और 18 अभियुक्तों को अलग-अलग सज़ा सुनाई गई है.</p><p>इस बीच लालू प्रसाद की वक़ील प्रभात कुमार ने मीडिया से कहा है कि इस मामले में वो ऊपरी अदालत में अपील करेंगे. चारा घोटाले से जुड़े तीन मामलों में पहले ही लालू को सज़ा सुनाई जा चुकी है. </p><h1>ताजा फ़ैसला</h1><p>ताजा फ़ैसला यानी दुमका का यह घोटाला 22 साल पुराना है. इस मामले में सीबीआई ने साल 2000 में 48 अभियुक्तों के ख़िलाफट आरोपपत्र दायर किया था. ट्रायल के दौरान 14 लोगों की मौत हो गई. सीबीआई ने इस मामले में कोषागार से फ़र्ज़ी बिल बना कर राशि की निकासी करने का आरोप लगाया है. </p><h2>साल 2013 में शिकंजा</h2><p>तीन अक्टूबर 2013 को रांची स्थित सीबीआइ के विशेष जज प्रवास कुमार सिंह की अदालत ने चाइबासा कोषागार से 37.7 करोड़ की अवैध निकासी से जुड़े चारा घोटाले के एक मामले में पांच साल की सज़ा सुनाई थी. तब वो लोकसभा की सदस्यता गंवा बैठे और चुनाव लड़ने से भी अयोग्य हो गए. </p><h2>सुप्रीम कोर्ट का आदेश</h2><p> पिछले साल मई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अपील को मंजूर करने के साथ लालू प्रसाद के ख़िलाफ़ चारा घोटाले से संबंधित अलग-अलग मामलों में मुक़दमा चलाने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाइ कोर्ट के फ़ैसले को रद्द करते हुए कहा था कि हर अपराध के लिए अलग सुनवाई होनी चाहिए.</p><p> साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को इन मामलों में नौ महीने में सुनवाई पूरी करने को कहा है. नवंबर 2014 में झारखंड हाइ कोर्ट ने लालू प्रसाद को राहत देते हुए कहा था कि एक मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति के ख़िलाफ़ इन्ही धाराओं के तहत मिलते-जुलते अन्य मुक़दमों में सुनवाई नहीं हो सकती.</p><h2>रांची में एक और मामला </h2><p>इन फ़ैसलों के साथ ही लालू अभी रांची में घोटाला से जुड़े एक और सुनवाई का सामना कर रहे हैं. इस मामले में भी फ़ैसला जल्दी आ सकता है. लालू प्रसाद अभी बीमार हैं. फ़िलहाल उनका इलाज राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान रांची में चल रहा है. </p><p>19 मार्च को लालू को अस्पताल से ही सीबीआइ कोर्ट ले जाया गया था. आज यानी शनिवार को फ़ैसल सुनाए जाने के वक़्त भी वो अस्पताल में ही थे. लालू की तरफ़ से उनके अधिवक्ता कोर्ट में मौजूद थे.</p><p>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप <a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a> कर सकते हैं. आप हमें <a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a> और <a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</p>
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लालू यादव को चारा घोटाले के चौथे मामले में मिली सात साल की क़ैद सज़ा
<p>बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के चौथे मामले में सात साल की क़ैद की सज़ा मिली है. </p><p>लालू प्रसाद के अधिवक्ता प्रभात कुमार ने बीबीसी को बताया है कि भारदीय दंड विधान ( आइपीसी) की अलग-अलग धाराओं में सात साल की सजा सुनाई गई है. लेकिन दोनों […]
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