पनामा सिटी : पनामा पेपर्स लीक कांड में करीब से जुड़े एक लॉ फर्म ने अंतत: अपनी गिरती साख और अन्य कारणों का हवाला देते हुए अपने कामकाज को पूरी तरह बंद करने की आज घोषणा की है. मोसाक फोनसेका ने एक बयान में कहा, ‘‘ साख में गिरावट, मीडिया में नकारात्मक अभियान, वित्तीय समस्याओं और पनामा के कुछ अधिकारियों द्वारा गलत कार्रवाईयों ने अपूरणीय क्षति पहुंचायी है, जिसके कारण इस महीने के अंत से सभी सार्वजनिक कामकाज बंद किये जा रहे हैं.”
हालांकि, बयान में यह कहा गया है कि एक छोटा समूह अधिकारियों तथा अन्य सार्वजनिक और निजी समूहों की मदद के लिए काम करता रहेगा. सह- संस्थापक जर्गन मोसाक ने पिछले साल अगस्त में कहा था कि साख गिरने के कारण व्यापार में होने वाले घाटे को देखते हुए फर्म ने विदेशों में स्थित अपने ज्यादातर कार्यालय बंद कर दिये हैं. ‘ पनामा पेपर्स’ कांड तीन अप्रैल, 2016 को शुरू हुआ जब कंपनी की डिजिटल आर्काईव्स से करीब1.15 करोड़ फाइलें लीक हो गयीं. इस पेपर्स लीक कांड ने दो देशों के शासनाध्यक्षों को पद से हटने पर मजूबर कर दिया जबकि अन्य कई बड़ी हस्तियों की साख खराब कर दी.
लीक हुई फाइलें जर्मनी के अखबार‘ एसजेड’ को मिली थीं, जिसने बाद में उन्हें इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट को सौंप दिया था. इस लीक कांड के कारण आइसलैंड के प्रधानमंत्री सिग्मुंदुर डेविड गुनलॉगसन को इस्तीफा देना पड़ा था जबकि पाकिस्तान की अदालत ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को शीर्ष राजनीतिक पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया. इस लीक कांड में ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन, फुटबॉल स्टर लिओनल मेस्सी, अर्जेनटिना के राष्ट्रपति मौरिसिओ मासरी आदि का नाम भी आया है. अमेरिकी सेंटर फॉर पब्लिक इंटेग्रिटी के अनुसार, इसे लेकर 79 देशों में कम से कम 150 जांचें चल रही हैं.