17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

एक नये दौर में भारतीय सिनेमा

भारत में डिजिटल मीडिया का बाजार तेजी से फैल रहा है. अॉनलाइन मनोरंजन के बाजार में युद्ध का मैदान खुला है आैर सिनेमा भी इससे अछूता नहीं. अमेरिकी बाजार के दो सबसे बड़े खिलाड़ी ‘नेटफ्लिक्स’ आैर ‘अमेजन’ इस मैदान पर कब्जे की लड़ाई में कूद चुके हैं. आ नंद तिवारी निर्देशित ‘लव पर स्क्वाॅयर फुट’ […]

भारत में डिजिटल मीडिया का बाजार तेजी से फैल रहा है. अॉनलाइन मनोरंजन के बाजार में युद्ध का मैदान खुला है आैर सिनेमा भी इससे अछूता नहीं. अमेरिकी बाजार के दो सबसे बड़े खिलाड़ी ‘नेटफ्लिक्स’ आैर ‘अमेजन’ इस मैदान पर कब्जे की लड़ाई में कूद चुके हैं.

आ नंद तिवारी निर्देशित ‘लव पर स्क्वाॅयर फुट’ के साथ भारतीय सिनेमा एक नये दौर में प्रवेश कर गया है.
‘मसान’ फेम विक्की कौशल आैर अंगीरा धर अभिनीत यह जवां प्रेम कहानी दो नौकरीपेशा महत्वाकांक्षी नौजवानों की महानगर मुंबई में अपने आशियाने को हासिल करने की कहानी है. इस शहरी प्रेमकथा को रघुबीर यादव, रत्ना पाठक शाह आैर सुप्रिया पाठक जैसे मंझे हुए अभिनेताअों ने उसके हिस्से की प्रामाणिकता दी.
इनमें सबसे खास लड़के के पिता की भूमिका में रघुबीर यादव का किरदार रहा, जो अपनी जवानी के दिनों में गायक बनने की तमन्ना लेकर मायानगरी मुंबई आये थे आैर यहां आकर महानगरीय लोकल रेलवे सेवा में अनाउंसर बन गये. बीते वेलेंटाइन डे को यह फिल्म ‘नेटफ्लिक्स’ पर रिलीज हुई थी.
भारत में डिजिटल मीडिया का बाजार तेजी से फैल रहा है. सस्ती दरों पर इंटरनेट ने मनोरंजन के माध्यमों की शक्ल बदल दी है. अॉनलाइन मनोरंजन के बाजार में युद्ध का मैदान खुला है, आैर सिनेमा भी इससे अछूता नहीं. हालांकि, यहां एक बार फिर भारतीय सिनेमा की हॉलीवुड के मुकाबले स्वायत्तता का सवाल नयी पोशाक में सामने आ रहा है, जिसे सावधानी से परखना चाहिए. अमेरिकी बाजार के दो सबसे बड़े खिलाड़ी ‘नेटफ्लिक्स’ आैर ‘अमेजन’ इस मैदान पर कब्जे की लड़ाई में कूद चुके हैं.
‘अमेजन’ दो मिनी सीरीज −रिचा चड्ढा एवं विवेक आेबरॉय अभिनीत ‘इनसाइड एज’ आैर आर माधवन स्टारर ‘ब्रीथ’ के साथ आेरिजनल कंटेट जेनेरेशन की दिशा में कदम बढ़ा चुका है. इसके साथ ही एकता कपूर की ‘आॅल्ट बालाजी’ जैसे भारतीय खिलाड़ी भी हैं, जिन्होंने पिछले साल राजकुमार राव के साथ ‘बोस: डेड आॅर अलाइव’ जैसी दुस्साहसी मिनी सीरीज बनायी.
सवाल यह है कि डिजिटल कंटेट जेनेरेशन की यह महत्वाकांक्षी परियोजनाएं हमारे लोकप्रिय सिनेमा के समकालीन कथ्य को कैसे प्रभावित करेंगी? दरअसल, नया बाजार खुला है, नया पैसा इसमें आया है, आैर रचनाकार इसमें कुछ दिलचस्प कर जाने की संभावनाएं देख रहे हैं.
‘हम काफी टाइम से दब-दब के काम कर रहे हैं.
अब जरा खुल के करेंगे.’ मजेदार है कि नेटफ्लिक्स द्वारा ‘सेक्रेड गेम्स’ शो की घोषणा के लिए आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में यह बात नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कही. इसे फिल्म सेंसरशिप के संदर्भ में भारत में जो बंधन कलाकारों को महसूस होते हैं, उसके संदर्भ में भी पढ़ा जाना चाहिए. ‘सेक्रेड’ गेम्स’ नेटफ्लिक्स द्वारा विक्रम चंद्रा के मुंबई अंडरवर्ल्ड पर लिखे गये चर्चित उपन्यास का सिनेमाई रुपांतरण है, गर इसे ‘सिनेमा’ कहा जाये तो.
डिजिटल फिल्म मेकिंग भारत के संदर्भ में दो किस्म के बंधनों से आजादी देती है. पहला तो सेंसरशिप संबंधी है, क्योंकि अभी तक इंटरनेट पर पूर्व निगरानी के लिए कोई सेंसरबोर्ड नहीं है. आैर दूसरा फॉर्म से जुड़ा है. हिंदी सिनेमा पहले तीन घंटे के चक्र में बंधा था, अब दो घंटे में सिमट गया है.
लेकिन फिल्मकार किसी कथा को कितने समय में कहना चाहता है, लोकप्रिय सिनेमा इसमें प्रयोग के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं देता. अनुराग कश्यप ‘गैंग्स आॅफ वासेपुर’ के समय इस समस्या से लड़ चुके हैं. तीन पीढ़ियों आैर सत्तर सालों के विस्तार में फैली पटकथा वाली फिल्म को उन्होंने दो हिस्सों में तोड़ दिया था.
लेकिन डिजिटल इसके लिए गुंजाइश देता है. वहां नौ सौ पेज के उपन्यास को आठ घंटों में बांटकर सुनाया जा सकता है. उसमें भी कई सीजन रचे जा सकते हैं.
मिहिर पंड्या
फिल्म क्रिटिक

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें