क्या आपके पसंदीदा लेखकों की किताबों को दीमक नुकसान पहुंचाने लगे हैं? या फिर पुराने गानों की सीडीज का कलेक्शन धूल लग-लग कर खराब होने लगी हैं? या फिर छोटे घर में जगह की कमी के चलते मौसमी कपड़ों का रख-रखाव करना आपके लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है. अगर ऐसा है, तो आपकी इस परेशानी को दूर कर सकते हैं ‘स्टोर मोर’ व्यवसाय की शुरुआत करनेवाले अमित विल्सन, पूजा कोठारी और नितिन धवन. कैसे, आइए जानते हैं..
अब तक आपने अनाज, फल और सब्जियों के लिए बड़े-बड़े स्टोर्स बनवाने और किसानों व अन्य लोगों को इसकी सुविधा देने के बारे में कई बार सुना होगा, लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी चीजों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए उसे स्टोर कराने की सुविधा के बारे में शायद आप पहली बार सुन रहे होंगे. इसी सुविधा को बेहतरीन व्यवसाय का रूप दिया है, अमित विल्सन, पूजा कोठारी और नितिन धवन ने.
लोगों की समस्या से सूझा विचार
फ्लैट कल्चर के बढ़ते दौर में आज कई लोग अपने घरों में कम जगह होने की समस्या से परेशान हैं. स्पेस न होने के चलते लोगों के लिए अपनी पसंदीदा किताबें, पुराने गानों की सीडीज जैसे सामान को सुरक्षित जगह पर रखना काफी मुश्किल हो जाता है. इतना ही नहीं सर्दी का मौसम जाते ही ऊनी कपड़ों का रख-रखाव भी एक सिर दर्द बन जाता है. ऐसे में न चाहते हुए भी लोगों को कम प्रयोग में आनेवाले सामान को या तो कबाड़ में फेंकना पड़ता है, या फिर उन्हें दूसरों को बांटना पड़ जाता है. इस समस्या को दूर करने के लिए 30 वर्षीय अमित विल्सन, पूजा कोठारी और नितिन ने वर्ष 2011 में रिकॉर्ड मैनेजमेंट के एक ऐसे व्यवसाय को अपनाने का फैसला किया, जिसका कांसेप्ट भारत में बिल्कुल नया था.
हालांकि, इन तीनों व्यवसायियों ने अपने व्यवसाय की शुरुआत ऑफिस की पुरानी, लेकिन जरूरी फाइलें व अन्य दस्तावेजों को सुरक्षित रखने की सुविधा देने के विचार के साथ की थी, लेकिन जल्द ही तीनों साथियों को यह महसूस होने लगा कि छोटे घरों में रहने के चलते आज लोगों के लिए अपने सामानों को सुरक्षित रखना भी एक चुनौतीपूर्ण काम बन चुका है. इसी के चलते उन्होंने अपने व्यवसाय के दायरे को बढ़ा कर हर तरह के सामान को स्टोर कराने की सुविधा देनी शुरू कर दी.
शुरुआती दौर में भी मुफ्त सेवा
‘स्टोर मोर’ की डायरेक्टर पूजा कोठारी बताती हैं कि इस व्यवसास के शुरुआती दौर में हमने केवल ऑफिस की फाइलों व अन्य दस्तावेजों को स्टोर करने की सुविधा देने की शुरुआत की थी, मगर जल्द ही क्लाइंट्स हमारे पास अपने पर्सनल सामान जैसे पुराने गानों के कैसेट्स, सीडीज और किताबों को स्टोर कराने की रिक्वेस्ट लेकर आने लगे. हमें लगा कि क्लाइंट्स से अच्छे रिलेशन बनाये रखने के लिए हमें उनकी रिक्वेस्ट को मान लेना चाहिए. इसलिए शुरुआती दौर में हमने बिना कोई शुल्क लिये ही उनके पर्सनल सामानों को स्टोर करना शुरू कर दिया. लेकिन हमारे पास पर्सनल सामान को स्टोर करानेवाले इतने क्लाइंट्स आने लगे कि हमने इस सुविधा के लिए भी पैसे लेने शुरू कर दिये.
सेवा के अनुसार निर्धारित होता है शुल्क
‘स्टोर मोर’ सेवा के लिए ग्राहकों से कितना शुल्क लेना है, यह हम ग्राहक द्वारा ली जानेवाली सेवा के आधार पर निर्धारित करते हैं. यदि ग्राहक कोई ऐसा सामान स्टोर कराना चाहता है, जिसे बॉक्स में बंद किया जा सकता है, तो हम पांच बॉक्स को एक महीने के लिए स्टोर कराने का 100 रुपये चार्ज करते हैं. इसी तरह 50 बॉक्स में एक महीने तक सामान स्टोर कराने का शुल्क 800 रुपये है. यदि ग्राहक को सामान स्टोर कराने के लिए बॉक्स की आवश्यकता नहीं पड़ती, तो हम ऐसे सामान का एक महीने का स्टोरेज चार्ज 99 रुपये लेते हैं. इसी प्रकार सामान बड़ा है, तो हम उसके आकार के अनुसार स्टोरेज फीस लेते हैं.
सुरक्षा के हैं खास इंतजाम
जाहिर है कि ‘स्टोर मोर’ के जरिये अमित, पूजा और नितिन का व्यवसाय लोगों को अपना सामान सुरक्षित जगह पर रखवाने की सुविधा दे रहा है. इसी के चलते इन तीनों साथियों ने अपने वेयरहाउस में सुरक्षा के खास इंतजाम किये हैं. सामान पर नजर बनाये रखने के लिए वेयरहाउस में सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं. वहीं दुर्घटना से होनेवाली क्षति से बचाने के लिए वेयरहाउस में फायर प्रिवेंशन का भी इंतजाम किया गया है.
मुंबई में शाखा लांच करने की तैयारी
अमित, पूजा और नितिन ने 2011 में अपने इस व्यवसाय की शुरुआत 30 लाख रुपये की लागत के साथ 3,500 स्क्वॉयर फीट वेयरहाउस में की थी. उस वक्त कंपनी सिर्फ फाइल्स और डॉक्यूमेंट्स ही स्टोर किया करती थी. मगर व्यवसाय और स्टोरेज आयटम्स की संख्या बढ़ने के साथ कंपनी ने नोएडा और मानेसर में 10,000 स्क्वायर फीट की जगह पर अपना वेयरहाउस शिफ्ट कर लिया. फिलहाल ‘स्टोर मोर’ ने अपनी सेवाओं को दिल्ली तक ही सीमित रखा है, लेकिन जल्द ही कंपनी मुंबई में अपनी शाखा लांच करने की तैयारी कर रही है.