राजस्थान में एक बार फिर कर्ज माफ़ी को लेकर सरकार और किसान आमने सामने हो गए हैं. किसान ऋण माफ़ी की सरकारी घोषणा से खुश नहीं हैं. वे कर्ज माफ़ी में सभी किसानों को शामिल करने की मांग कर रहे हैं.
सरकार का कहना है कि उसने 8,000 करोड़ रूपये के ऋण माफ़ किये हैं. ऋण माफ़ी को लेकर किसानों ने राज्य में कई स्थानों पर रास्ते रोक दिए हैं.
पुलिस ने किसान सभा जैसे संगठनों के प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया है. वहीं किसानों ने शनिवार को चक्का जाम करने का ऐलान किया है.
पुलिस ने गिरफ्तारी की यह कार्रवाई तब की जब किसान जत्थों में सड़कों पर निकले और विधानसभा पर पड़ाव डालने के लिए जयपुर का रुख करने लगे.
‘सरकार ने की वादा ख़िलाफ़ी‘
गिरफ्तार नेताओं में किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व विधायक अमराराम भी शामिल हैं. किसान सभा के संयुक्त सचिव डॉ संजय माधव कहते हैं, ‘सरकार लोकतंत्रिक मूल्यों को ताक रख कर आंदोलन को कुचल रही है, हमारे सभी प्रमुख नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है ताकि आंदोलन टूट जाए, मगर हम इस आंदोलन को मंजिल तक ले जायेंगे.’
डॉ माधव कहते हैं कि सरकार ने वादा ख़िलाफ़ी की है. मगर बीजेपी के राज्य प्रवक्ता विधायक अभिषेक मटोरिया इससे इंकार करते हैं. इस आंदोलन में मुख्य विरोधी दल कांग्रेस शामिल नहीं है.
यह वो वक्त है जब खेतों में रबी की फसल तैयार है और गांव देहातो में कहीं होली के गीत होते हैं तो कही छोटी-छोटी धार्मिक यात्राओं की पदचाप रास्तों पर सुनाई पड़ जाती है.
लेकिन जयपुर के निटकवर्ती ज़िलों और मरुस्थली भू-भाग में किसान सड़कों पर जमा हैं और नारे बुलंद कर रहे हैं. जयपुर से बीकानेर तक पसरे राष्ट्रीय राजमार्ग पर किसानों ने जाम लगा रखा है.
सीकर के करीब बड़ी तादाद में किसान सड़कों पर जमा हैं, इससे यातायात प्रभावित हुआ है. गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने शुक्रवार को विधान सभा में इस मुद्दे पर हंगामा होने पर कहा कि कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है.
आंदोलन कर रहे किसानों को गिरफ्तार किया
किसानों का आरोप है कि सरकार ने उनके साथ धोखा किया है. किसान सभा के उपाध्य्क्ष हरफूल सिंह ओला कहते हैं, ‘सरकार ने आंदोलन के बाद हुए समझौते को लागू ना कर धोखा किया है.’
पिछले साल सितंबर माह में किसान सभा और उसके सहयोगी संगठनों ने बड़ा आंदोलन किया था और सीकर से गुजरने वाले राजमार्ग को जाम कर दिया था. स्थानीय लोग कहते हैं कि यह ऐसा व्यापक आंदोलन था जिसमें समाज का हर वर्ग शामिल था. इसीलिए जब किसान संगठनों ने जयपुर में पड़ाव डालने के लिए कदम बढ़ाये तो पुलिस ने रोक लगा दी.
विश्लेषक ईश मधु तलवार कहते हैं, ‘सरकार ने किसानों के आंदोलन को रोक दिया, उसमें कविता पढ़ते एक साहित्यकार विनोद स्वामी को भी हिरासत में ले लिया, मगर उन्हें छूट है जो जाति-धर्म के नाम पर किसी साहित्य और फिल्म पर पाबंदी के लिए जुलूस निकाले, यह बहुत दुखद है.’
सूचना के अधिकार आंदोलन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता कमल टाक कहते हैं कि सरकार उन संगठनों के जुलूस जलसो को पूरी छूट देती है जो उसके राजनैतिक सांचे में फिट बैठते हैं.
कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने मीडिया से कहा कि किसानो के लिए भाजपा सरकार ने बहुत कुछ किया है और आगे भी ज़रूरत पड़ी तो किया जायेगा, मगर सरकार किसी दबाव में नहीं आएगी.
वहीं विधानसभा में कांग्रेस सचेतक गोविन्द डोटासरा कहते है, ‘सरकार ने पहले मांगे मानने में किसानो को धोखा दिया और जब वे अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर निकले तो पुलिस बल से उन्हें रोक दिया गया, यह अनुचित है.’
बजट पेश होने के बाद नाराज किसान
राजस्थान में जैसे ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सोमवार को अपने बजट में ऋण माफ़ी का ऐलान किया, किसान संगठनों ने जयपुर कूच की तैयारी शुरू कर दी.
अपनी गिरफ्तारी से पहले किसान सभा के अध्यक्ष अमराराम ने बीबीसी से कहा, ‘सरकार ने समझौते में सभी किसानों के कर्ज माफ़ करने का वादा किया था, मगर अब सरकार ने सिर्फ लघु और सीमांत किसानों को ही अपने दायरे में रखा, वो भी सहकारी क्षेत्र के किसान. हम सभी किसानों को कर्ज से निजात दिलाना चाहते हैं.’
बीजेपी प्रवक्ता और विधायक मटोरिया कहते हैं कि किसानों से कोई वादा ख़िलाफ़ी नहीं की गई, सरकार ने कमेटी गठित की है उसमे सभी मुद्दों पर बात होगी.
गोधूलि पर अपने मुकाम पर लौटते मवेशी, दरखतो पर परिंदों का कलरव और खेतों में लहलहाती फसलें बहुत सुंदर तस्वीर प्रस्तुत करती हैं, लेकिन कर्ज माफ़ी के लिए आवाज उठाते किसान कहते हैं कि ये तस्वीर तो बहुत सुनहरी है लेकिन ये खूबसूरत मंज़र उनकी माली हालत में समृद्धि के रंग नहीं भर पा रहा हैं.
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