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नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ज्यादा मतदान, नक्सली परेशान

रायपुर: छत्तीसगढ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ज्यादा मतदान ने नक्सलियों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है. नक्सली अब इन इलाकों में बैठक लेकर जनता से बढ चढकर मतदान में हिस्सा लेने का कारण पूछ रहे हैं. छत्तीसगढ के नक्सल प्रभावित बस्तर और कांकेर लोकसभा क्षेत्र में रिकार्ड 59. 40 फीसदी और […]

रायपुर: छत्तीसगढ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ज्यादा मतदान ने नक्सलियों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है. नक्सली अब इन इलाकों में बैठक लेकर जनता से बढ चढकर मतदान में हिस्सा लेने का कारण पूछ रहे हैं.

छत्तीसगढ के नक्सल प्रभावित बस्तर और कांकेर लोकसभा क्षेत्र में रिकार्ड 59. 40 फीसदी और 70.29 फीसदी मतदान हुआ है जो वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के मतदान से कहीं ज्यादा है. वर्ष 2009 में इस क्षेत्र में 47.33 फीसदी और 57.20 फीसदी मतदान हुआ था. क्षेत्र के नागरिकों ने इस वर्ष हुए मतदान में बढ चढकर हिस्सा लिया और यह नक्सलियों को चिंतित करने के लिए काफी है.

राज्य के इंटेलीजेंस विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नक्सलियों ने इन क्षेत्रों में जनता को चुनाव बहिष्कार करने की चेतावनी दी थी. चेतावनी के बाद भी जनता ने मतदान में हिस्सा लिया और भारी मतदान किया. इस घटना के बाद से अब नक्सली क्षेत्र के बस्तर, दंतेवाडा, कोंडागांव नारायणपुर जिले के गावों में बैठक लेकर जनता से मतदान में शामिल होने का कारण पूछ रहे हैं.

अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र में सक्रिय दंडकारण्य जोनल कमेटी के नक्सली तथा कुछ नेता गांवों में बैठक लेकर गांव वालों को धमका रहे हैं तथा चुनाव बहिष्कार की घोषणा के बाद भी मतदान में हिस्सा लेने के कारणों को जानने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि पुलिस को सूचना मिली है कि नक्सली गांवों में जाकर पुलिस और राज्य सरकार के खिलाफ लोगों को भडका रहे हैं. नक्सली लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि राज्य में क्षेत्र में विकास नहीं हुआ. क्षेत्र में आदिवासियों की हत्याएं की जा रही है और झूठे मामले में उनके परिवार के सदस्यों को विभिन्न जेलों में बंद कर दिया गया है. इसके बावजूद वह मतदान में क्यों हिस्सा ले रहे हैं

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पुलिस को जानकारी मिली है कि क्षेत्र की जनता ने बडी संख्या में मतदान में हिस्सा लिया है. तब से नक्सली नेता अब अपने कार्यकर्ताओं को गांवों में जाकर आम जनता का विश्वास हासिल करने की सलाह दे रहे हैं जिससे उनका आंदोलन कमजोर न हो.

राज्य में पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में भी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के 70 फीसदी मतदाताओं ने चुनाव में हिस्सा लिया था. इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में बडी संख्या में मतदान ने चुनाव प्रक्रिया पर विश्वास नहीं करने वाले नक्सलियों को चिंतित कर दिया है. नक्सल मामलों के विशेषज्ञों के मुताबिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भारी मतदान एक अच्छा संकेत है.राजधानी रायपुर के विज्ञान महाविद्यालय में रक्षा अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष गिरीशकांत पांडेय कहते हैं कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भारी संख्या में मतदान होना लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है. क्षेत्र की जनता भी नक्सली हिंसा से त्रस्त है और वह इस क्षेत्र में विकास और बदलाव चाहती है.

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