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फर्ज़ी निकली लालू प्रसाद के ‘सेवकों’ पर दर्ज रिपोर्ट

<p>राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के दो कथित ‘सेवकों’ के ख़िलाफ़ दर्ज रिपोर्ट को झारखंड पुलिस ने फ़र्जी क़रार दे दिया है. पुलिस का दावा है कि उसे वैसा कोई प्रमाण नहीं मिला, जिससे उस घटना की पुष्टि हो, जिसके आरोप में लक्ष्मण और मदन यादव रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में बंद थे. […]

<p>राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के दो कथित ‘सेवकों’ के ख़िलाफ़ दर्ज रिपोर्ट को झारखंड पुलिस ने फ़र्जी क़रार दे दिया है. पुलिस का दावा है कि उसे वैसा कोई प्रमाण नहीं मिला, जिससे उस घटना की पुष्टि हो, जिसके आरोप में लक्ष्मण और मदन यादव रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में बंद थे. हालांकि इन दोनों को अब रिहा कर दिया गया है. </p><p>पुलिस अब फर्ज़ी रिपोर्ट दर्ज कराने वाले सुमित यादव के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई करेगी. सुमित यादव ने 23 दिसंबर को रांची के लोअर बाज़ार थाने में यह रिपोर्ट दर्ज कराई थी. </p><p>उनका आरोप था कि मदन यादव और लक्ष्मण ने उनसे मारपीट कर जेब मे रखे दस हज़ार रुपये छीन लिए हैं. तब रिपोर्ट दर्ज होने के कुछ ही घंटे बाद दोनों आरोपियों ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था. </p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-42549667">चारा घोटाले में लालू यादव को साढ़े तीन साल की सज़ा</a></p><p>इसके बाद उन्हें उसी जेल में बंद किया गया, जहां राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद इन दिनों अपनी सज़ा काट रहे हैं. सीबीआई के विशेष कोर्ट ने चारा घोटाले के एक मामले में पिछले दिनों उन्हें साढ़े तीन साल की सज़ा सुनाई थी.</p><p><strong>क्या थी मीडिया रिपोर्ट</strong></p><p>इस बीच, रांची के एक अखबार ने यह रिपोर्ट छाप दी कि जेल में बंद मदन यादव और लक्ष्मण दरअसल लालू प्रसाद के करीबी (सेवक) हैं. उन्हें शक था कि सीबीआई कोर्ट लालू प्रसाद को दोषी क़रार दे सकता है. लिहाज़ा, दोनों लोगों ने अपने ख़िलाफ़ झूठी रिपोर्ट दर्ज करा ली. </p><p>इसके बाद नाटकीय तरीके से सरेंडर कर उसी दिन (23 दिसंबर) जेल पहुंच गए, जिस दिन लालू प्रसाद को कोर्ट ने दोषी क़रार दिया था. इनकी मंशा थी कि वे जेल में रहकर लालू प्रसाद की सेवा कर सकेंगे. अखबार ने अपनी रिपोर्ट की पुष्टि के लिए दोनों की लालू प्रसाद के साथ वाली तस्वीरें भी प्रकाशित की.</p><h1>पुलिस जांच रिपोर्ट</h1><p>इस मीडिया रिपोर्ट के बाद सकते में पड़ी पुलिस ने रांची के सिटी डीएसपी राजकुमार मेहता को इस मामले की जांच करने को कहा. डीएसपी ने एक ही दिन में जांच पूरी कर अपनी ही पुलिस द्वारा दर्ज की गई रिपोर्ट को फर्ज़ी क़रार दे दिया. </p><p>उन्होंने बताया कि रिपोर्ट दर्ज कराने वाले सुमित यादव और आरोपी मदन यादव सगे चाचा-भतीजा हैं और यह रिपोर्ट फ़र्जी है. लिहाज़ा, सुमित के ख़िलाफ़ झूठी रिपोर्ट दर्ज करने के आरोप में क़ानूनी कार्रवाई के लिए कोर्ट से अपील की गई है.</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-39841902">क्या है बिहार का चारा घोटाला?</a></p><p>डीएसपी राजकुमार मेहता ने बीबीसी से कहा, &quot;सुमित यादव ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि 23 दिसंबर की सुबह सवा आठ बजे उनके साथ रांची के कांटाटोली चौक पर मारपीट और छिनतई की गई. जबकि, उस वक्त उनके मोबाइल फोन की लोकेशन घटनास्थल से कई किलोमीटर दूर थी. आरोपी मदन यादव और लक्ष्मण के मोबाइल फ़ोन की लोकेशंस भी अलग-अलग थीं.&quot; </p><p>&quot;स्पष्ट है कि तीनों उस वक्त मिले ही नहीं. इसके साथ ही कथित घटनास्थल पर मौजूद हमारी पीसीआर वैन में तैनात पुलिस पदाधिकारी और वहां तब मौजूद लोगों में से किसी ने ऐसी वारदात होते नहीं देखी. स्पष्ट है कि यह झूठी रिपोर्ट है. इनके ख़िलाफ़ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 182 और 211 के तहद कार्रवाई की जाएगी.&quot;</p><h1>परिवार वालों को पुलिस पर यकीन नहीं</h1><p>इस मामले के आरोपी मदन यादव की पत्नी पुलिस जांच रिपोर्ट को सही नहीं मानतीं. </p><p>उन्होंने बीबीसी से कहा कि सुमित और उनके परिवार के बीच पट्टीदारी का झगड़ा है. इस कारण उस दिन दोनों मे मारपीट हुई और पहले भी ऐसी झड़पें होती रही हैं.</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-42590725">उधर जेल की सजा, इधर सामने आई लालू की चिट्ठी</a></p><p>उन्होंने बताया, &quot;मदन और सुमित सगे चाचा-भतीजा हैं और इनके पूर्वज बिहार के भोजपुर ज़िले से सालो पहले रांची आकर बस गए थे. तब उनका खटाल (दूध बिक्री के लिए गाय-भैंस पालने की जगह) हुआ करता था, जो अब बंद हो चुका है.&quot;</p><h1>जेल गए लेकिन लालू से नहीं मिल सके</h1><p>इस बीच जेल प्रशासन ने दावा किया है कि मदन यादव और लक्ष्मण की मुलाकात लालू प्रसाद से नहीं हो सकी है. इसके लिए न तो लालू प्रसाद ने कहा और न मदन यादव या लक्ष्मण की तरफ से ऐसी कोई कोशिश की गई. </p><p>बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल के सुपरिटेंडेंट अशोक चौधरी ने बीबीसी से कहा, &quot;लालू जी को उनकी सुरक्षा के मद्देनजर अपर डिविजन सेल में रखा गया है. हमारे सुरक्षाकर्मी हर वक्त उस सेल की निगरानी में रहते हैं. ऐसे में कोई भी लालू प्रसाद तक नही पहुंच सकता.&quot; </p><p>उन्होंने कहा, &quot;क्योंकि, लालू जी अपर डिविजन के कैदी हैं, लिहाजा उन्हें खाना बनाने के लिए एक सजायाफ्ता कैदी को सहायक के तौर पर लगाया गया है. इस काम में विचाराधीन बंदी को लगाने की इजाज़त जेल मैन्युअल नहीं देता है. ऐसे में किसी भी विचाराधीन बंदी का लालू जी तक पहुंच पाना नामुमकिन है.&quot;</p><h1>राजद की प्रतिक्रिया नहीं</h1><p>इस मामले पर राजद की तरफ़ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने अनौपचारिक तौर पर कहा कि लालू जी के साथ किसी की तस्वीर होने का यह मतलब नहीं कि वह उनका क़रीबी हो. हमारी पार्टी क़ानूनी प्रक्रिया में विश्वास रखती है.</p><h1>एक और मामले में सुनवाई पूरी</h1><p>इधर, लालू प्रसाद के ख़िलाफ़ चारा घोटाला के एक और मामले आरसी-68 ए-96 में बुधवार को सुनवाई पूरी कर ली गई. सीबीआइ कोर्ट में अब 24 जनवरी को इसके फ़ैसले पर बहस होगी. </p><p>इस बीच लालू प्रसाद चारा घोटाला के ही एक और मामले में पेश होने के लिए बुधवार को रांची के स्पेशल सीबीआइ कोर्ट आए. इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव व सासंद प्रेमचंद गुप्ता समेत कई लोग मौजूद थे.</p><p> (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप <a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a> कर सकते हैं. आप हमें <a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a> और <a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</p>

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