बेलूर (पश्चिम बंगाल) : रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के सैकडों सन्यासियों ने कभी भी मतदान नहीं किया, हालांकि उनमें से लगभग सभी के पास मतदाता पहचान पत्र हैं. स्वामी विवेकानंद द्वारा वर्ष 1897 में स्थापित इस मठ के एक वरिष्ठ सन्यासी ने बताया. इस बारे में कोई आधिकारिक निर्देश नहीं है लेकिन हमने कभी मतदान नहीं किया क्योंकि हम न तो राजनीति में हिस्सा लेते हैं और न ही सार्वजनिक रुप से अपनी राजनीतिक राय जाहिर करते हैं. उन्होंने बताया कि मतदान का मतलब किसी खास राजनीतिक दल या प्रत्याशी का पक्ष लेना है जो उन्हें आध्यात्म के रास्ते से अलग करेगा.
इस सन्यासी ने बताया स्वामी जी ने हमें निर्देश दिया है कि हमें आध्यात्मिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और समाज के उत्थान के लिए मानवीय गतिविधियों को अंजाम देना चाहिए. कोलकाता से कुछ किमी दूर बेलुरमठ में रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है जहां करीब 1500 ब्रह्मचारी और सन्यासी वेदान्त दर्शन पर आधारित जीवन जी रहे हैं. मठ और मिशन के भारत तथा विदेश में 178 शाखा केंद्र हैं. दिलचस्प बात यह है कि 95 फीसदी सन्यासियों के पास मतदाता पहचान पत्र हैं.
एक सन्यासी ने बताया पहचान के लिए और खास कर यात्रा के लिए हममें से लगभग 95 फीसदी सन्यासियों को मतदाता पहचान पत्र का उपयोग करना पडता है. लेकिन मतदान के लिए हम इसका उपयोग नहीं करते. मिशन ने स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन किया था और कुछ सन्यासियों के स्वतंत्रता सेनानियों के साथ करीबी रिश्ते थे. बाद में कई क्रांतिकारी रामकृष्ण मठ से जुड गए थे. सन्यासी ने बताया व्यक्ति के तौर पर हमारी राजनीतिक राय भले ही हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम सार्वजनिक रुप से इसकी चर्चा करें.