21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

फ़िल्म जिसमें खिलजी ने पद्मिनी को बहन मान लिया

<p>फ़िल्म ‘पद्मावती’ से विवादित दृश्य हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. संजय लीला भंसाली की ऐतिहासिक ड्रामा फ़िल्म ‘पद्मावती’ को लेकर एक छोटे से तबके में शुरु हुआ विरोध अब राष्ट्रव्यापी हो गया है.</p><p>देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं, थिएटरों में तोड़फोड़ की गई है और फ़िल्म […]

<p>फ़िल्म ‘पद्मावती’ से विवादित दृश्य हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. संजय लीला भंसाली की ऐतिहासिक ड्रामा फ़िल्म ‘पद्मावती’ को लेकर एक छोटे से तबके में शुरु हुआ विरोध अब राष्ट्रव्यापी हो गया है.</p><p>देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं, थिएटरों में तोड़फोड़ की गई है और फ़िल्म निर्माताओं के ख़िलाफ़ थानों में शिकायतें दी गई हैं. राजपूत संगठनों ने फ़िल्म में रानी पद्मावती का किरदार निभाने वाली दीपिका पादुकोण की नाक काटने तक की धमकी दे दी है.</p><p>राजस्थान के चित्तौड़ की रानी पद्मावती ऐतिहासिक क़िरदार हैं या नहीं इसे लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं. कुछ इतिहासकार पद्मावती को मलिक मोहम्मद जायसी की कल्पना बताते हैं तो कुछ उन्हें ऐतिहासिक क़िरदार मानते हैं.</p><p>रानी पद्मावती कल्पना हैं या असलियत, इस पर भले ही सवाल हों लेकिन भारतीय उनकी कहानी हमेशा से सुनते आ रहे हैं. इस पर तमिल और हिंदी में साठ के दशक में फ़िल्में भी बन चुकी हैं.</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-41971175">’पद्मावती को खिलजी की प्रेमिका बताना बर्दाश्त से बाहर'</a></p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment-41921873">’पद्मावती में राजपूत मर्यादा का पूरा ख़्याल रखा है'</a></p><p><strong>तमिल फ़िल्म ‘चित्तौ</strong><strong>ड़</strong><strong> रानी पद्मिनी'</strong></p><p>1963 में तमिल निर्देशक चित्रापू नारायण मूर्ति ने रानी पद्मिनी की कहानी पर &quot;चित्तौड़ रानी पद्मिनी&quot; फ़िल्म बनायी थी. इस फ़िल्म में मशहूर अभिनेत्री वैजयंती माला ने रानी पद्मिनी का क़िरदार निभाया था. ये फ़िल्म उमा पिक्चर्स के बैनर तले बनी थी जो आरएम रामनाथन की फ़िल्म कंपनी थी.</p><p>इस फ़िल्म में शिवाजी गणेशन ने चित्तौड़ के राजा रतन सिंह का क़िरदार निभाया था. इस फ़िल्म में भी रानी पद्मिनी और दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की कहानी दिखाई गई थी. हालांकि तब निर्माताओं ने इस फ़िल्म को ‘ऐतिहासिक फ़िक्शन’ बताया था.</p><p>इस फ़िल्म में भी खिलजी रानी पद्मिनी के प्रेम में पागल थे और उन्होंने चित्तौड़ के राजा राणा रतन सिंह को धमकी दी थी कि अगर रानी पद्मिनी का दीदार नहीं हुआ तो वह राजस्थान को बर्बाद कर देंगे.</p><p>राणा के पास जब कोई विकल्प नहीं बचा तो वो रानी पद्मिनी को महल के तालाब के किनारे खड़े होने और उनकी छवि को एक शीशे में दिखाने के लिए तैयार हो गए. साथ ही उन्होंने अलाउद्दीन खिलजी की हत्या करने की एक गुप्त योजना भी तैयार की.</p><p>लेकिन रानी पद्मिनी का इरादा खुद को किसी अजनबी के सामने पेश करने का नहीं था. फ़िल्म में खिलजी के सामने पेश होने के बजाए रानी पद्मिनी सती हो गईं थीं.</p><p>1963 में आई इस फ़िल्म में पद्मिनी का किरदार निभा रहीं वैजयंती माला पर कई गाने फ़िल्माए गए. </p><p>वैजयंती माला एक बेहतरीन भरतनाट्यम नृत्यांगना थीं और निर्देशक ने उन पर फ़िल्म में नृत्य सीन फ़िल्माए थे. </p><p>इतिहास के जिस दौर की ये फ़िल्म है उस दौर में राजस्थान में रानियां नृत्य नहीं करती थीं.</p><p>हालांकि फ़िल्म का कोई विरोध नहीं हुआ लेकिन बॉक्स ऑफ़िस पर फ़िल्म बहुत क़ामयाब नहीं रही थी. </p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment-38782505">भंसाली के समर्थन में आई ‘पद्मावती'</a></p><h1>1964 में आई महारानी पद्मिनी</h1><p>इसके एक साल बाद ही रानी पद्मिनी पर हिंदी में एक फ़िल्म बनी थी जिसका नाम था ‘महारानी पद्मिनी’. </p><p>इस फ़िल्म का निर्देशन जसवंत झावेरी ने किया था और अनिता गुहा ने रानी पद्मिनी का क़िरदार निभाया था. ये फ़िल्म डिलाइट मूवीज़ के बैनर तले बनी थी. </p><p>फ़िल्म यूट्यूब पर <a href="https://www.youtube.com/watch?v=sIISJibNWb8">यहां उपलब्ध</a> है.</p><p>इस फ़िल्म में भी महारानी पद्मिनी के क़िरदार पर नृत्य दृश्य फ़िल्माए गए थे. </p><p>फ़िल्म एक गीत से शुरू होती है जिसके बोल हैं, ‘<strong>यहीं हुई है बरसों पहले एक पद्मिनी रानी, पूनम का चंदा भरता था जिसके सामने पानी, होली के दिन खेल रही थी वो सखियों से, नाच रही थी बनके राधिका बीच में एक मस्तानी.</strong>&quot;</p><p>इस फ़िल्म में भी दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी का क़िरदार रानी पद्मिनी के इश्क़ में गिरफ़्तार है. </p><p>हालांकि इस फ़िल्म में दिखाया गया है कि खिलजी के सेनापति मलिक काफ़ूर उन्हें महारानी पद्मिनी के हुस्न में उलझा लेते हैं ताकि वो दिल्ली की गद्दी पा सकें. </p><p>महारानी पद्मिनी को हासिल करने के लिए खिलजी राणा रतन सिंह को क़ैद कर लेते हैं. </p><p>इस फ़िल्म के आखिर में खिलजी पद्मिनी को अपनी बहन मान लेते हैं और राजपूत राजा राणा रतन सिंह खिलजी की बांहों में दम तोड़ते हैं. फ़िल्म रानी पद्मिनी के जौहर पर समाप्त होती है.</p><p>फ़िल्म के एक सीन में महारानी पद्मिनी सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की जान भी बचाती हैं. </p><p>फ़िल्म के आखिर में सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी कहते हैं, &quot;हमारी ये फ़तह इतिहास की सबसे बड़ी शिकस्त है.&quot;</p><p>इस फ़िल्म का भी कोई विरोध नहीं हुआ था. </p><p>इसके अलावा जसवंत झावेरी ने पद्मिनी की कहानी पर ही 1961 में ‘जय चित्तौड़’ फ़िल्म भी बनाई थी. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां</a><strong> क्लिक करें. आप हमें </strong><a href="http://www.bbc.com/hindi/sport-39061037">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">ट्विटर</a><strong> पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)</strong></p>

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें