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सोशलः खिचड़ी यानी काल्पनिक राष्ट्रीय व्यंजन

भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से पकाई और खाई जाने वाली खिचड़ी को लेकर सोशल मीडिया पर ख़ूब खिचड़ी पक रही है. दरअसल ख़बर आई थी कि खिचड़ी को राष्ट्रीय व्यंजन घोषित किया जा रहा है. लेकिन केंद्रीय मंत्री खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने स्पष्ट किया है कि खिचड़ी को राष्ट्रीय […]

भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से पकाई और खाई जाने वाली खिचड़ी को लेकर सोशल मीडिया पर ख़ूब खिचड़ी पक रही है.

दरअसल ख़बर आई थी कि खिचड़ी को राष्ट्रीय व्यंजन घोषित किया जा रहा है.

लेकिन केंद्रीय मंत्री खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने स्पष्ट किया है कि खिचड़ी को राष्ट्रीय व्यंजन घोषित नहीं किया जा रहा है.

बादल ने ट्वीट किया, "काल्पनिक राष्ट्रीय व्यंजन पर बहुत खिचड़ी पक गई. इसे सिर्फ़ रिकॉर्ड बनाने के लिए वर्ल्ड फ़ुड इंडिया में पेश किया जा रहा है."

एक सम्पूर्ण भोजन जिसे खिचड़ी कहते हैं – BBC हिंदी

एक और ट्वीट में बादल ने कहा, "वर्ल्ड फ़ुड इंडिया में भारत की खाद्य विविधता को गर्व से पेश किया जाएगा. ऐसा लग रहा है कि आज दिन में कोई ख़बर नहीं थी."

लेकिन हरसिमरत कौर का स्पष्टीकरण खिचड़ी को लेकर सोशल मीडिया पर पक रही खिचडी की आंच कम करने में नाकाफ़ी ही साबित हुआ.

सरकार पर तंज

कांग्रेस प्रवक्ता संजय निरूपम ने लिखा, "खिचड़ी मेरा प्रिय भोजन है. अगर यह राष्ट्रीय भोजन घोषित हो गया और किसी ने खाने से मना कर दिया तो क्या उसके ख़िलाफ़ देशद्रोह का मामला चलेगा?"

राष्ट्रीय लोकदल नेता जयंत चौधरी ने ट्वीट किया, "खिचड़ी पकाते पकाते पीएम बन गए, कोई खिलाते खिलाते सीएम बन गए, अब तड़का अच्छा लग नहीं रहा, दाल पक नहीं रही, जनता कह रही है बस बहुत बन गए!"

कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के अध्यक्ष फिरोज़ ख़ान ने ट्वीट किया, "पहले देश की अर्थव्यवस्था को बीमार कर दिया अब उसको खिचड़ी खिला कर ठीक करना चाहते हैं."

प्रत्यूष मयंक ने लिखा, "विकास की खिचड़ी तो बन चुकी है लेकिन सिलेंडर के दाम 94 रुपए महंगे कर दिए हैं तो जनता अपनी खिचड़ी कैसे बनाए?"

लोगों ने लिए चटखारे

बिग बॉस से चर्चा में आए मनवीर गुर्जर ने लिखा, "जब देश की इतनी खिचड़ी बन ही रही है तो खिचड़ी राष्ट्रीय व्यंजन तो बनता ही है अब पकाओ और पकाते रहो खिचड़ी."

अकबर अंधेरा के नाम से चल रहे अकाउंट से लिखा गया, "खिचड़ी का नाम बदलकर अब ‘दीन दयाल उपाध्याय भूख नहीं है पदार्थ’ रख देना चाहिए."

डॉ. खिचड़ी ने ट्वीट किया, "अब ‘खिचड़ी नहीं खनी’ बहाना नहीं चलेगा! खिचड़ी बनेगी तो खानी ही पड़ेगी."

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